दोस्तों पिछले अध्याय में हम सबने डिविडेंट तथा इसके सभी प्रकार जैसे – कैश डिविडेंट या लाभांश के रूप में (Cash Dividend), शेयर डिविडेंट या बोनस शेयर के रूप में (Bonus Share), संपत्ति डिविडेंट (Asset Dividend), स्क्रिप डिविडेंड(Scrip Dividend), परिसमापन लाभांश(Liquidating Dividend) के बारे में विस्तार से अध्ययन किया है |
आज के इस अध्याय स्टॉक स्प्लिट क्या है ? Stock Split Meaning in Hindi में हम सब स्टॉक स्प्लिट के बारे में विस्तार से अध्ययन करेंगे | स्प्लिट को लेकर कई लोगों में तमाम सवाल होते है जैसे :-
- कोई कंपनी कब स्प्लिट देती है |
- स्टॉक स्प्लिट का कंपनी पर क्या असर होता है |
- स्टॉक स्प्लिट का कंपनी के शेयर पर क्या असर होता है |
- स्टॉक स्प्लिट का कंपनी के शेयर होल्डर पर इसका क्या असर होता है |
- स्टॉक स्प्लिट का लाभ लेने के लिए हमें कंपनी के शेयर को कब खरीदना चाहिए |
आज के इस लेख स्टॉक स्प्लिट क्या है ? Stock Split Meaning in Hindi में हम सब इन्ही सवालों के जबाब को तलाशने का प्रयास करते है |
स्टॉक स्प्लिट क्या है ? Stock Split Meaning in Hindi
जब कोई कंपनी अपने शेयर की वैल्यू कम करना चाहती है तब वह शेयर को स्प्लिट(विभाजित) कर देती है जिसे स्टॉक स्प्लिट (Stock Split) कहा जाता है | सामान्यतः जब कंपनी के शेयर महंगे हो जाते है, तब कंपनी अपने शेयर को विभाजित कर देती है | ताकि कम पूंजी के निवेशक तथा छोटे शेयर में निवेश करने वाले निवेशक के लिए निवेश आसान हो जाय |
कंपनी जिस अनुपात में शेयर को स्प्लिट करती है, शेयर की कीमत भी उसी अनुपात में कम हो जाती है | बढे हुए शेयर स्प्लिट शेयर जमा तिथि (Split Share Credit Date) को शेयर धारक के खाते में जमा हो जाता है |
इसके विपरीत जब कंपनी के मैनेजमेंट को लगता है कि कंपनी के शेयर की कीमत बहुत कम होकर पेनी शेयर बन गया है तब कंपनी रिवर्स स्टॉक स्प्लिट लेकर आती है जिसमे कई शेयर शेयर को जोड़कर एक शेयर बना दिया जाता है | जिस अनुपात में कंपनी रिवर्स स्टॉक स्प्लिट करती है, कंपनी का फेस वैल्यू भी इसी अनुपात में बढ़ जाता है | स्टॉप लॉस क्या है ?
कंपनी शेयर स्प्लिट कब करती है
जब कंपनी को ऐसा लगता है कि उसके प्रति शेयर की कीमत अधिक हो गयी है तथा यह कम पूंजी के निवेशक को निवेश करने में समस्या हो रही है तो कंपनी अपने शेयर को निश्चित अनुपात में स्प्लिट (विभाजित) कर देती है | स्टॉक को स्प्लिट करने का यह एक प्रमुख कारण है |
एक अन्य कारण में जब कंपनी अपने शेयर में तरलता(लिक्विडिटी) लाना चाहती है, तब अपने शेयर को स्प्लिट कर शेयर की संख्या में इजाफा लेती है | इससे शेयर में लिक्विडिटी आ जाती है तथा शेयर में डिमांड जनरेट होती है और शेयर ऊपर जाने लगता है | कैंडलस्टिक चार्ट पैटर्न क्या है ?
