इंट्राडे ट्रेडिंग क्या है? Intraday Trading Meaning Full Detail in Hindi

दोस्तों पिछले अध्याय में हम सबने कैंडलस्टिक चार्ट पैटर्न तथा शेयर खरीदने और बेचने का उत्तम समय के बारे में विस्तार से अध्ययन किया है | आज के इस अध्याय में हम सब इंट्राडे ट्रेडिंग(Intraday Trading) के बारे में विस्तार से समझेंगे | आज के इस अध्याय में हम इंट्राडे ट्रेडिंग क्या है, यह कितने प्रकार का होता है, तथा इंट्रा-डे का प्रयोग कर किस प्रकार से लाभ कमाया जा सकता है, इंट्राडे Trading के क्या क्या लाभ या हानि है, हम विस्तार से जानेंगे | 

Table of Contents

ट्रेडिंग क्या है ? – What is Trading

जब कोई व्यक्ति बाज़ार में खरीद बिक्री करता है तो वह ट्रेडर कहलाता है | अब चाहे वो शेयर बाज़ार में शेयर की खरीद बिक्री करे या अन्य किसी बाज़ार में किसी वस्तु का | जब ट्रेडर शेयर बाज़ार में शेयर की खरीद बिक्री करता है तो उसे शेयर ट्रेडर या स्टॉक ट्रेडर कहा जाता है | ट्रेडर का बहुत सीधा सा कार्य होता है | शेयर ट्रेडर शेयर को कम कीमत पर खरीद कर अधिक कीमत पर बेचता है या अधिक कीमत पर शेयर को बेच कर कम कीमत पर खरीदता है | कंपनी का फंडामेंटल एनालिसिस कैसे करें ?

ट्रेडिंग के प्रकार(Types of Trading in Hindi)

ट्रेडिंग को इनके होल्डिंग समय के अनुसार निम्न वर्गो में बाँटा गया है |

  • इंट्राडे ट्रेडिंग (ट्रेड करना)
  • स्केप्लिंग ट्रेड करना 
  • मार्जिन ट्रेड करना 
  • मूहूर्त ट्रेड करना 
  • एल्गो ट्रेड करना 
  • डिलीवरी ट्रेड करना 
  • पोजीशनल ट्रेड करना 
  • स्विंग ट्रेड करना 
  • ऑप्शन ट्रेड करना 

इंट्राडे ट्रेडिंग (Intraday Trading in Hindi)

जब कोई ट्रेडर किसी कंपनी के शेयर को खरीद कर उसी दिन लाभ या हानि में बेंच देता है या बेच कर उसी दिन खरीद लेता है अर्थात जब कोई ट्रेडर अपनी पोजिशन एक दिन में काट ले, ट्रेड को अगले दिन के लिए होल्ड नहीं करता है तो इस प्रकार के ट्रेडर, इंट्राडे ट्रेडर तथा इस तकनीक को इंट्राडे ट्रेडिंग(Intraday Trading) कहा जाता है | इंट्राडे में ट्रेड करने वाले ट्रेडर एक दिन में ही अपने सौदे को काट लेते है, चाहे इन्हें लाभ हो रहा हो या हानि |

इंट्राडे Trading में ट्रेडर अपने पोजिशन को इंट्रा-डे के लिए ही ख़रीदा जाता है इसका लाभ यह होता है कि यदि आप ट्रेडिंग डे के अंत तक अपना पोजिशन काटना भूल जाये तो आपका ब्रोकर स्वतः ही सौदे को काट देता है | 

चूँकि आप अपना सौदा स्क्वायर ओंफ(square off) करना भूल गए अतः ब्रोकर सौदे को स्क्वायर ओंफ(square off) करने का चार्ज लेता है जो सामान्यतः 50 रूपया होता है | इस लिए बेहतर है कि आप अपने ट्रेड को समय रहते square off कर लें ताकि आप ब्रोकर के चार्ज से बचे रहे | ट्रेडिंग कैसे सीखें ?

इसे एक उदाहरण से समझाने का प्रयास करते है | 

जैसे मान लीजिये कि आप किसी कंपनी A के 100 शेयर को 500 रुपये पर खरीदना चाहते है | इसके लिए आपको 100 *500 = 50000 रुपये की आवश्यकता होगी | यदि आप किसी कंपनी में इंट्राडे ट्रेडिंग करते है तो ब्रोकर कंपनिया कुछ मार्जिन भी देती है जिससे ट्रेडर पूंजी से अधिक शेयर खरीद पाता है | 

हम मान कर चलते है कि ब्रोकिंग कंपनी ने 50 प्रतिशत का मार्जिन दिया है तो अब ट्रेडर उतनी ही पूंजी 50,000 में दुगना शेयर अर्थात 100 के बजाय 200 शेयर खरीद सकता है |

ट्रेडर अपने टेक्निकल एनालिसिस के अनुसार शेयर को 500 पर खरीद कर 520 रुपये पर बेचना चाहता है | ट्रेडर के एनालिसिस के अनुसार 495 रुपये पर स्टॉप लॉस लगाना ट्रेडर के रिस्क-रिवार्ड रेशियो ट्रेडर के हक़ में नज़र आता है | 

