दोस्तों अपने पिछले लेख में हमने लीवरेज ट्रेडिंग को विस्तार से जाना | आज के अपने इस लेख मार्जिन ट्रेडिंग क्या है / Margin Trading Facility -MTF Kya Hai में हम सब मार्जिन ट्रेडिंग के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे | ज्यादातर लोग लीवरेज तथा मार्जिन में फर्क नहीं कर पाते है, उन्हें लगता है कि मार्जिन तथा लीवरेज एक ही सुविधा का नाम है, लेकिन ऐसा नहीं है
तो आज के इस लेख में हम सब पढेंगे कि मार्जिन ट्रेडिंग क्या है, मार्जिन ट्रेडिंग सुविधा (Margin Trading Facility) क्या है, कोई ब्रोकिंग कंपनी अपने ग्राहक को मार्जिन क्यों प्रदान करती है, इसके साथ – साथ हम जानेंगे मार्जिन ट्रेडिंग तथा लीवरेज ट्रेडिंग में क्या क्या फर्क है |
मार्जिन ट्रेडिंग क्या है / Margin Trading Kya Hai
मार्जिन(Margin), ब्रोकिग कंपनी द्वारा अपने ग्राहक को दिया जाने वाला एक ऐसा फीचर होता है जिसके माध्यम से ट्रेडर ब्रोकिंग कंपनी से पैसे उधार लेकर किसी भी कंपनी के शेयर डिलीवरी में खरीदकर रख सकते है या ट्रेड कर सकते है | इसके बदले ब्रोकिंग कंपनी अपने ग्राहक से ब्याज चार्ज करती है | ब्रोकिग कंपनी द्वारा दिया जाने वाला यह सुविधा मार्जिन ट्रेडिंग सुविधा (Margin Trading Facility – MTF) कहलाता है |
यह एक प्रकार का लोन होता है जो आपके द्वारा ख़रीदे गए शेयर को प्लेज करने के बाद मिलता है | इसके लिए आपके डीमेट खाते में पैसे होना आवश्यक नहीं है बल्कि आपके पोर्टफोलियो में शेयर होना आवश्यक है | तो आईये अब हम ये समझते है कि हम मार्जिन ट्रेडिंग सुविधा (Margin Trading Facility – MTF) का लाभ कैसे लिया जाता है |
मार्जिन ट्रेडिंग सुविधा (Margin Trading Facility – MTF)
मार्जिन ट्रेडिंग सुविधा (Margin Trading Facility – MTF) का लाभ लेने के लिए ये आवश्यक है कि आपके पोर्टफोलियो में अच्छी फंडामेंटल तथा बड़ी ब्लूचिप कंपनी के शेयर मौजूद हो | छोटी कंपनी पर मार्जिन का लाभ बहुत कम मिलता है तथा बड़ी ब्लुचिप कंपनी में मार्जिन का लाभ अधिक मिलता है | आपको मार्जिन का लाभ लेने के लिए निम्न चरणों का पालन करना होगा |
- सबसे पहले हमें अच्छी तथा बड़ी कंपनी का चुनाव करना होगा |
- इसके बाद उस कंपनी के शेयर खरीदकर अपने पोर्टफोलियो में रखना होगा |
- सामान्यतः उसी दिन रात के 10 बजे के बाद या अगले दिन कंपनी के शेयर आपके पोर्टफोलियो में आ जाता है |
- अब जब कंपनी का शेयर आपके पोर्टफोलियो में आ गया है तब आप उसे प्लेज करने का रिक्वेस्ट कर सकते है |
जब आप अपने कंपनी के शेयर को प्लेज करने का रिक्वेस्ट भेज देते है तब आपकी ब्रोकिंग कंपनी आपके रिक्वेस्ट का मंथन करती है तथा आपके शेयर के वैल्यूएशन के आधार पर आपको मार्जिन का लाभ देती है | अब सवाल ये है कि हम कंपनी के शेयर को प्लेज करते है, बेचते तो है नहीं फिर ब्रोकिंग कंपनी हमें मार्जिन क्यों देती है | आईये अब हम इसे समझते है | सोते-सोते पैसे कमाए / Passive Income Ideas In India 2023
ब्रोकिंग कंपनियां मार्जिन क्यों देती है? (Why do broking companies give margin)
हम ये तो समझते है कि कोई भी बिजनेस करने वाली कंपनी बिना मुनाफा के कोई कार्य नहीं करती है | आईये अब समझते है कि ब्रोकिंग कंपनी को मार्जिन देने पर क्या लाभ होता है | सभी ब्रोकिंग कंपनियां ब्याज के लालच में अपने ग्राहक को मार्जिन ट्रेडिंग सुविधा का लाभ देती है |
एक प्रकार से कहें तो ब्रोकिंग कंपनी अपने ग्राहक को सेक्योर लोन देती है | आपके द्वारा प्लेज किये गए शेयर कंपनी के पास गिरवी रखे रहते है आप इन्हें तब तक नहीं बेच पाएंगे जब तक आप कंपनी द्वारा दिए गए मार्जिन का प्रयोग कर रहे है | इस मार्जिन के बदले ब्रोकिंग कंपनी आपसे ब्याज लेती है | ब्याज की दर ब्रोकिंग कंपनी के ऊपर निर्भर करता है, सामान्यतः कंपनियां 1 प्रतिशत प्रतिमाह के हिसाब से ब्याज चार्ज करती है | कंसोलिडेशन पैटर्न क्या है ?
