प्रारंभिक सार्वजनिक निर्गम – Initial Public Offer Full Details in Hindi

आपने कभी न कभी तो IPO (Initial Public Offering) आई.पी ओ. का नाम सुना ही होगा | कभी समाचार में या तो कभी विज्ञापन के माध्यम से | तो आईये आज प्रारंभिक सार्वजनिक निर्गम – Initial Public Offer Full Details in Hindi के इस आर्टिकल में हम जानने का प्रयास करते है कि IPO (Initial Public Offering) क्या होता है, इसे कैसे खरीद सकते है, IPO के फायदे तथा नुकसान क्या है |
 
वैसे तो शेयर बाज़ार बहुत ही रिस्की माना जाता है, लेकिन देखा जाय तो ज्यादातर अमीर व्यक्ति शेयर बाज़ार से ही अमीर बने है | यह जितनी तेज़ी से आपका लाभ देता है उतनी ही  तेज़ी से नुकसान भी देती है | इसलिए अगर आप शेयर बाज़ार में इन्वेस्ट करना चाहते है तो शेयर बाज़ार की बारीकियों को अच्छी तरह से समझ कर ही इन्वेस्ट करें | ट्रेडर बाज़ार की इसी उतार चढाव का लाभ उठाते है | 
 

IPO (Initial Public Offering) की परिभाषा

जब कोई कंपनी अपने कंपनी के शेयर को पहली बार सामान्य नागरिकों के लिए जारी करती है तो उसे IPO (Initial Public Offering) या शुरुआती सार्वजनिक प्रस्ताव कहा जाता है |

मान लीजिये कोई कंपनी A है | कंपनी खुद को एक्सपेंड करने के लिए ऋण ले चुकी है | कंपनी का ऋण ज्यादा होने के कारण कंपनी का प्रॉफिट प्रभावित हो रहा है, क्योंकि कंपनी को एक नियत ब्याज हर माह चुकाना पड़ रहा है | मान लीजिये कम्पनी A का बिजनेस अच्छा चल रहा है | चूँकि कंपनी का कार्य अच्छा चल रहा है, अतः अब कंपनी अपना विस्तार कर अपना बिजनेस अन्य राज्यों/ देशों में  फैलाना चाहती है | लेकिन धनराशि(पूंजी) की कमी के कारण कंपनी अपने विस्तार नहीं कर पा रही है |

Initial Public Offer - प्रारंभिक सार्वजनिक निर्गम Full Details in Hindi

अब कंपनी A पूंजी (धनराशि ) जुटाने के लिए मुख्यतः निम्न स्रोतों का सहारा ले सकती है  :-

  • बैंक से ऋण |
  • बांड इशु करना
  • IPO (Initial Public Offering) लाना

ऋण(Loan)

कंपनी A किसी बैंक या NBFC से ऋण  ले सकती है | चूँकि कंपनी के पास पहले से ही ऋण है, जो कंपनी के लाभ पर असर डाल रही है, और अधिक कर्ज लेना न ही कंपनी के लिए आसान होगा और न ही अच्छा होगा  | स्टॉक स्प्लिट क्या है ? Stock Split Meaning in Hindi

बॉन्ड इशु करना(Bond issue)

बॉन्ड, कंपनी  के लिए पैसा जुटाने का एक माध्यम है | बॉन्ड से जुटाए गया पैसा कर्ज की श्रेणी में आता है | जब कंपनियों को छोटी/कम पूंजी की आवश्यकता होती है तो कंपनिया बॉन्ड इशु कर अपनी जरूरतों को पूरा करती है | चूँकि यह भी एक प्रकार का ऋण है, अतः कंपनी A की सेहत के लिए यह भी अच्छा विकल्प नहीं है | कैंडलस्टिक चार्ट पैटर्न क्या है ?

IPO (Initial Public Offering)

कंपनी A के पास पूंजी जुटाने का एक रास्ता यह है कि कंपनी किसी अन्य व्यक्ति को अपनी कंपनी के शेयर को बेच दें | 

मान लीजिये कंपनी A की कुल वैल्यू 1,00,000 रूपया है | यदि कंपनी के कुल पूंजी के 1,000 टुकडे कर दिए जाय तो एक टुकडे की कीमत = 1,00,000/1000 = 100 रूपया होगा | कंपनी के इसी एक टुकडे को एक शेयर कहा जाता है | कंपनी के शेयर की कीमत कंपनी द्वारा जारी शेयर की संख्या पर निर्भर करता है अर्थात यदि कंपनी अपनी शेयर की संख्या 100 रखती है तो शेयर की कीमत 1000 हो जाएगी | स्टॉप लॉस क्या है ?