अब यदि ट्रेडर अपने इस ट्रेड को लेता है तो टार्गेट हिट होने के बाद ट्रेडर का लाभ = 200*520-200*500 = 200*20 = 4000 रुपये |

यदि ट्रेड में ट्रेडर का स्टॉप लॉस हिट होता है तो ट्रेडर का नुकसान = 200*500-200*495 = 200*5 = 1000 |

इंट्राडे ट्रेडिंग मार्जिन(Intraday Trading Margin)

ब्रोकर कंपनिया अपने ग्राहकों को पूंजी से अधिक वैल्यू के शेयर में खरीद बिक्री की अनुमति देती है इसे मार्जिन(Margin) या लिवरेज (Leverage) कहा जाता है | इसे एक प्रकार का उधार माना जाता है जिसे इंट्राडे ट्रेडर अपने ब्रोकर से एक दिन के लिए  लेता है | इसके लिए ब्रोकर कंपनिया आपसे कुछ ब्याज चार्ज करती है |

नए ट्रेडर को ब्रोकर कंपनी के मार्जिन का प्रयोग नहीं करना चाहिए | ट्रेडर जब मार्जिन का प्रयोग कर ट्रेड करता है तो सही जाने पर लाभ अधिक होता है लेकिन यदि आपका ट्रेड गलत हो गया तो आपको नुकसान भी बड़ा होता है | अर्थात जहाँ आपको 10 प्रतिशत का नुकसान होना होता है मार्जिन की वजह से यह 20 % हो जाता है जब आपका ब्रोकर 50 % मार्जिन देता है |

ब्रोकर कंपनिया 20 प्रतिशत से लेकर 80 प्रतिशत तक मार्जिन देती है | आप जितना मार्जिन उपयोग करेंगे आपका रिस्क उतना बड़ा होगा | ब्रोकर कंपनिया आपको मार्जिन केवल इंट्राडे Trading में देते है डिलीवरी में नहीं | शेयर बाज़ार में निवेश के नियम

इंट्राडे ट्रेडिंग कैसे करें(How to do Intraday Trading)

यदि आप शेयर बाज़ार में ट्रेडिंग करने के इरादे से बाज़ार में एंट्री करना चाहते है तो सबसे पहले आपको किसी भी ब्रोकर कंपनी से एक डीमेट अकाउंट खोलना पड़ेगा |

भारत में कई ब्रोकिंग कंपनिया है | कुछ डिस्काउंट ब्रोकर कंपनी है तो कुछ फुल सर्विस ब्रोकर कंपनी है | आप ब्रोकर कंपनी के वार्षिक चार्ज तथा ब्रोकिंग चार्ज के साथ बेहतर Trading प्लेटफार्म के सुविधा के अनुसार अपने ब्रोकिंग कंपनी का चुनाव कर सकते है |

इंट्राडे ट्रेडिंग कैसे करें

इसके बाद आप अपने रिस्क क्षमता के अनुसार अपने बैंक खाते से डीमेट खाते में धनराशि को ट्रांसफर करना होगा | यदि आप नए निवेशक है तो हमारी सलाह है कि आप Trading की शुरुआत कम पूंजी से करें | आपको ट्रेडिंग करने से पहले “ट्रेडिंग कैसे करें” को सीखना होगा | डायवर्सिफिकेशन क्या है ?

इंट्राडे ट्रेडिंग कैसे काम करता है(How Intraday Trading Works)

शेयर बाज़ार में ट्रेड करने वाले ट्रेडर का कार्य बहुत सीधा होता है | ये दो प्रकार से ट्रेडिंग करते है |

  • शेयर को कम कीमत पर खरीद कर अधिक कीमत पर बेंचना 
  • शेयर को अधिक कीमत पर बेंच कर कम कीमत पर खरीदना 

इंट्राडे में ट्रेड करना एक खतरनाक ट्रेडिंग है | यदि आपका एनालिसिस गलत हो जाता है तो आपका स्टॉप लॉस कट जायेगा तथा आपको बड़ा नुकसान उठाना पड सकता है | इंट्राडे में ट्रेड करना इसलिए भी और खतरनाक हो जाता है क्योंकि इसमें ट्रेड करने के लिए एक दिन का सिमित समय होता है | 

यदि शेयर बाज़ार के प्राइस एक्शन को समझ जायेंगे तो आप टेक्निकल एनालिसिस को बेहतर तरीके से उपयोग कर पाएंगे | 

कहने के लिए तो ट्रेडिंग बहुत आसान है कि शेयर को कम कीमत पर खरीकर अधिक कीमत पर बेंच दे या अधिक कीमत पर बेंच कर कम कीमत पर खरीद लें |

लेकिन इसकी बड़ी समस्या ये है कि शेयर कब ऊपर जायेगा या कब निचे जायेगा, ये किसी को पता नहीं होता है | जिस किसी को शेयर की चाल समझ आ गया वो ट्रेडिंग की दुनिया का बादशाह बन जाता है | आईपीओ (प्रारंभिक सार्वजनिक निर्गम)

ट्रेडिंग करना कैसे सीखें (How to Learn Trading in Hindi)

इंट्राडे ट्रेडिंग सीखने से पहले आपको शेयर बाज़ार के बेसिक जैसे- शेयर क्या है, शेयर बाज़ार क्या है, शेयर बाज़ार में शेयर की कीमत कैसे ऊपर निचे होता है की जानकारी होना आवश्यक है |

