दोस्तों आपने शेयर तथा शेयर बाज़ार के बारे में तो सुना ही होगा पिछले अध्याय में हम सबने शेयर बाज़ार के फंडामेंटल एनालिसिस तथा टेक्निकल एनालिसिस जैसे- सपोर्ट तथा रेजिस्टेंस, कैंडलस्टिक चार्ट पैटर्न, कैंडलस्टिक पैटर्न आदि के बारे में विस्तार से जाना |
आज के इस लेख में हम शेयर के बारे में विस्तार से जानने का प्रयास करते है | आज के इस लेख में हम शेयर से सम्बंधित निम्न बातों को जानेंगे |
- शेयर(Stock) क्या है ?
- शेयर को कैसे खरीद सकते हैं |
- शेयर खरीदने का क्या अर्थ है |
- शेयर कितने प्रकार के होते है |
- किस शेयर, शेयर बाज़ार में कैसे लिस्ट होता है |
- शेयर को कब जोड़ा तथा कब तोडा जाता है |
शेयर(Stock) क्या है ? Full Details in Hindi
यदि किसी कंपनी की कुल पूंजी को अनेक सामान हिस्सों में बांट दिया जाय तो उस एक हिस्से को शेयर(Stocks) कहा जाता है । एक शेयर उस कंपनी का सबसे छोटा हिस्सा होता है |
शेयर(Stocks) का सीधा तथा शाब्दिक अर्थ होता है हिस्सा | अतः आप किसी कंपनी के जितने शेयर खरीदते है तो उसी अनुपात में कंपनी के हिस्सेदार हो जायेंगे | लम्बे समय तक निवेश करने के लिए शेयर
शेयर के कीमत का आंकलन कैसे किया जाता है
उदाहरण के लिए मान लीजिये कि KPIT Tech की कंपनी की कुल वैल्यू 10,000/- रुपये है तथा KPIT Tech कंपनी अपना आईपीओ (Initial Public Offer) लाकर कंपनी का कुछ हिस्सा बेचना चाह रही हो तो कंपनी पहले यह तय करती है कि उसे अपनी कंपनी के कुल कितने हिस्से(शेयर) करने है | मान लीजिये की कंपनी अपनी कंपनी के कुल 1000 हिस्से करना चाह रही है तो KPIT Tech कंपनी के एक शेयर का मूल्य = कुल वैल्यू /शेयरों की संख्या अर्थात 10000/1000 = 10 रूपया |
अब यदि आप KPIT Tech कंपनी के 1 शेयर(Stocks) खरीदेंगे तो आप KPIT Tech कंपनी के 1/1000 = 0.001 प्रतिशत के हिस्सेदार माने जायेंगे |
कंपनी की कुल वैल्यू या पूंजी शेयर बेचने के बाद शेयर कैपिटल (Share Capital) के नाम से जाना जायेगा। सपोर्ट तथा रेजिस्टेंस क्या है ?