IPO (Initial Public Offering) लाने की  प्रक्रिया

कंपनी द्वारा जारी किये गए शेयर को सीधे शेयर बाज़ार में नहीं बेचा जा सकता है | इसके लिए कंपनी को सबसे पहले अपना IPO (Initial Public Offering) लाना होगा | कंपनी, IPO को संभालने के लिए सबसे पहले एक निवेश करने वाले बैंक को काम पर रखती है |

निवेश करने वाला बैंक और कंपनी मिलकर IPO (Initial Public Offering)आई.पी.ओ.  के अन्य  वित्तीय कार्य करते है | बाद में समझौता करार के साथ वे सेबी के पास पंजीकरण दर्ज कराते है | सभी जानकारी की जाँच करने के बाद, यदि सभी जानकारी सही पाई जाती है तो, सेबी IPO (Initial Public Offering) लाने की अनुमति दे देता है |

IPO (Initial Public Offering) लाने की  प्रक्रिया

सेबी से  अनुमति मिलने के बाद कंपनी अपने शेयर को किसी भी स्टॉक एक्सचेंज में अपनी कंपनी का प्राइस बैंड, दिनांक आदि विवरण दे देती है | कंपनी द्वारा पूर्व निर्धरित तिथि को स्टॉक एक्सचेंज जनता के लिए  Initial Public Offering खोल देता है |

जब तक IPO खुला रहता है तब तक वे निवेशक जिनके पास डीमैट खाता हो, वो IPO के प्राइस बैंड के भीतर अपनी पसंद की कीमत पर शेयर के लिए बिड/बोली लगाकर आवेदन कर सकते है, तब तक इसे प्राइमरी मार्केट कहते है | लेकिन जैसे ही शेयर, स्टाक एक्सचेंज में लिस्ट हो जाता है तथा शेयरों की खरीद बिक्री आरंभ हो जाती है इसे सेकेंडरी मार्केट कहते है | कैंडलस्टिक चार्ट पैटर्न क्या है ?

IPO(आई.पी.ओ.) में आवेदन कैसे करें ?

IPO (Initial Public Offering)  में आवेदन करने के लिए यह अत्यंत आवश्यक है कि आपके पास किसी भी ब्रोकर कम्पनी का एक डीमैट खाता हो | IPO खुलने के बाद आवेदन करने हेतु लिंक ब्रोकिंग कम्पनी द्वारा दे दिया जाता है | आवेदन प्रक्रिया पूर्ण करने पर निर्धारित धनराशि आपके खाते में ब्लाक कर दी जाती है | यदि कम्पनी का Initial Public Offering ओवर सब्सक्राइब हो जाता है तो जिन आवेदक को  शेयर नहीं मिल पाता है, उन्हें उनकी ब्लाक की गयी धनराशि उनके खाते में रिलीज कर दी जाती है, तथा जिन्हें शेयर मिल जाता है उनके डीमेट खाते में शेयर ट्रांसफर कर दिया जाता है

IPO(आई.पी.ओ.) से कंपनी के फायदे/नुकसान

  • कंपनी  कंपनी को अपने विस्तार के लिए पूंजी मिल जाती है |
  • कंपनी कर्ज लेने से बच जाती है जिससे कंपनी का सलाना लाभ प्रभावित नहीं होगा |
  • कंपनी को पूर्व में लिए गए कर्ज को कम करने का मौका मिल जाता है जिससे कंपनी अब पहले से कम या न के बराबर ब्याज अदा करती है |
  • कंपनी की ब्राण्ड वैल्यू बढ़ जाती है |
  • कंपनी के शुरुआत में लिए गए शेयरों को कंपनी के प्रमोटरऐंजल इन्वेस्टरवेंचर कैपिटलिस्ट, PE फंड को अपने-अपने शेयर बेचने का रास्ता साफ हो जाता है |

IPO से जहाँ कंपनियों  को अपनी ब्राण्ड वैल्यू के साथ अनेकों लाभ मिलाता है, वही यदि कम्पनी के बारे में कोई बैड न्यूज़ या कम्पनी के किसी आतंरिक समस्या का मामला सामने आता है, तो कंपनी के ब्राण्ड वैल्यू बहुत तेज़ी से नीचे भी गिर जाती है, जिसका खामियाजा निवेशक तथा कंपनी को उठाना पड़ता है | मल्टीबैगर स्टॉक (Multibagger Stock) को कैसे पहचाने ?

IPO(आई.पी.ओ.) से इन्वेस्टर के फायदे/नुकसान

1.    इन्वेस्टर को कंपनी के शेयर कम दाम पर मिल जाता है |

2.    ज्यादातर कंपनी अपने इन्वेस्टर को अच्छा लिस्टिंग गेन देती है  |

3.   शेयर होल्डर को उस कंपनी का शेयर की संख्या के अनुपात में मालिकाना हक मिल जाता है |

4.   शेयर होल्ड को कंपनी की वार्षिक सामान्य मीटिंग में वोटिंग का अधिकार प्राप्त हो जाता है |

 