यदि अपने शेयर बाज़ार के बेसिक को जान लिया है तो बाज़ार के चार्ट का टेक्निकल एनालिसिस, प्राइस एक्शन मूवमेंट, चार्ट पैटर्न , कैंडलस्टिक चार्ट पैटर्न, कैंडलस्टिक पैटर्न के साथ साथ सपोर्ट, रेजिस्टेंस को अच्छे से समझना चाहिए | इन सबका अध्ययन कर लेने के बाद आपको ट्रेडिंग सीखने के क्षेत्र में अपना पहला कदम रखना चाहिए | शेयर बाज़ार में ट्रेडिंग सीखने की शुरुआत आप निम्न स्टेप्स का पालन करने के पश्चात्, कर सकते है | ट्रेडिंग कैसे सीखें ?

1. शेयर बाज़ार के बेसिक जानकारी को समझे

शेयर बाज़ार में आप ट्रेडिंग करना चाहते है या निवेश करना चाहते है तो आपको शेयर बाज़ार की बेसीक जानकारी को सीखना पड़ेगा जैसे –

  • शेयर क्या है 
  • कोई कंपनी शेयर बाज़ार में कैसे लिस्ट होता है 
  • शेयर बाज़ार का नियामक सेबी कौन है 
  • शेयर बाज़ार क्या है | 
  • शेयर बाज़ार कैसे कार्य करता है 
  • शेयर बाज़ार में शेयर कैसे ऊपर निचे जाता है 
  • शेयर की कीमत-किन किन बातो पर निर्भर करती है 

आम तौर पर नए ट्रेडर शेयर बाज़ार के बेसिक जानकारी को जाने बिना ही कैंडलस्टिक पैटर्न या सपोर्ट रेजिस्टेंस का प्रयोग कर ट्रेडिंग करने लगते है | लेकिन  शेयर बाज़ार के बेसिक और टेक्निकल के अनुभव की कमी के कारण टेक्निकल एनालिसिस का सही से प्रयोग नहीं कर पाते है तथा अपना नुकसान करा लेते है | अंत में ये लोग शेयर बाज़ार को भला बुरा तथा जुआ बताकर औरों को शेयर बाज़ार से दूर रहने की सलाह बांटने लगते है | शेयर खरीदने और बेचने का उत्तम समय ?

2. शेयर बाज़ार के टेक्निकल एनालिसिस को समझे

इंट्राडे ट्रेडिंग में निपुण होने के लिए टेक्निकल एनालिसिस का बेहतर ज्ञान होना अति आवश्यक है | यहाँ टेक्निकल एनालिसिस के कुछ प्रमुख घटकदिए गए है जिनका अध्ययन करना आवश्यक है :-

टेक्निकल एनालिसिस को पूरी तरह से सीख लेने के बाद ही ट्रेडिंग की दुनिया में अपना कदम रखना चाहिए 

3. यू-ट्यूब से ट्रेडिंग का अनुभव लें 

आज कल कई यू-ट्यूब चैनल ऐसे है जो अपने चैनल के माध्यम से ट्रेडिंग को सिखाते है | आप चाहे तो इनका सहारा लेकर अपने ट्रेडिंग के हुनर को निखार सकते है | लेकिन आज कल कुछ भ्रामक चैनल भी है जो ट्रेडिंग के गलत तरीके को बताते है | आपको यह देखना है कि चैनल पर बताये जा रहे ट्रेडिंग के तरीको का आधार क्या है | 

यदि चैनल पर बताये गए ट्रेड का आधार टेक्निकल एनालिसिस है तो सही है, लेकिन यदि चैनल पर बिना किसी आधार के ट्रेड लिया जा रहा है तो आपको ऐसे चैनल से सावधान होने की जरूरत है | मारुबोज़ू कैंडलस्टिक पैटर्न(Marubozu Candlestick Pattern)

4. ट्रेडिंग संबंधी बुक का अध्ययन करें

यदि आपने ट्रेडिंग के बेसिक को समझ लिया है तो आप बड़े-बड़े एक्सपर्ट के द्वारा लिखे गए बुक का अध्ययन कर ट्रेडिंग के गहराइयों को जानने का प्रयास कर सकते है |

5. पेपर ट्रेडिंग करें 

यदि आप उपरोक्त चारो तरीकों से ट्रेडिंग का अध्ययन कर चुके है तो अब आपको पेपर ट्रेडिंग कर अपने टेक्निक तथा अध्ययन को आजमाना उचित होगा | पेपर ट्रेडिंग भी एक प्रकार का ट्रेडिंग होता है फर्क बस इतना होता है कि यह ट्रेड आपके डीमेट खाते में न होकर एक पेपर पर होता है | 

इसमें जब भी आपको आपके एनालिसिस के अनुसार बाज़ार में ट्रेड दिखे तो आप उसके खरीदने की कीमत, टार्गेट, स्टॉप लॉस को एक पेपर पर नोट करें | इसके बाद आप देंखे कि आपको इस ट्रेड में स्टॉप लॉस हिट होता है या टार्गेट | 