शेयर में हिस्से का अर्थ(Meaning of share in share)
इसका साफ शब्दों अर्थ है कि आपने कंपनी के जितने प्रतिशत शेयर खरीदते है आप उतने ही प्रतिशत कंपनी पर अपना मालिकाना हक़ रखते है अर्थात कंपनी पर होने वाले लाभ तथा हानि पर भी आप उतने ही प्रतिशत हिस्सेदार होंगे | जिस व्यक्ति के पास कंपनी के सर्वाधिक शेयर (Stocks) होते है, वे कंपनी को अपने हिसाब से रेगुलेट कर सकते है | इन्हें ही कंपनी के प्रमोटर कहते है | कैंडलस्टिक चार्ट पैटर्न
शेयर मुख्यतः 3 प्रकार के होते है :–
- इक्विटी शेयर (Equity Share)
- प्रेफरेंस शेयर (Preference Share)
- DVR Share
कंपनी के पास पूंजी जुटाने के विकल्प
उपरोक्त आर्टिकल में हमने जाना कि शेयर क्या होता है तथा कंपनी में हिस्सेदारी का क्या अर्थ होता है | अब आप सोच रहे होंगे कि कोई कंपनी अपनी कंपनी के शेयर(Stocks) को क्यों तथा कैसे बेचती है | तो आईये इसे समझते है :–
किसी प्राइवेट कंपनी या पार्टनरशिप फर्म के शेयर(Stocks) उनके फाउंडर या पार्टनर्स के पास रहते हैं। जब इन कंपनियों को पहले से लिए गए ऋण को चुकाना हो या कंपनी खुद का विस्तार करना चाहती है तो इन्हें अधिक पूंजी की आवश्यकता होती है –
कंपनियों के पास पूंजी प्राप्त करने के दो प्रमुख विकल्प होते हैं |
- ऋण(Loan) के माध्यम
- आई0पी0ओ0 (Initial Public Offer) के माध्यम से
1. ऋण(Loan) के माध्यम से
कम्पनियाँ पूंजी जुटाने के लिए बैंकसे ऋण ले सकती है परन्तु ज्यादातर कंपनियां ऋण कम से कम लेना चाहती है क्योंकि कंपनियों को इसके लिए अधिक दर पर व्याज देना पड़ता है, जिससे कंपनी का लाभ प्रभावित होता है | डबल बॉटम चार्ट पैटर्न
2. आई0पी0ओ0 (Initial Public Offer) के माध्यम से
कंपनियां, पूंजी जुटाने के लिए अपनी कंपनी के शेयर(Stocks) को जनता में बेच सके, इसके लिए कंपनी अपना आई0पी0ओ0–IPO (Initial Public Offer) लेकर आती हैं। IPO लाने के बाद कंपनी के शेयर, शेयर बाज़ार में सूचीबद्ध (listed) हो जाते हैं जहां पर सेकेंडरी मार्केट में शेयरों की खरीद-बिक्री चालू हो जाती हैं। इस प्रकार कंपनी बिना कोई ब्याज दिए पूंजी जुटा लेती है | त्रिभुज चार्ट पैटर्न (Trianglechart pattern)
इन दोनों विकल्प में ऋण लेना कंपनी के लिए नुकसान दायक तथा आईपीओ के माध्यम से शेयर बाज़ार में सूचीबद्ध कराकर शेयर को बेचना लाभप्रद होता है | अतः कम पूंजी की आवश्यकता होने पर कंपनी ऋण लेना जबकि अधिक पूंजी की आवश्यकता होने पर कंपनी आईपीओ लाकर अपनी हिस्सेदारी बेचना पसंद करती है |
किसी कंपनी के शेयर कैसे खरीदे ?