इसे एक उदाहरण से समझने का प्रयास करते है
मान लीजिये कि कोई कंपनी X है जिसके कुल शेयर 1,00,000, फेस वैल्यू 10 तथा कंपनी के 1 शेयर की कीमत 300 रुपये है |
शेयर होल्डर पर स्टॉक स्प्लिट का असर
शेयर होल्डर पर स्प्लिट के असर को निम्न प्रकार से समझा जा सकता है |
स्टॉक स्प्लिट के पहले :-
हम मान कर चलते है कि आपके पास कंपनी X के 100 शेयर है तथा कंपनी के एक शेयर की कीमत 300 रुपये है तब आपके निवेश की वर्तमान में कुल वैल्यू = 100 × 300 = 30,000 रुपये |
स्टॉक स्प्लिट के बाद :-
अब मान लीजिये की कंपनी अपने शेयर की वैल्यू को कम करना चाहती है जिसके लिए कंपनी के निदेशक मंडल (Board of Directors) ने शेयर को 1:4 के रेशियो में स्टॉक स्प्लिट(Stock Split) करने का निर्णय लिया है तो इसका अर्थ है कि यदि आपके पास कंपनी के 100 शेयर थे, तो स्प्लिट के बाद आपके पास शेयर की संख्या = 100 × (4 /1) =400 हो जाएगी |
चूँकि जिस अनुपात में कंपनी शेयर को स्प्लिट करती है, शेयर की कीमत भी उसी अनुपात में कम हो जाती है | अर्थात यदि स्प्लिट के पहले शेयर की कीमत 300 है तब स्प्लिट के बाद कंपनी के एक शेयर की कीमत = 300 × (1/4) = 75 रुपये |
अतः स्प्लिट के बाद आपके निवेश की वर्तमान में कुल वैल्यू = शेयर की संख्या ×शेयर की कीमत
= 400 × 75
= 30,000 रुपये |
अतः आपने देखा का कंपनी के स्टॉक स्प्लिट(Stock Split) करने पर आपके शेयर की संख्या जिस अनुपात में बढती है उसी अनुपात में आपके शेयर की कीमत भी कम हो जाती है | इस कारण से आपके पोर्टफोलियो के वैल्यू में कोई फर्क नहीं पड़ता है | डायवर्सिफिकेशन क्या है ?
कंपनी पर स्टॉक स्प्लिट का असर
स्टॉक स्प्लिट का कंपनी पर असर को हम निम्न प्रकार से समझ सकते है |
स्टॉक स्प्लिट के पहले
चूँकि कंपनी X का कुल आउट स्टैंडिंग शेयर 1,00,000 है तथा कंपनी की फेस वैल्यू 10 रुपये और कंपनी के एक शेयर की कीमत 300 रुपये है तब
कंपनी X की कुल मार्केट वैल्यू = कुल आउट स्टैंडिंग शेयर × एक शेयर की कीमत
= 1,00,000 × 300 रुपये
= 3,00,00,000 रुपये
= 3 करोड़ रुपये
स्टॉक स्प्लिट के बाद
अब हम मान लेते है की कंपनी के निदेशक मंडल (Board of directors) द्वारा अपने कंपनी के शेयर को 1:4 के अनुपात में स्प्लिट करने का निर्णय लेती है | तब स्प्लिट के बाद कंपनी का
कुल आउट स्टैंडिंग शेयर = 1,00,000 × (4/1) शेयर
= 1,00,000 × 4 शेयर
= 4,00,000 शेयर
स्प्लिट के बाद कंपनी के 1 शेयर की कीमत = 300 × (1/4) = 75 रुपये
अतः स्प्लिट के बाद कंपनी की कुल वैल्यू = शेयर की संख्या ×शेयर की कीमत
= 4,00,000 × 75
= 3,00,00,000
अतः आपने देखा की कंपनी के मार्केट कैप या वैलुएशन पर स्प्लिट का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है | जिस अनुपात में शेयर को कंपनी स्प्लिट करती है कंपनी के शेयर की कीमत भी उसी अनुपात में कम हो जाती है | कंपनी के स्प्लिट करने से कंपनी का फेस वैल्यू भी उसी अनुपात में कम हो जाती है | प्राइस एक्शन ट्रेडिंग क्या है ?