इस प्रकार से जब आप 10 ट्रेड में 8 में लाभ कमाए तब आप खुद को शेयर बाज़ार में ट्रेडिंग के लिए तैयार मान सकते है | अब आपको शेयर बाज़ार के कैश मार्केट में ट्रेडिंग करना उचित होगा | यदि आप ट्रेडिंग की शुरुआत कर रहे है है तो आपको कम पूंजी के साथ ट्रेडिंग की शुरुआत करनी चाहिए |

लेकिन यदि आप पेपर ट्रेडिंग में 10 में से 8 से कम ट्रेड में लाभ कमा रहे है तो आपको अभी और अध्ययन की आवश्यकता है | डिविडेंट क्या है ? what is dividend

इंट्राडे ट्रेडिंग के नियम(Intraday Trading Rules in Hindi)

शेयर बाज़ार में इंट्राडे ट्रेडिंग करने के कुछ नियम है जिनका पालन एक ट्रेडर को अवश्य करना चाहिए | तो आईये आज हम सब ट्रेडिंग के इन नियमों का अध्ययन करते है |

इंट्राडे ट्रेडिंग के नियम 

a) स्टॉप लॉस (Stop Loss)

एक ट्रेडर के लिए बहुत जरुरी है कि वह ट्रेड लेने से पहले अपने ट्रेड के रिस्क तथा रिवार्ड की गणना अवश्य कर ले | रिस्क एंड रिवार्ड का अर्थ है कि आप ट्रेड में कितना लाभ कमाने के लिए कितना रिस्क लेना चाहते है | हमेशा आपका रिस्क छोटा तथा रिवार्ड बड़ा होना चाहिए | 

आप जब भी किसी किसी ट्रेड में स्टॉप लॉस लगाते है तो जैसे ही शेयर की कीमत स्टॉप लॉस पर पहुंचती है तो ब्रोकर आपके पोजिशन को काट देता है | इस प्रकार से ट्रेडर बड़े नुकसान से बच जाता है | ट्रेडर को अपने रिस्क तथा अपने ट्रेडिंग एनालिसिस के अनुसार टार्गेट तथा स्टॉप लॉस लगाना चाहिए | स्टॉप लॉस, आपका ट्रेड गलत होने पर आपको बड़े नुकसान से बचाता है | स्टॉप लॉस क्या है ?

ज्यादातर नए निवेशक स्टॉप लॉस को नहीं लगाते है बल्कि अपने मन में लिए रहते है तथा सोचते है कि जब शेयर की कीमत वहां पहुँच जायेगा तो वो एग्जिट कर लेंगे | लेकिन नए निवेशक ऐसा नहीं कर पाते है | मानव मनोविज्ञान के कारण वो अपने ट्रेड को नुकसान में नहीं काट पाते है तथा देखते-देखते अपना बड़ा नुकसान करा लेते है |  इसलिए ट्रेडर को सलाह दी जाती है कि ट्रेड लेने के तुरंत बाद स्टॉप लॉस को अवश्य लगाये | पताका चार्ट पैटर्न(Pennant Chart Pattern) क्या है ?

b) क्षमता के अनुसार ट्रेड लें (Trade According to Capacity)

हर ट्रेडर शेयर बाज़ार से लाभ कमाने के इरादे से आता है | इसी चक्कर में वो ट्रेडिंग को सीख कर बड़ी पूंजी के साथ ट्रेड करना आरंभ कर देता है | यह सही नहीं है | ट्रेडर को ट्रेडिंग की शुरुआत कम पूंजी के साथ करनी चाहिए | नए ट्रेडर के ट्रेड में गलती होने के चांस अधिक होते है | यदि आप बड़ी पूंजी से ट्रेड करेंगे तो आप जल्द ही अपना बड़ा नुकसान करा लेंगे | 

इसलिए नए ट्रेडर को सलाह दी जाती है कि वो ट्रेडिंग की शुरुआत कम पूंजी के साथ करें जिससे ट्रेडर की लर्निंग तथा अर्निंग दोनों होती रहे | Best Small Cap Stocks to Buy Now

c) ट्रेड दिखे तभी ट्रेड लें (Take the Trade When You See the Trade)

कई मामलों में देखा जाता है कि ट्रेडर, ट्रेड का इंतज़ार करते रहते है | लेकिन उन्हें उनकी ट्रेडिंग स्ट्रेटजी के अनुसार ट्रेड नहीं मिलता है तो वे इंतजार नहीं कर पाते है तथा गलत ट्रेड ले लेते है | नतीजन उन्हें ट्रेड में नुकसान उठाना पड़ता है |

इसलिए ट्रेडर को धैर्य से काम लेना चाहिए तथा जब उनकी ट्रेडिंग स्ट्रेटजी के अनुसार ट्रेड मिले तभी ट्रेड लेना चाहिए | कभी भी भावनाओं को बाज़ार में हावी न होने दें | सामान्यतः ट्रेडर भावनाओं के वश में ही गलत ट्रेड लेता है जबकि उसे अपने एनालिसिस के अनुसार ही ट्रेड लेना चाहिए | गलत ट्रेड न लेना भी एक प्रकार का ट्रेड होता हो जो आपकी पूंजी को सुरक्षित रखता है | मारुबोज़ू कैंडलस्टिक पैटर्न

d) शेयर की तरलता चेक करें

इंट्राडे ट्रेडिंग केवल दिन भर के लिए होता है अतः आपको इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए ऐसे शेयर की तलाश करना चाहिए जिसमे वोलैटिलिटी अधिक हो अर्थता शेयर में उतार-चढाव अधिक हो | ट्रेड में वोलैटिलिटी अधिक होने पर आप ट्रेड में एंट्री तथा एग्जिट आसानी से ले पाएंगे | 