स्टॉक मार्केट के शुरुआत में शेयरों की खरीद बिक्री एक बरगद के पेड़ के निचे मौखिक रूप से किया जाता था परन्तु समय के साथ शेयर बाज़ार का तथा शेयर खरीदने का तरीका बदल गया | भारत के दो सबसे बड़े स्टॉक एक्सचेंज सेंसेक्स(Sensex) तथा निफ्टी(Nifty) शेयरों की खरीद तथा बिक्री सम्बन्धी सभी सुविधाए उपलब्ध कराती है | आज के समय में किसी भी कंपनी के शेयर आप कुछ ही सेकण्ड में खरीद सकते है |अगर आप शेयर बाज़ार में लिस्टेड भी किसी कंपनी के फंडामेंटल तथा व्यवसाय को पसंद करते हैं और उस कंपनी के शेयर(Stocks) खरीदना चाहते हैं तो आपके पास एक डीमैट अकाउंट होना आवश्यक है। अच्छी कंपनी के शेयर खरीदना और उसमें लंबे समय तक निवेशित रहना एक बहुत ही बढ़िया निवेश माना जाता है |
डीमैट अकाउंट (Demat Account)
वर्तमान समय में बहुत सारे फुलटाइम ब्रोकर तथा डिस्काउंट ब्रोकर उपलब्ध है | आप अपनी सुविधा के अनुसार किसी भी ब्रोकर के साथ अपना डिमैट अकाउंट खुलवा सकते हैं। डिमैट अकाउंट को स्मार्टफोन या कंप्यूटर के माध्यम संचालित कर बड़ी आसानी से शेयर खरीद या बेच सकते हैं । लम्बी अवधि के लिए ख़रीदे गए शेयर(Stocks) इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में होते हैं, जो आपके डिमैट अकाउंट में सुरक्षित रहते हैं | एडवांस/डिक्लाइन रेशियो
शेयर वैल्यू ग्रोथ (Share value growth)
यदि आप द्वारा कोई शेयर(Stocks) ख़रीदा गया है तथा कुछ समय बाद उस शेयर का दाम ऊपर चला जाये तो इसे शेयर वैल्यू ग्रोथ कहा जाता है | यदि आप द्वारा कंपनी का फंडामेंटल एनालिसिस तथा टेक्निकल एनालिसिस करने के बाद शेयर को उसके सपोर्ट पर खरीदारी की है तो आपको लम्बे समय तक निवेश करने पर बड़ा मुनाफा शेयर वैल्यू ग्रोथ के रूप में मिलेगा |
शेयर के विभिन्न रूप(different forms of shares)
कंपनी के शेयर को उसके कॉर्पोरेट गतिविधि के अनुसार निम्न प्रकार से वर्गीकृत किया गया है |
- प्लेज शेयर (Pledge Stock)
- राइट शेयर( Right Share)
- बोनस शेयर (Bonus Share)
- स्वेट इक्विटी (Sweat Share)
- स्वेट इक्विटी (Sweat Share)
- स्टॉक स्प्लिट तथा रिवर्स स्टॉक स्प्लिट
प्लेज शेयर (Pledge Stock) क्या है?
जब कंपनी के प्रमोटर द्वारा किसी से ऋण लेकर, गारंटी के तौर पर अपने कंपनी के शेयर को गिरवी रख देते है तो इस प्रकार गिरवी रखे गए शेयर को प्लेज शेयर (Pledge Share) कहा जाता है | जिन कंपनियों में प्लेजिंग लगातार बढ़ रही है, ऐसी कंपनियां निवेश के लिए अच्छी नहीं मानी जाती हैं | कंपनी का फंडामेंटल एनालिसिस कैसे करें ?
राइट शेयर( Right Share) क्या है?
जब कंपनिया अपने निवेशको को द्वितीयक बाजार के माध्यम से खरीदने के बजाय कंपनी से अतिरिक्त शेयर सीधे रियायती मूल्य पर जारी करती है तो उसे राइट शेयर कहा जाता है यह शेयर होल्डर्स के स्वामित्व की रक्षा हेतु जारी किये जाते है |
बोनस शेयर (Bonus Share) क्या है?
जब कंपनिया अपने शेयर होल्डर को डिविडेंड के रूप में शेयर जारी करती है तो इस प्रकार जारी किये गए शेयर्स को बोनस शेयर कहा जाता है |
जब कंपनी अपने बिजनेस में लाभ कमा रही होती है तथा कंपनी को अपने बिजनेस को बड़ा करने या अन्य बिजनेस में उपयोग के लिए पूंजी की आवश्यकता होती है | लेकिन कंपनी अपने निवेशक को नियमित डिविडेंट भी देना चाहती है तो कंपनी अपनी शेयर होल्डर को बिना किसी लागत के अतिरिक्त शेयर जारी करती है | इसे ही बोनस शेयर (Bonus Share) कहा जाता है | टेक्निकल एनालिसिस क्या है ?
स्वेट इक्विटी (Sweat Share) क्या है?