मार्जिन ट्रेडिंग में जोखिम प्रबंधन के लिए सुझाव
हमने ये तो सुना ही है कि लोन लेकर शेयर बाज़ार में निवेश नहीं करना चाहिए | लेकिन मार्जिन का लाभ लेकर बाज़ार में खरीद बिक्री एक प्रकार से लोन लेकर कार्य करने जैसा ही है | अब आप ही सोचिये जब आप अपने किसी कंपनी के शेयर को प्लेज कर मार्जिन का लाभ ले रहे है तब यदि शेयर बाज़ार में मंदी का दौर आ जाये या आप द्वारा ख़रीदे गए कंपनी में कोई ख़राब न्यूज आ जाये तब हर माह आपको मार्जिन के बदले ब्याज तो अदा करना ही होगा ऊपर से आपका निवेश वैल्यू भी कम हो जायेगा |
मार्जिन ट्रेडिंग में जोखिम प्रबंधन को निम्न प्रकार से समझा जा सकता है |
- गिरते बाज़ार में या मंदी के दौर में निवेशक जितना पूंजी निवेश करता है उससे अधिक नुकसान में जा सकता है |
- मार्जिन पर खरीदी गई प्रतिभूतियों का मूल्य गिरता है तो निवेशक को दोहरा नुकसान हो जाता है |
- मार्जिन पर खरीदी गई प्रतिभूतियों का मूल्य गिरता है तो आपके प्रतिभूतियों को ब्रोकर द्वारा बल पूर्वक बेचने से बचाने के लिए आपको अतिरिक्त फंड को जोड़ना पड़ सकता है |
- मार्जिन पर खरीदी गई प्रतिभूतियों का मूल्य गिरता है तथा आप अतिरिक्त फंड को नहीं जोड़ पाते है तब ब्रोकिंग कंपनी आपके प्रतिभूति को पूर्ण रूप से या आंशिक रूप से कभी भी बेच सकती है |
- कर्ज का भुगतान लेने के लिए ब्रोकिंग कंपनी के पास अधिकार सुरक्षित रहता है |
लीवरेज ट्रेडिंग तथा मार्जिन ट्रेडिंग में अंतर (Difference Between Leverage And Margin Trading)
ज्यादातर लोग लीवरेज ट्रेडिंग तथा मार्जिन ट्रेडिंग में अंतर नहीं कर पाते है उन्हें लगता है कि दोनों एक ही सुविधा है लेकिन ऐसा नहीं है | लीवरेज ट्रेडिंग तथा मार्जिन ट्रेडिंग दोनों ब्रोकर द्वारा दी जाने वाली अलग – अलग सुविधाएँ है |
आईये इनके अंतर को हम एक – एक कर समझने का प्रयास करते है |
विवरण | मार्जिन ट्रेडिंग | लीवरेज ट्रेडिंग |
परिभाषा | मार्जिन ट्रेडिंग में आपके डीमेट खाते में मौजूद शेयर को गिरवी रखकर ब्रोकर से धनराशि उधार के तौर पर ली जाती है | | लीवरेज ट्रेडिंग में पूंजी उधार नहीं ली जाती है बल्कि ट्रेड मूल्य का एक छोटा हिस्से का भुगतान कर ट्रेड लिया जाता है | |
कोलैटरल | इस सुविधा का लाभ लेने के लिए आपको अपने शेयर गिरवी रखने पड़ते है | | इस सुविधा का लाभ लेने के लिए आपको अपने शेयर को गिरवी रखने की आवश्यकता नहीं पड़ती है | |
लाभ | गिरवी रखे गए शेयर के सापेक्ष मार्जिन दिया जाता है | | बड़ी तथा अच्छी कंपनियों पर अधिक लीवरेज तथा छोटी स्माल कैप की कंपनियों पर कम लीवरेज का लाभ मिलता है | |