कंपनी के फेस वैल्यू पर स्प्लिट का असर
जब कंपनी शेयर बाजार में लिस्ट होती है तब कंपनी अपने शेयर का एक फेस वैल्यू तय करती है | इश्यू प्राइस तथा फेस वैल्यू के अंतर को प्रीमियम कहा जाता है | किसी कंपनी की फेस वैल्यू 1,2, से 100 तक कुछ भी हो सकती है | जब कंपनी शेयर को स्प्लिट करती है तो जिस अनुपात में स्टॉक स्प्लिट(Stock Split) होता है उसी अनुपात में शेयर का फेस वैल्यू भी कम हो जाता है |
जैसे मान लीजिये कि किसी कंपनी का फेस वैल्यू 10 है तथा कंपनी 1:5 के अनुपात में शेयर को स्प्लिट कर रही है तो स्प्लिट के बाद कंपनी का फेस वैल्यू = 10 × (1/5) = 2 हो जायेगी | एडवांस/डिक्लाइन रेशियो
स्टॉक स्प्लिट से सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण तिथि
कंपनी के स्टॉक स्प्लिट करने से सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण तिथि होते है | इन्ही तिथियों के अनुसार कंपनी चरणबद्ध तरीके से शेयर को स्प्लिट करती है |
- (1) स्प्लिट घोषणा तिथि (Split Announcement Date)
- (ii) रिकार्ड तिथि (Record Date)
- (iii) एक्स स्प्लिट तिथि (Ex – Split Date)
- (iv) शेयर स्प्लिट जमा तिथि (stock Split Credit Date)
(1) शेयर स्प्लिट घोषणा तिथि (stock Split Announcement Date)
जिस दिन कंपनी अपने शेयर होल्डर को शेयर स्प्लिट करने की की घोषणा करती है उस दिन को शेयर स्प्लिट घोषणा तिथि (Split Announcement Date) कहा जाता है |
(ii) रिकार्ड तिथि (Record Date)
जिस दिन कंपनी अपने शेयर को स्प्लिट(विभाजित) करने के लिए अपने शेयर धारकों की सूची बनाती है उस तिथि को रिकार्ड तिथि (Record Date) कहा जाता है | अर्थात यदि आप स्प्लिट शेयर का लाभ उठाना चाहते है तो कंपनी के शेयर रिकार्ड तिथि को आपके पोर्टफोलियो में होना आवश्यक है |
(iii) एक्स स्प्लिट तिथि (Ex – Split Date)
पहले शेयर का सेटलमेंट टाइम T+2 होता था | इस कारण से स्प्लिट का लाभ पाने के लिए आपको रिकार्ड डेट से कम से कम दो दिन पहले शेयर को खरीदना होता था | तब एक्स स्प्लिट तिथि (Ex – Split Date), रिकार्ड डेट से दो दिन पहले होता था | लेकिन 27th January 2023 से भारत में T +1 सेटलमेंट को लागु कर दिया गया है |