जब कंपनी द्वारा अपने कर्मचारियों या डायरेक्टर्स को अपनी कंपनी के शेयर छुट पर या किसी कार्य के लिए पुरस्कार के तौर पर जारी किए जाते हैं तो इन्हें स्वेट इक्विटी शेयर कहा जाता हैं |
स्टॉक स्प्लिट तथा रिवर्स स्टॉक स्प्लिट
जब किसी कंपनी को लगता है कि कंपनी के शेयर की कीमत बढ़ते-बढ़ते अधिक हो गयी है | कम पूंजी के निवेशक को कंपनी के शेयर खरीदने में समस्या हो रही है तब कंपनी अपने शेयर को निश्चित अनुपात में विभाजित कर देती है जिसे स्टॉक स्प्लिट(Stock Split) कहा जाता है | स्टॉक स्प्लिट क्या है ? Stock Split Meaning in Hindi
इसी प्रकार जब किसी कंपनी को लगता है कि कंपनी का शेयर गिरते-गिरते पेनी शेयर बन गया है तथा कंपनी पर बाज़ार से डिलिस्ट होने का खतरा मंडरा रहा है, तब कंपनी अपने शेयर को एक निश्चित अनुपात जोड़ देती है जिसे बाज़ार की भाषा में रिवर्स स्टॉक स्प्लिट(Reverse Stock Split) कहा जाता है | इससे शेयर की कीमत उसी अनुपात में बढ़ जाता है तथा कंपनी शेयर बाज़ार से डिलिस्ट होने से बच जाती है | रिवर्स स्टॉक स्प्लिट क्या है?
लाभांश (Dividend)
किसी कंपनी द्वारा अपने शुद्ध लाभ का एक हिस्सा जो शेयर धारकों को अतिरिक्त लाभ के रूप में बांट दी जाती है उसे डिविडेंड कहा जाता है | शेयर(Stocks) बाज़ार में केवल कुछ कंपनियां ही डिविडेंड देती हैं जो प्रति शेयर(Stocks) के हिसाब से दिया जाता है | फ्लैग पैटर्न (Flag Pattern) क्या है ?
जिन कंपनियों द्वारा अपने लाभ का ज्यादातर हिस्सा डिविडेंट के रूप में शेयर धारको को बाँट दी जाती है, उन कंपनियों में ग्रोथ/विस्तार की संभावना कम होती है | तथा जो कंपनियां डिविडेंड नहीं देती हैं या कम से कम देती तथा कमाए गए लाभ को वापस कंपनी की ग्रोथ में लगाती है, जिससे शेयर होल्डर को शेयर वैल्यू ग्रोथ के रूप में लाभ प्राप्त होता है |
अतः यदि आपको किसी कंपनी का व्यवसाय पसंद है, परन्तु आपके पास इतनी पूंजी नहीं है कि आप उस व्यवसाय को आरंभ कर सके, तो आप अपनी मनपसन्द कंपनी में निवेश कर कंपनी के बिज़नेस में भागीदार बन सकते है |
शेयर में किया गया निवेश बहुत ही लाभदायक साबित हो सकता है अगर निवेश, जाँच पड़ताल कर टेक्निकल एनालिसिस तथा फंडामेंटल एनालिसिस करने के बाद किया गया हो | ज्यादातर बड़े-बड़े अमीर व्यक्ति शेयर बाज़ार से ही अमीर बने है |
इस लेख से सम्बंधित प्रश्नोत्तरी
यदि किसी कंपनी की कुल पूंजी को अनेक सामान हिस्सों में बांट दिया जाय तो उस एक हिस्से को 1 शेयर कहा जाता है । यह कंपनी के हिस्से का सबसे छोटा भाग होता है | 1 शेयर की कीमत कंपनी के कुल पूंजी तथा उसे बाटे गए शेयरों की संख्या पर निर्भर करता है | 1 शेयर की कीमत = कंपनी का कुल पूंजी / शेयर की संख्या | यदि आप शेयर बाज़ार से शेयर खरीद कर निवेश या ट्रेडिंग करना चाहते है तो आपको सबसे पहले किसी भी