लागत | मार्जिन ट्रेडिंग में आपको व्याज का भुगतान करना पड़ता है | | लीवरेज का लाभ लेने पर आपको किसी प्रकार के ब्याज का भुगतान नहीं करना पड़ता है | |
रिस्क | लीवरेज ट्रेडिंग के अपेक्षा कम रिस्क होता है | | मार्जिन ट्रेडिंग के अपेक्षा रिस्क अधिक होता है | |
उपलब्धता | मार्जिन ट्रेडिंग का लाभ इक्विटी डिलीवरी से ही मिलता है | | लीवरेज ट्रेडिंग का लाभ आपको पोजिशनल ट्रेडिंग तथा इंट्राडे ट्रेडिंग में मिलता है | |
मार्जिन के प्रयोग में लाभ (Benefits of using margin)
- मार्जिन का प्रयोग करने का सबसे बड़ा लाभ यह है कि पूंजी नहीं होते हुए भी शेयर खरीदने का मौका मिल जाता है |
- बिना किसी कागजी कार्यवाही के आपके डीमेट खाते में पैसे आ जाते है |
- ये आपकी खरीद शक्ति बढाती है |
- आपके पास पैसे न होने के बाबजूद बाज़ार के किसी अपॉर्चुनिटी को भुना सकते है |
- मार्जिन में मिले रकम को आप अपने बैंक खाते में मंगाकर कैश भी करा सकते है |
मार्जिन के प्रयोग में नुकसान (Disadvantages in using margin)
मार्जिन का प्रयोग कर शेयर बाज़ार में खरीद बिक्री करने का सबसे बड़ा नुकसान यह है कि गिरते बाज़ार में या मंदी के दौर में निवेशक जितना पूंजी निवेश करता है उससे अधिक नुकसान में जा सकता है | क्योकि बाज़ार गिरने पर शेयर कि वैल्यू तो कम होती ही है साथ में आप द्वारा लिए गए मार्जिन पर ब्याज भी देना पड़ता है | इसलिए जब तक आप अपने ट्रेड को लेकर बहुत कांफिडेंस न हो तब तक आपको मार्जिन का लाभ नहीं लेना चाहिए |
इसका दूसरा बड़ा नुकसान यह है कि जब मार्जिन पर खरीदी गई प्रतिभूतियों का मूल्य गिरता है तो आपके प्रतिभूतियों को ब्रोकर द्वारा बल पूर्वक बेचने से बचाने के लिए आपको अतिरिक्त फंड को जोड़ना पड़ सकता है | अगर आप ऐसा नहीं करते है तब ब्रोकिंग कंपनी के पास पूरा अधिकार होता है कि वो आपके प्रतिभूति को पूर्ण रूप से या आंशिक रूप से कभी भी बेच कर कर्ज का भुगतान ले सकती है | डिविडेंट क्या है ? what is dividend
आज हमने जाना(Today We Learned)
मेरे प्रिय पाठकों, आज़ के अपने इस लेख मार्जिन ट्रेडिंग क्या है / What Is Leverage Trading? Risks And Advantages में हम सबने जाना मार्जिन ट्रेडिंग क्या होता है, ब्रोकिंग कंपनिया मार्जिन क्यों प्रदान करती है, मार्जिन तथा लीवरेज में क्या फर्क है के साथ साथ हमने जाना कि मार्जिन ट्रेडिंग के क्या क्या लाभ तथा हानि है
हम आशा करते है कि अब आपको मार्जिन ट्रेडिंग से सम्बंधित सभी प्रश्नों के उत्तर मिल गए होंगे | आपको हमारा यह पोस्ट कैसा लगा हमें कमेन्ट कर अवश्य बताये | यदि आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ अवश्य शेयर करें |
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