अर्थात आज आप शेयर खरीदेंगे तो अगले दिन शेयर आपके डीमेट खाते में आ जायेगा | अर्थात अब Ex – Split Date रिकार्ड डेट वाले दिन ही होता है | अगर आपको स्प्लिट का लाभ लेना है तो आपको Ex – Split Date से पहले शेयर को अवश्य खरीदना चाहिए | इस डेट के बाद खरीदने पर आपको स्प्लिट का लाभ नहीं मिलेगा |
(iv) शेयर स्प्लिट जमा तिथि (stock Split Credit Date)
कंपनी जिस दिन स्प्लिट किये गए शेयर को आपके खाते में ट्रांसफर करती है उस दिन को शेयर स्प्लिट जमा तिथि (Stock Split Credit Date) कहा जाता है | शेयर बाज़ार में निवेश के नियम
स्प्लिट शेयर के लिए पात्रता
यदि कोई कंपनी अपने शेयर को स्प्लिट करने की घोषणा करती है तथा आप कंपनी के शेयर स्प्लिट का लाभ लेना चाहते है तो रिकार्ड डेट वाले दिन शेयर आपके पोर्टफोलियो में होना आवश्यक है | रिकार्ड टेड वाले दिन जिन शेयर होल्डर के डीमेट खाते इस कंपनी का शेयर होगा वह स्प्लिट शेयर का हक़दार होगा |
यदि आपके पास इस कंपनी के शेयर पहले से मौजूद है तो स्प्लिट का लाभ लेने के लिए रिकार्ड डेट तक होल्ड करना चाहिए | यदि आपके पास कंपनी के शेयर नहीं है लेकिन आप स्प्लिट का लाभ लेना चाहते है तो आपको कंपनी के शेयर को रिकार्ड डेट से पहले खरीदना आवश्यक है | शेयर खरीदने और बेचने का उत्तम समय ?
स्टॉक स्प्लिट से कंपनी के शेयर होल्डर को लाभ
स्टॉक स्प्लिट(Stock Split) होने से कंपनी के शेयर होल्डर को निम्न फायदे होते है |
- स्प्लिट का पहला लाभ यह होता है कि शेयर की कीमत पहले से कम हो जाती है | इसका लाभ यह होता है कि कम पूंजी के निवेशक भी इस कंपनी के ग्रोथ का लाभ कम पूंजी होने के बाबजूद ले सकते है
- स्प्लिट शेयर का दूसरा लाभ यह है कि कंपनी शेयर होल्डर के पास पहले से अधिक मात्रा में शेयर हो जाता है |
स्टॉक स्प्लिट से कंपनी को लाभ
कंपनी के शेयर को स्प्लिट करने का एक मात्र कारण शेयर की कीमत को काम करना होता है | कंपनी के शेयर की कीमत कम हो जाने से कंपनी की आउट स्टैंडिंग शेयर बढ़ जाती है तथा शेयर की कीमत कम हो जाती है | इस कारण से शेयर में लिक्विडिटी बढ़ जाती है |
स्टॉक स्प्लिट से कंपनी का बाजार में सेंटीमेंट पॉजिटिव हो जाता है | सामान्यतः जिन कंपनी के शेयर, ग्रोथ करके ऊपर आ जाती है वही कंपनी शेयर को स्प्लिट करती है | स्टॉक स्प्लिट से निवेशक को लगता है कि कंपनी की ग्रोथ इसी प्रकार बनी रहेगी | आईपीओ (प्रारंभिक सार्वजनिक निर्गम) क्या है |
क्या स्प्लिट लेने के लिए कंपनी में निवेश सही है ?