किसी शेयर की तरलता चेक करने के लिए शेयर का प्रतिदिन ट्रेडेड वॉल्यूम और Bid-Ask spread को देख सकते हैं। Bid-ask spread अधिक होने का अर्थ है कि शेयर में तरलता अधिक है | 

e) ट्रेड  की योजना तैयार करें(Create a Trade Plan)

किसी भी ट्रेड में ट्रेड लेने से पहले ट्रेडर को अपने ट्रेड की योजना अवश्य बना लेनी चाहिए | अर्थात ट्रेड लेने से पहले ट्रेड में एंट्री प्राइस, ट्रेड का टार्गे , ट्रेड का स्टॉप लॉस स्पष्ट होना चाहिए | वॉरेन बफेट का जीवन दर्शन / Warren Buffett Biography In Hindi

f) गलत ट्रेड न करना भी एक ट्रेड है(Not Making a Wrong Trade is Also a Trade)

कभी-कभी ट्रेड न लेना भी एक प्रकार का ट्रेड होता है | जब आपको शेयर बाज़ार में कोई ट्रेड न मिले तो बेहतर है कि आप गलत ट्रेड न लें बल्कि आराम फरमाए | कई बार ऐसा देखा जाता है कि हम अपनी ट्रेडिंग स्ट्रेटजी के अनुसार ट्रेड की तलाश कर रहे होते है लेकिन ट्रेड नज़र नहीं आता है | इस स्थिति में हम जल्दबाजी दिखाते है तथा भावनाओ के वश में आकर बिना ट्रेड के ट्रेड ले लेता है | 

ऐसे में आप अपना नुकसान करा लेते है | इसलिए ट्रेडिंग का नियम कहता है कि यदि ट्रेडिंग स्ट्रेटजी के अनुसार ट्रेड न मिले तो बेहतर है कि आप ट्रेड न लें | क्योंकि ट्रेड लेकर आप अपना नुकसान करा लेंगे | इससे तो बेहतर है कि आप ट्रेड न लें तथा अपनी पूंजी को बेहतर ट्रेड के लिए सुरक्षित रखे | ट्रेडिंग कैसे सीखें?

g) रिस्क-रिवार्ड प्रबंधन(Risk-Reward Management)

आपको ट्रेड लेने से पहले अपने ट्रेड के रिस्क तथा रिवार्ड की गणना करना चाहिए | अर्थात आप कितना लाभ कमाने के लिए कितना रिस्क ले सकते है | आपको हमेंशा कम रिस्क लेकर अधिक लाभ कमाने पर फोकस करना चाहिए |
 
इसके लिए रिस्क रिवार्ड मैनेजमेंट के बारे में अध्ययन करना चाहिए जो आपको कम रिस्क के साथ अधिक लाभ कमाने में मदद करता है |

h) इंट्राडे ट्रेडिंग से अधिक रिटर्न्स कमाने की उम्मीद ना रखें

इंट्राडे के ट्रेड में आपको बहुत बड़े रिटर्न की उम्मीद नहीं करना चाहिए | ट्रेडिंग में आपको वास्तविक रिटर्न की उम्मीद करना चाहिए | अर्थात आपको अपने ट्रेडिंग स्ट्रेटजी के साथ सच्चाई के साथ बने रहना चाहिए | ट्रेड लेने के बाद धैर्य तथा अनुशासन बनाये रखें क्योंकि ट्रेड लेने के बाद बाज़ार की हलचल आपको बिचलित कर सकती है | 

इंट्राडे ट्रेडिंग में आपको हमेशा अपने ट्रेडिंग स्ट्रेटजी के अनुसार टार्गेट तथा स्टॉप लॉस सेट कर लेना चाहिए | जैसे ही आपका टार्गेट या स्टॉप लॉस हिट हो जाये तो आपको ट्रेड से बाहर आ जाना चाहिए |

हाँ यदि आप अपने रिटर्न को बढ़ाना चाहते है तो आपको ट्रेलिंग स्टॉप लॉस का प्रयोग करना चाहिए जो आपके नुकसान को समय के साथ कम तथा आपके लाभ को बढाती जाती है | एडवांस/डिक्लाइन रेशियो

इंट्राडे ट्रेडिंग में टेक्निकल एनालिसिस का प्रयोग

शेयर बाज़ार में टेक्निकल एनालिसिस का बड़ा ही महत्व है | आप शेयर बाज़ार में निवेश करने के इरादे से आये हो या ट्रेड करने के इरादे से | टेक्निकल एनालिसिस आपको शेयर को सही कीमत पर खरीदने तथा बेचने में मदद करता है |

किसी शेयर को प्राइस-एक्शन तथा वॉल्यूम या अन्य किसी पैटर्न, टूल की सहायता से शेयर के कीमत को एनालाइस करना टेक्निकल एनालिसिस कहलाता है | टेक्निकल एनालिसिस में शेयर प्राइस मूवमेंट, शेयर का ट्रेंड, वॉल्यूम आदि का विश्लेषण किया जाता है |

किसी भी कंपनी के शेयर को आप बिना किसी टेक्निकल एनालिसिस के सही कीमत पर एंट्री या एग्जिट नहीं कर सकते है | टेक्निकल एनालिसिस के लिए आप शेयर बाज़ार के इंडिकेटर, ट्रेडिंग वॉल्यूम, चार्ट पैटर्न, सपोर्ट रेजिस्टेंस, ट्रेंड लाइन का प्रयोग कर सकते है | फ्लैग पैटर्न (Flag Pattern) क्या है ?