किसी भी कंपनी का शेयर खरीदने से आप कंपनी में हिस्सेदारी रखते है हिस्सेदारी का अर्थ है कि आप कंपनी के लाभ तथा हानि दोनों में भागीदार होंगे इसलिए किसी भी IPO (Initial Public Offering  में आवेदन करने से पहले दूर की सोच रखने वाली तथा अच्‍छी मैनेजमेंट वाली कंपनी, जिसका प्रॉफिट ग्रोथ Y-Y बेसिस 20 प्रतीशत से ज्यादा हो, में ही निवेश करना लाभप्रद होता है छोटी कंपनी में इन्‍वेस्ट  करना ज्यादा रिस्की होता है | एडवांस/डिक्लाइन रेशियो

IPO से जुडी  कुछ अन्य जानकारी

a) अंडर सब्सक्रिप्शन (Under Subscription)

मान लीजिए कंपनी A जनसामान्य को 100,00 शेयर बेचना चाहती हैलेकिन IPO के बन्द हो जाने के बाद  बुक बिल्डिंग से पता चलता है कि 100,00 के सापेक्ष आवेदन कम आये है तो इश्यू  को अंडर सब्सक्राइब Initial Public Offering कहा जाता है | यह कंपनी A के लिए अच्छी स्थिति नहीं मानी जाएगी |

 

प्रारंभिक सार्वजनिक निर्गम - Initial Public Offer Full Details in Hindi

b) ओवर सब्सक्रिप्शन (Over Subscription)

अगर 100,000 शेयरों के इश्यू के लिए 100000 से अधिक बीड आ गए तो IPO को ओवर सब्सक्राइब IPO कहा जाता है | जब किसी कंपनी के फंडामेंटल निवेशक को पसंद आते है तब वे कंपनी के आईपीओ में बड़ी मात्रा में आवेदन करते है जिस कारण से शेयर के एक लॉट पर कई गुना आवेदन प्राप्त हो जाते है इसे ही आईपीओ का ओवर सब्सक्रिप्शन कहा जाता है |

c) फिक्स्ड प्राइस IPO (Fixed Price IPO)

यदि कोई कंपनी प्राइस बैंड की जगह शेयर की कीमत तय करके IPO लाती हैं | इस IPO को  फिक्स्ड प्राइस IPO कहते हैं |

d) प्राइस बैंड (Price Band )

वह अपर तथा लोअर लिमिट जिसके अंदर शेयर जारी किए जाते हैं उसे प्राइस बैंड कहा जाता है | जैसे कोई कंपनी अपने शेयर की बोली लगाने के लिए 256 से 285 रुपये की लिमिट निर्धारित किया है तब कंपनी के आईपीओ का प्राइस बैंड 256 से 285 माना जायेगा | हैमर कैंडलस्टिक पैटर्न(Hammer Candlestick Pattern) का सफल प्रयोग कैसे करें?

e) कट ऑफ प्राइस (Cut off Price)

कट-ऑफ प्राइसb (Cut off Price)) एक ऑफर प्राइस है जिस पर निवेशक को शेयर इश्यू किया जाता है इसकी कीमत प्राईस बैंड के अन्दर कुछ भी हो सकता है | जैसे यदि कंपनी A का  प्राइस बैंड 380 से 400 है तथा  इश्यू बंद होने के बाद शेयर की कीमत 395 तय होती है तो 395 रूपए को कट ऑफ प्राइस कहा जाता है | 

f) लिस्टिंग डें

जिस दिन कंपनी का शेयर स्टाक एक्सचेंज पर लिस्ट होता है उस दिन को लिस्टिंग डे कहा जाता है | लिस्टिंग कीमत उस दिन शेयर की खरीद और बिक्री के आधार पर तय होती है। इसके बाद शेयर अपने कट ऑफ कीमत से प्रीमियम पर या डिस्काउंट पर लिस्ट होता है | वॉरेन बफेट का जीवन दर्शन / Warren Buffett Biography In Hindi

सारांश(Summary)

आज प्रारंभिक सार्वजनिक निर्गम – Initial Public Offer Full Details in Hindi के इस लेख में हमने जाना की कोई कंपनी आपने कंपनी के शेयर क्यों जरी करती है, कंपनी को अपने शेयर जारी करने से क्या लाभ होता है, कंपनी अपने शेयर जनता के लिए कैसे लाती है तथा इसके क्या क्या स्टेप्स है | 

मै आशा करता हूँ कि अब आपको Initial Public Offer – प्रारंभिक सार्वजनिक निर्गम के सम्बन्ध में किसी प्रकार का कोई संदेह नहीं होगा | यदि आपको यह लेख पसंद आया हो तो कृपया इसे अन्य दोस्तों के साथ भी शेयर करें तथा हमें रेट करें |

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हेल्लो दोस्तों, मै पिछले 8 वर्षो से शेयर बाज़ार में निवेश तथा रिसर्च कर रहा हूँ | मै अपने अनुभव को Finohindi के माध्यम से आपके साथ सच्चाई के साथ सीधे तथा साफ शब्दों में बाटना चाहता हूँ | यदि आप शेयर बाज़ार में निवेश, ट्रेड करते है या आपकी शेयर बाज़ार में रूचि है तो आप सही जगह पर है

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