पताका चार्ट पैटर्न(Pennant Chart Pattern) क्या है ? जाने सब कुछ विस्तार से

दोस्तों पिछले अध्याय में हमने कैंडलस्टिक चार्ट पैटर्न, त्रिभुज पैटर्न, डबल टॉप पैटर्न, डबल बॉटम पैटर्न, फ्लैग पैटर्न तथा सपोर्ट रेजिस्टेंस के बारे में विस्तार से अध्ययन किया है | आज पताका चार्ट पैटर्न(Pennant Chart Pattern) क्या है ? जाने सब कुछ विस्तार से   के इस अध्याय में हम पताका चार्ट पैटर्न क्या हैं, यें कैसे बनता हैं, चार्ट में इसे कैसे पहचाने, इस पैटर्न में हमें टार्गेट तथा स्टॉप लॉस कहाँ लगाना चाहिए, सब कुछ विस्तार से समझने का प्रयास करेंगे |

पताका चार्ट पैटर्न(Pennant Chart Pattern) किसे कहते है

जब किसी कंपनी के शेयर की कीमत एक बड़ी तेजी के बाद कंसोलिडेशन फेज़ में चला जाता है, तथा समय के साथ कंसोलिडेशन फेज़ सिकुड़ता चला जाता है तो इस प्रकार से बने पैटर्न को पताका चार्ट पैटर्न (Pennant Chart Pattern) कहा जाता है | यह कैंडलस्टिक चार्ट पैटर्न का एक प्रकार है |

पताका चार्ट पैटर्न(Pennant Chart Pattern) क्या है ? जाने सब कुछ विस्तार से

पताका चार्ट पैटर्न(Pennant Chart Pattern) का प्रकार

पताका पैटर्न मुख्यतः दो प्रकार के होते है |

  • बुलिश पताका चार्ट पैटर्न(Bullish Pennant Chart Pattern)
  • बेयरिश पताका चार्ट पैटर्न(Bearish Pennant Chart Pattern)

बुलिश पताका चार्ट पैटर्न(Bullish Pennant Chart Pattern)

जब किसी कंपनी के शेयर में एक बड़ी तेज़ी के बाद कंसोलिडेशन का फेज आता है लेकिन समय के साथ कंसोलिडेशन का फेज सिकुड़ता जाता है तो इस प्रकार के पैटर्न को बुलिश पताका चार्ट पैटर्न(Bullish Pennant Chart Pattern) कहा जाता है | 

बुलिश पताका पैटर्न की पहचान 

जब शेयर बाज़ार के किसी शेयर में एक बड़ी तेज़ी आती है तो एक के बाद एक बड़ी बुलिश कैंडल बनती जाती है | एक समय के बाद यह तेज़ी थम सी जाती है, तथा शेयर अपनी चाल को कंसोलिडेशन के फेज में बदल लेती है | जब कंसोलिडेशन का फेज सिकुड़ता जाता है, तो इसे बुलिश पताका चार्ट पैटर्न कहा जाता है |

पताका चार्ट पैटर्न (Pennant Chart Pattern) क्या है ? जाने सब कुछ विस्तार से

आप शेयर बाज़ार में किसी भी शेयर के चार्ट में इसकी पहचान एक बड़ी तेज़ी तथा उसके बाद सिकुड़ते हुए कंसोलिडेशन फेज पर ट्रेंड लाइन को ड्रा कर, कर सकते है |  कंपनी का फंडामेंटल एनालिसिस कैसे करें ?

बुलिश पताका चार्ट पैटर्न(Bullish Pennant Chart Pattern)) का निर्माण

जब किसी शेयर के फंडामेंटल से जुड़ा कोई भी सुधार या कोई बढ़िया न्यूज हो तो कंपनी के शेयर को खरीदने के लिए ट्रेडर तथा निवेशक एक्टिव हो जाते है | शेयर में आई अचानक डिमांड के कारण शेयर में बड़ी तेज़ी आ जाती है तथा सेल में लगे सभी ऑर्डर कम्प्लीट हो जाते है तथा एक नई तेज़ी का आरंभ होता है | इस कारण से शेयर बुलिश कैंडल बनाते हुए ऊपर जाने लगती है | एक दौर ऐसा आता है जब शेयर अपनी तेज़ी खो देता है तथा शेयर कंसोलिडेशन के फेज में चला जाता है |

जब कंसोलिडेशन फेज में जाने के बाद तेजड़िए तथा मंदड़िए आपस में युद्ध करें | अर्थात तेजड़िए शेयर को ऊपर ले जाने का प्रयास करें तथा मंदड़िए शेयर को निचे लाने का प्रयास करें तो इस खिंचा तानी के कारण शेयर का कंसोलिडेशन का फेस सिकुड़ता जाता है | जो समय के साथ पताका चार्ट पैटर्न का निर्माण कर लेता है | शेयर खरीदने और बेचने का उत्तम समय ?