इंट्राडे ट्रेडिंग के स्ट्रेटजी(Intraday Trading Strategy in Hindi)

हर ट्रेडर का ट्रेडिंग स्ट्रेटजी अलग-अलग होते है |

इंट्राडे ट्रेडिंग के स्ट्रेटजी

निचे कुछ ट्रेड करने के तरीको को बताया गया है आप इनका अध्ययन कर शेयर बाज़ार में ट्रेड कर सकते है 

  • शेयर बाज़ार के इंडिकेटर के माध्यम से 
  • कैंडलस्टिक चार्ट पैटर्न के माध्यम से 
  • कैंडलस्टिक पैटर्न के माध्यम से 
  • सपोर्ट तथा रेजिस्टेंस के माध्यम से 

1. शेयर बाज़ार के इंडिकेटर के माध्यम से

शेयर बाज़ार में कई सारे इंडिकेटर उपलब्ध है जो बाज़ार के प्राइस एक्शन तथा वॉल्यूम को एनालिसिस कर शेयर के चाल की दिशा को बताने का प्रयास करते है जैसे –

आप शेयर बाज़ार में ट्रेड के दौरान इन इंडिकेटर का प्रयोग कर अपना लाभ बना सकते है | सामान्यतः सभी इंडिकेटर प्राइस एक्शन तथा वॉल्यूम के आधार पर कार्य करते है | इसलिए यह कतई आवश्यक नहीं है कि इंडिकेटर हर समय सही हो | इसलिए इंडिकेटर के साथ-साथ चार्ट एनालिसिस का भी सहारा लेना ट्रेड के परिणाम को बढ़ा देता है | इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए सर्वश्रेष्ठ इंडिकेटर

2. कैंडलस्टिक चार्ट पैटर्न के माध्यम से 

शेयर बाज़ार में शेयर की चाल के अनुसार समय-समय पर एक खास पैटर्न का निर्माण होता रहता है जो ब्रेक आउट तथा ब्रेक डाउन होने पर क्रमशः बड़ी तेज़ी या बड़ी मंदी का संकेत देते है | जैसे :-

आप इन पैटर्न का अध्ययन कर शेयर बाज़ार में ट्रेड कर सकते है | कैंडलस्टिक चार्ट पैटर्न से ट्रेड करने पर ट्रेडर को स्टॉप लॉस की गणना के लिए अलग से समय नहीं देना होता है | ये पैटर्न टार्गेट तथा स्टॉप लॉस को स्वतः ट्रेडर को बताते है | कैंडलस्टिक चार्ट पैटर्न क्या है ?

3. कैंडलस्टिक पैटर्न के माध्यम से

शेयर बाज़ार में कई कैंडलस्टिक पैटर्न है जो शेयर बाज़ार में चाल के अनुसार समय के साथ स्वतः बनते जाते है | कुछ कैंडलस्टिक पैटर्न इस प्रकार है :-

ये सभी कैंडलस्टिक पैटर्न ट्रेंड रिवर्सल पैटर्न होते है | अर्थात तेज़ी में चल रहे शेयर के ट्रेंड को मंदी में या मंदी में चल रहे शेयर के ट्रेंड को तेज़ी में बदलने का कार्य करते है | आप इन पैटर्न का अध्ययन कर अपने ट्रेड में बड़ा मुनाफा बना सकते है | ये पैटर्न भी ट्रेड में एंट्री पॉइंट, स्टॉप लॉस तथा टार्गेट को बताती है | कैंडलस्टिक पैटर्न

4. सपोर्ट तथा रेजिस्टेंस के माध्यम से 

सपोर्ट तथा रेजिस्टेंस भी एक प्रकार का कैंडलस्टिक चार्ट पैटर्न होता है | जिस लेवल पर शेयर में खरीदारी की जाती है वह सपोर्ट तथा जिस लेवल पर शेयर में बिकवाली की जाती है वो लेवल समय के साथ रेजिस्टेंस का रूप ले लेता है | ट्रेडर इनका प्रयोग सपोर्ट पर खरीदारी तथा रेजिस्टेंस पर बिकवाली कर करता है या सपोर्ट के ब्रेक डाउन पर तथा रेजिस्टेंस के ब्रेक आउट पर ट्रेड कर रिटर्न कमाते है | सपोर्ट तथा रेजिस्टेंस क्या है ?