ब्रोकर कंपनी से एक डीमेट खाता खोलवाना पड़ेगा | वर्तमान परिदृश्य में डीमेट खाता खोलना बहुत आसान है | आप 30 मिनट के भीतर अपना एक डीमेट खाता खोल सकते है | शेयर बाज़ार में लिस्टेड सभी कंपनिया आपके डीमेट अकाउंट में दिखाई देता है | आप बड़ी आसानी से शेयर खरीदकर अपने डीमेट खाते में सुरक्षित रख सकते है | एक शेयर की कीमत इस बात पर निर्भर करता है कि कंपनी के मैनेजमेंट में कंपनी के कुल पूंजी के कितने हिस्से किये है | नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (National Stock Exchange) भारत का सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज है | इस स्टॉक एक्सचेंज की स्थापना वर्ष 1992 में किया गया था | नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (National Stock Exchange) तकनीकी रूप से अग्रणी स्टॉक एक्सचेंज है जिसने पहली बार पेपर आधारित ट्रेडिंग को बंद कर उन्नत इलेक्ट्रानिक ट्रेडिंग सिस्टम को विकसित किया था, जो आज भी प्रचलन में है | इसके इंडेक्स में 50 कंपनिया लिस्टेड है जिन्हें हम निफ्टी 50 के नाम से जानते है | डिविडेंड का मतलब होता है लाभ में हिस्सा | यदि कोई कंपनी डिविडेंट देना चाहती है तो वह वर्ष भर में अधिकतम 4 बार डिविडेंट दे सकती है | प्रत्येक कंपनिया हर तिमाही अपना वित्त्तीय लेखा-जोखा प्रदर्शित करती है | जिन कंपनियों को डिविडेंट देना होता है, वो इसी वित्तीय लेखा जोखा के साथ डिविडेंट की घोषणा करती है |1 शेयर का मतलब क्या होता है?
शेयर कैसे ख़रीदा जाता है?
एक शेयर की कीमत कितनी होती है?
किसी कंपनी के 1 शेयर की कीमत = कंपनी की कुल पूंजी / कंपनी के शेयरों की संख्या
अर्थात यदि कंपनी की कुल पूंजी 10000 है, तथा कंपनी अपने 200 हिस्से(शेयर) में बांटना चाहती है तो
1 शेयर की कीमत = 10000/200 = 50 रुपये |भारत में नंबर 1 शेयर बाजार कौन है?
डिविडेंड का मतलब क्या होता है?
जब किसी कंपनी का बिजनेस ग्रो कर रहा होता है तो वह लाभ कमाती है | जब कंपनी अपने लाभ का कुछ हिस्सा अपने शेयर धारको में बाँट देती है तो इस लाभ के हिस्से को डिविडेंट कहा जाता है | कंपनी द्वारा डिविडेंट देना कंपनी के मैनेजम्नेट के ऊपर निर्भर करता है | कुछ कंपनिया डिविडेंट देती है कुछ नहीं देती है |डिविडेंड साल में कितनी बार मिलता है?
सारांश(Summary)
आज के इस लेख शेयर(Stock) क्या है ? Full Details in Hindi में हमने जाना की शेयर क्या होता है, किसी कंपनी के एक शेयर के कीमत का निर्धारण कैसे किया जाता है, कोई कंपनी अपने शेयर को शेयर बाज़ार में कैसे लिस्ट करती है | इसके साथ-साथ हमने जानाकि प्लेज शेयर (Pledge Stock) क्या है?, राइट शेयर( Right Share) क्या है?, बोनस शेयर (Bonus Share) क्या है?, स्वेट इक्विटी (Sweat Share) क्या है? |
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