बुलिश पताका चार्ट पैटर्न में ट्रेड कब लें 

जब शेयर की कीमत लोअर-हाई तथा हाईयर-लो ट्रेंड लाइन के मध्य में ट्रेड करती है, तो शेयर में तेज़ी या मंदी का दौर समाप्त हो गया रहता है | लेकिन जब किसी न्यूज के कारण शेयर में फिर से खरीदारी का बड़ा आर्डर लगाया जाता है तो यह कंसोलिडेशन फेज के ट्रेंड लाइन को तोड़कर ऊपर चली जाती है तथा हरी(बुलिश) कैंडल का निर्माण करती है | यदि इस बुलिश कैंडल की क्लोजिंग LH ट्रेंड-लाइन के ऊपर होती है तो हमें बुलिश पताका चार्ट पैटर्न के ब्रेक आउट का संकेत मिल जाता है | 

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जैसे ही इसके बाद की अगली कैंडल, पहली हरी(बुलिश) कैंडल का हाई ब्रेक करें, तो ट्रेडर तथा निवेशक अपना पोजिशन खरीदारी में बना सकते है |

लेकिन यदि लाल बेयरिश कैंडल HL ट्रेंड लाइन को तोड़कर निचे आ जाये तथा अपनी क्लोजिंग भी HL ट्रेंड लाइन के निचे देती है तो हमें बेयरिश ट्रेंड का अंदेशा हो जाता है | अगली कैंडल यदि इस बेयरिश कैंडल का low ब्रेक कर निचे आ जाये तो ट्रेडर बिकवाली में ट्रेड लेते है |

इस पैटर्न में सामान्यतः ब्रेक आउट मिलता है, जिस कारण से इसे बुलिश पताका पैटर्न के नाम से जाना जाता है |

बुलिश पताका पैटर्न में टार्गेट सेट करें 

इस पैटर्न में शेयर का टार्गेट पताका का खंभे(Pole) का निचला लेवल तथा LH ट्रेंडलाइन लेवल का अंतर होता है |

 

जैसे मान लीजिये कि यदि किसी कंपनी के शेयर में पताका चार्ट पैटर्न का निर्माण होता है, तथा पैटर्न के खंभे(pole) का निचला लेवल 500 पर है | पैटर्न का पताका जो लगातार LH तथा HL ट्रेंड लाइन बनाते हुए ट्रेड कर रही है | यदि LH का लेवल 600 तथा HL वाला ट्रेंड लाइन 550 पर है तो पताका पैटर्न के ब्रेक आउट का टार्गेट = लोअर-हाई ट्रेंड लाइन लेवल – खंभे(Pole) का निचला लेवल = 600-500 = 100 | अतः यदि दूसरी कन्फर्मेशन कैंडल ने 600 के लेवल पर ट्रेड का कन्फर्मेशन दिया है तो आप अपना टार्गेट 600 +100 = 700 के आस – पास मान कर चल सकते है | कैंडलस्टिक चार्ट पैटर्न

बुलिश पताका पैटर्न में स्टॉप लॉस कहाँ सेट करें

किसी भी ट्रेडर को ट्रेड लेने से पहले ट्रेड का टार्गेट तथा स्टॉप लॉस की गणना अवश्य कर लेनी चाहिए | इस पैटर्न में ट्रेडर को स्टॉप लॉस HL ट्रेंड लाइन पर लगाना चाहिए | 

बेयरिश पताका पैटर्न

जब कोई शेयर अचानक से बडी मंदी या तेज़ गिरावट के बाद लोअर-हाई तथा हाईयर-लो ट्रेंड लाइन के मध्य में ट्रेड करने लगता है | तो यह बेयरिश पताका पैटर्न (Bearish Pennant Pattern) का रूप ले लेता है |

बेयरिश पताका पैटर्न का निर्माण

शेयर बाज़ार में सब कुछ ठीक चल रहा होता है | अचानक किसी ख़राब न्यूज के कारण शेयर में ट्रेडर बड़ा बिकवाली का आर्डर लगा देते है | बिकवाली का आर्डर बड़ा होने के कारण शेयर में तेज़ गिरावट होने लगता है | जिस कारण से बड़ी-बड़ी लाल बेयरिश कैंडल का निर्माण होने लगता है | यह बड़ी लाल बेयरिश कैंडल इस पैटर्न में खंभा(Pole) का रूप ले लेती है |