इंट्राडे ट्रेडिंग के लाभ तथा हानि

जहाँ इंट्राडे में ट्रेड कर लाखों ट्रेडर माला-मॉल हो रहे है तो वही लाखो ट्रेडर नुकसान में रहते है | तो आईये आज हम सब इंट्राडे में ट्रेड करने के कुछ लाभ तथा हानि के बारे में चर्चा करते है |

इंट्राडे ट्रेडिंग के लाभ तथा हानि(Advantages and Disadvantages of Intraday Trading)

इंट्राडे ट्रेडिंग के लाभ(Advantages of Intraday Trading in hindi )

इंट्राडे ट्रेडिंग के लाभ को निम्न प्रकार से समझा जा सकता है |

तुरंत मुनाफा :- इंट्राडे ट्रेडिंग में ट्रेडर कुछ ही घंटो में बड़ा मुनाफा बना लेते है | चूँकि इसमे हम 1 मिनट के टाइम फ्रेम से लेकर 1 घंटे के टाइम फ्रेम का प्रयोग किया जाता है | अतः इसमे 5 मिनट या 3 से 4 घंटे में ट्रेड का परिणाम आ जाता है | आप प्राइस एक्शन का जितना बेहतर उपयोग करेंगे आप उतनी ही जल्दी प्रॉफिट बना पाएंगे |

ओवरनाइट का खतरा नहीं :- इसमे ट्रेडर को ट्रेडिंग समाप्त होने के बाद कंपनी तथा बाज़ार से सम्बंधित न्यूज का कोई डर नहीं होता है | जो ट्रेडर अपने पोजिशन को अगले दिन के लिए होल्ड करते है उनके ट्रेड पर कंपनी तथा बाज़ार से सम्बंधित न्यूज का पॉजिटिव या निगेटिव सेंटिमेंट का खतरा बना रहता है | 

कम पूंजी में अधिक ट्रेड :- इंट्राडे ट्रेड करने वाले ट्रेडर को ब्रोकर कंपनिया पूंजी से अधिक खरीद बिक्री करने की अनुमति देती है | इन्हें मार्जिन कहा जाता है | ब्रोकिंग कंपनिया 20 प्रतिशत से लेकर 80 प्रतिशत तक मार्जिन देती है | ट्रेडर मार्जिन का लाभ लेकर अपनी पूंजी से अधिक खरीद-बिक्री कर जल्द ही बड़ा मुनाफा बना लेता है |

फंडामेंटल एनालिसिस की आवश्यकता नहीं :- शेयर बाज़ार में किसी भी कंपनी में निवेश करने के लिए आपको कंपनी का फंडामेंटल एनालिसिस किया जाता है, जो हर किसी के लिए आसान नहीं होता है | लेकिन यदि आप शेयर बाज़ार में ट्रेड करना चाहते है तो आपको चार्ट का टेक्निकल एनालिसिस करना होता है जो फंडामेंटल एनालिसिस की तुलना में आसान होता है | 

Flexibility का लाभ :-  यदि आप शेयर बाज़ार में इंट्राडे ट्रेडिंग करना चाहते है तो आप शेयर बाज़ार के वोलिटिलिटी के कारण एक ही शेयर में कई बार ट्रेड ले सकते है | 

इंट्राडे ट्रेडिंग के नुकसान (Disadvantages of intraday trading in hindi)

उच्च तनाव(High stress) इंट्राडे में ट्रेड करने वाले व्यक्ति ट्रेड लेने के बाद जब तक ट्रेड से एग्जिट नहीं हो जाता है तब तक उसे तनाव का समाना करना पड़ता है |

बड़े नुकसान का खतरा :- ऐसा हर बार नहीं होता है कि आपके द्वारा किया गया ट्रेड का एनालिसिस हर बार सही हो जाये कभी कभी आपका ट्रेड गलत हो जाता है | शेयर की चाल आपके ट्रेड के वीपरीत हो चली जाती है | ऐसे में यदि आप स्टॉप लॉस का प्रयोग नहीं करेंगे तो आप अपना बड़ा नुकसान करा लेंगे |

भारी जोखिम(High risk)  इसमें आपको दिन भर के अन्दर ट्रेड लेकर पोजिशन को एग्जिट करना होता है | कम समय में ट्रेड लेकर लाभ कमाना तथा बाज़ार के वोलिटिलिटी से अपने ट्रेड को सुरक्षित रख पाना ट्रेडर के लिए जोखिम भरा होता है |

उच्च ब्रोकरेज :-  शेयर बाज़ार में निवेश की तुलना में ट्रेडिंग का ब्रोकरेज शुल्क अधिक होता है | आम तौर पर डिलीवरी में शेयर खरीदने/बेचने पर 0 ब्रोकरेज तथा इंट्राडे में ट्रेड करने पर 20 प्रति ट्रेड का शुल्क देना पड़ता है |

इस लेख से सम्बंधित प्रश्नोत्तरी

इंट्राडे ट्रेडिंग कैसे किया जाता है?

किसी कंपनी के शेयर का टेक्निकल एनालिसिस के आधार पर खरीद-ब्रिक्री कर लाभ कमाने का प्रयास ही ट्रेडिंग कहलाता है | शेयर बाज़ार में शेयरों की खरीद बिक्री के कारण हर पल शेयर की कीमत घटता बढ़ता रहता है | ट्रेडर, शेयर के इसी मुवंमेंट का लाभ उठाने की कोशिश करते है |

इंट्राडे ट्रेडिंग से कितना पैसा कमा सकते हैं?

शेयर बाज़ार में अरबो खरबों रुपये लगे होते है | आप शेयर बाज़ार में 5 पैसे से भी ट्रेडिंग/निवेश आरंभ कर सकते है | इसके अधिकतम निवेश/ट्रेडिंग की कोई सीमा नहीं है | आपके पास जितना भी धनराशि है आप उतना शेयर बाज़ार में लगाकर ट्रेडिंग कर सकते हैं | आप जीतनी बड़ी पूंजी बाज़ार में लगाकर ट्रेडिंग करेंगे आपका रिस्क तथा रिवार्ड उअताना ही बड़ा होगा |

क्या इंट्राडे ट्रेडिंग सुरक्षित है?

शेयर बाज़ार में सबसे सुरक्षित लंबे समय के लिए निवेश करना होता है | इंट्रा डे ट्रेडिंग एक जोखिम भरा होता है | लेकिन यदि शेयर बाज़ार के बेसिक तथा टेक्निकल एनालिसिस का बेहतर तरीके से प्रयोग करते हुए ट्रेडिंग के नियमो का पालन तथा जोखिम प्रबंधन करते हुए ट्रेडिंग किया जाय तो इंट्राडे ट्रेडिंग का रिस्क सिमिति हो जाता है |

क्या मैं 1000 रुपये से इंट्राडे ट्रेडिंग शुरू कर सकता हूं?

बिलकुल कर सकते है | आप बाज़ार में इंट्राडे ट्रेडिंग की शुरुआत 100 रुपये से भी कर सकते है | ब्रोकर कंपनी आपसे हर ट्रेड के सामान्यतः 20 रुपये प्रति ट्रेड के हिसाव से चार्ज करता है | आप ट्रेड 10 रुपये का लें या 10 लाख का |

इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए बेस्ट ऐप कौन सा है?

ऐसे ट्रेडिंग के प्लेटफार्म/ ऐप जो ट्रेडिंग स्मूथ कार्य करते है | बाज़ार का चार्ट खुलने में अत्यधिक समय नहीं लगते है उन्हें ट्रेडिंग के लिए बेस्ट ऐप कहा जाता है | यदि आप मेरी राय जाने तो मुझे ज़ेरोधा ब्रोकिंग कंपनी का ऐप Kite ट्रेडिंग के लिए सबसे बेहतर नजर आता है |

अगर हम इंट्राडे शेयर नहीं बेचते तो क्या होता है?

इंट्राडे के लिए लिया गया शेयर यदि दिन के अंत तक नहीं बेचा गया तो शेयर बाज़ार बंद होने के पहले ब्रोकिंग कंपनी आपके शेयर को स्वतः Square Off कर देती है | 

इंट्राडे ट्रेडिंग क्या है, यह कैसे काम करता है?

जब किसी कंपनी के शेयर में खरीद-बिक्री कर उसी दिन लाभ/हानि बुक कर लिया जाता है शेयर को अगले दिन के लिए होल्ड नहीं करता है तो इसे इंट्राडे ट्रेडिंग कहा जाता है | शेयर बाज़ार में शेयर की कीमत अप्स तथा डाउन होता रहता है | ट्रेडर अपनी एनालिसिस के माध्यम से शेयर के अगली चाल का पता लगाने का प्रयास करता है तथा उसी अनुसार ट्रेड लेकर लाभ कमाता है | 

इंट्राडे में शेयर खरीदने का सही समय क्या है?

सामान्यतः शेयर बाज़ार में सुबह 9;15 से ट्रेडिंग शुरू हो जाती है तथा 3:20 तक ट्रेडिंग की जा सकती है | लेकिन बड़े बड़े अनुभवी ट्रेडर का मानना होता है कि जब शेयर बाज़ार  स्टेबल होकर ट्रेड करने लगे अर्थात 10 बजे से दोपहर 2;30 बजे तक ट्रेड करने का उचित समय होता है |

इंट्राडे के लिए कौन सी टाइमफ्रेम बेस्ट है?

इंट्राडे ट्रेडिंग में आपको एक दिवस के भीतर ही अपना लाभ या हानि बुक करना होता है | अतः आपको 1 मिनट से लेकर 1 घंटे का चार्ट प्रयोग में लेना चाहिए | सामान्यतः 1 घंटे के टाइम फ्रेम का रिजल्ट 4 से 5 घंटे में आ जाता है |

सारांश (Summary)

दोस्तों आज के इस लेख में हम सबने ट्रेडिंग क्या है, ट्रेडिंग कैसे सीखे, इंट्राडे ट्रेडिंग मार्जिन क्या है, इंट्राडे ट्रेडिंग कैसे काम करता है, इंट्राडे ट्रेडिंग के नियम क्या-क्या है  के बारे में विस्तार से अध्ययन किया | इसके अलावा इस लेख से सम्बंधित किसी प्रकार का प्रश्न हो तो आप हमें contact@finohindi.com पर मेल कर सकते है |

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हेल्लो दोस्तों, मै पिछले 8 वर्षो से शेयर बाज़ार में निवेश तथा रिसर्च कर रहा हूँ | मै अपने अनुभव को Finohindi के माध्यम से आपके साथ सच्चाई के साथ सीधे तथा साफ शब्दों में बाटना चाहता हूँ | यदि आप शेयर बाज़ार में निवेश, ट्रेड करते है या आपकी शेयर बाज़ार में रूचि है तो आप सही जगह पर है

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