गिरावट का दौर रुकने के बाद तेजड़ियों तथा मंदड़ियों के मध्य में खींचा तानी होने लगती है | तेजड़िये शेयर को ऊपर तथा मंदड़िये शेयर को निचे ले जाने का प्रयास करते है | इस कारण से शेयर न तो ऊपर जा पाता है तथा न ही निचे | शेयर एक सिकुड़ते हुए रेंज में ट्रेड करने लगता है जो समय के साथ एक पताका या त्रिभुज का रूप ले लेता है | बेयरिश पताका चार्ट पैटर्न में यह पताका का रूप ले लेता है |

ये दोनों आपस में मिल कर बेयरिश पताका पैटर्न(Bearish Pennant Pattern) का निर्माण हो जाता है | त्रिभुज चार्ट पैटर्न (Trianglechart pattern) क्या है ?

बेयरिश पताका पैटर्न में ट्रेड कब लें 

किसी भी पैटर्न में सबसे महत्वपूर्ण जानकारी होता है कि पैटर्न में ट्रेड कब लें | बेयरिश पताका पैटर्न(Bearish Pennant Pattern) में जब शेयर एक लाल बेयरिश कैंडल बनाते हुए लोअर-हाई ट्रेंड लाइन को ब्रेक कर निचे आ जाये तथा अपनी क्लोजिंग भी ट्रेंड लाइन के निचे दे तो इसे बेयरिश पताका पैटर्न का ब्रेक डाउन कहा जाता है | यह एक और बेयरिश दौर का संकेत होता है |

इस लाल कैंडल के बाद जैसे ही अगली कैंडल पहली लाल कैंडल का low ब्रेक करें तो ट्रेडर बिकवाली में अपना पोजिशन बनाते है | यह एक मंदी का संकेत माना जाता है | 

लेकिन यदि कोई बुलिश कैंडल इस पैटर्न के लोअर-हाई ट्रेंड लाइन को ब्रेक करें तथा अपनी क्लोजिंग इस ट्रेंड लाइन के ऊपर दे तो इसे बेयरिश पताका पैटर्न का ब्रेक आउट माना जायेगा | जब अगली कैंडल इस बुलिश कैंडल के हाई ब्रेक कर ऊपर निकल जाये तो आप खरीदारी में अपना पोजिशन बना सकते है |

इस पैटर्न में सामान्यतः ब्रेक डाउन होता है, जिस कारण से इस पैटर्न को बेयरिश पताका चार्ट पैटर्न के नाम से जाना जाता है | डायवर्सिफिकेशन क्या है ?

टार्गेट(Target)

इस पैटर्न में टार्गेट बेयरिश पताका पैटर्न(Bearish Pennant Pattern) के खंभे के हाई तथा हाईयर-लो के लेवल का अंतर होता है | इस पैटर्न में ट्रेडर को स्टॉप लॉस लोअर-हाई ट्रेंड-लाइन के लेवल को लगाना चाहिए |

लेख से सम्बंधित प्रश्नोत्तरी

पताका चार्ट पैटर्न(Pennant Chart Pattern) किसे कहते है ?

जब किसी कंपनी के शेयर की कीमत एक बड़ी तेजी के बाद कंसोलिडेशन फेज़ में चला जाता है तथा समय के साथ कंसोलिडेशन फेज़ सिकुड़ता चला जाता है तो इस प्रकार से बने पैटर्न को पताका चार्ट पैटर्न (Pennant Chart Pattern) कहा जाता है | 

सारांश(Summary)

दोस्तों आज पताका पैटर्न(Pennant Pattern) क्या है ? जाने सब कुछ विस्तार से  के इस लेख में हमने पताका चार्ट पैटर्न के बारे में अध्ययन किया | मै आशा करता हूँ कि अब आपको इस पैटर्न(Pattern) की पहचान करने तथा ट्रेड करने में किसी प्रकार की कोई समस्या नहीं होगी |

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हेल्लो दोस्तों, मै पिछले 8 वर्षो से शेयर बाज़ार में निवेश तथा रिसर्च कर रहा हूँ | मै अपने अनुभव को Finohindi के माध्यम से आपके साथ सच्चाई के साथ सीधे तथा साफ शब्दों में बाटना चाहता हूँ | यदि आप शेयर बाज़ार में निवेश, ट्रेड करते है या आपकी शेयर बाज़ार में रूचि है तो आप सही जगह पर है

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