सामान्य नज़रिए से देखा जाय तो स्टॉक स्प्लिट करने वाली अधिकतर कंपनिया अच्छी होती है | स्टॉक स्प्लिट करने वाली कंपनी के शेयर एक निश्चित अनुपात में कम हो जाते है जिससे ट्रेडर तथा निवेशक को ट्रेड करने में अधिक पूंजी की आवश्यकता नहीं होती है | स्प्लिट देने वाली कंपनी का सेंटिमेंट कुछ समय के लिए पॉजिटिव हो जाता है | स्टॉक स्प्लिट देने वाली कंपनी अचानक से शुर्खियो में भी आ जाती है |
स्टॉक स्प्लिट के इसी पाजिटिव सेंटिमेंट का लाभ उठाने तथा सुर्खियों में आने के लिए कुछ ऐसी भी कंपनिया स्टॉक को स्प्लिट करती है जिन्हें इसकी कोई आवश्यकता नहीं होती है | जो कंपनी अपने बिजनेस में लाभ नहीं कमा पा रही है या कंपनी का बिजनेस ग्रोविंग नहीं है या कंपनी में कर्ज लगातार बढ़ता जा रहा है तो इस प्रकार की कंपनी यदि अपने शेयर को स्प्लिट(विभाजित) कर रही है तो आपको निवेश करने से पहले विचार करने की आवश्यकता है |
यदि आप किसी कंपनी के शेयर को मात्र इसलिए खरीदना चाहते कि कंपनी ने स्प्लिट की घोषणा की है तब आप बेवकूफी कर रहे है | हम सब जानते है कि स्प्लिट में शेयर को टुकड़े कर आपको दिए जाते है | इसमें भले ही आपको शेयर की संख्या अधिक नजर आये लेकिन आपके शेयर की कीमत उसी अनुपात में कम हो जाने के कारण आपके पोर्टफोलियों के वैल्यू पर इसका कोई असर नहीं होता है |
लेकिन यदि आपने किसी कंपनी का फंडामेंटल एनालिसिस तथा चार्ट का टेक्नीकल एनालिसिस कर शेयर को उसके सपोर्ट पर निवेश किया है तथा आप द्वारा निवेशित कंपनी अपने शेयर को स्प्लिट कर रही हो आपको स्प्लिट का लाभ लेना उचित है | शेयर बाज़ार में निवेश के नियम
बोनस तथा स्प्लिट में अंतर(Difference between stock split and bonus shares)
क्रम संख्या | स्टॉक स्प्लिट(stock split) | बोनस शेयर(bonus shares) |
1 | स्टॉक स्प्लिट में शेयर को विभाजित कर दिया जाता है | | बोनस शेयर कंपनी द्वारा दिया जाने वाला अतिरिक्त शेयर होता है इसके लिए कंपनी अपने रिजर्व का प्रयोग करती है | |
2 | कंपनी के शेयर का फेस वैल्यू उसी अनुपात में कम हो जाता है जिस अनुपात में शेयर स्प्लिट किया जाता है | कंपनी के शेयर के फेस वैल्यू पर बोनस का कोई असर नहीं होता है | |
3 | कंपनी के निदेशक मंडल द्वारा इसका प्रयोग अपने शेयर की वैल्यू कम करने के लिए किया जाता है | | कंपनी द्वारा इसका प्रयोग तब किया जाता है जब कंपनी अपने बिजनेस में लाभ कमाने के बाबजूद कैश डिविडेंट नहीं देने चाहती है | तब कंपनी के निदेशक मंडल द्वारा अपने शेयर होल्डर को बोनस शेयर देने पर विचार करती है | |
इस लेख से सम्बंधित प्रश्नोत्तरी
स्टॉक स्प्लिट क्या है?
जब किसी कंपनी के निदेशक मंडल को लगता है कि उनकी कंपनी के सिंगल शेयर की कीमत अधिक हो गयी है | तो वे अपने कंपनी के शेयर को किफायती(Affordable) बनाने तथा शेयर में लिक्विडिटी बढ़ाने के लिए कंपनी अपने शेयर को स्प्लिट अर्थात विभाजित कर देती है | जिसे स्टॉक स्प्लिट(Stock Split) कहा जाता है | जिस अनुपात में कंपनी शेयर स्प्लिट करती है, उस कंपनी का फेस वैल्यू उसी अनुपात में कम हो जाता है |
स्टॉक स्प्लिट क्या है और यह कैसे काम करता है?
जब किसी कंपनी के निदेशक मंडल को ऐसा लगता है कि शेयर की कीमत अधिक हो गयी है तो वे एक शेयर को निश्चित अनुपात में विभाजित कर देती है जिसे स्टॉक स्प्लिट कहा जाता है | जैसे यदि कोई कंपनी 1 : 2 में स्टॉक को स्प्लिट करने की घोषणा करती है तब यदि आपके पास स्प्लिट के पहले 100 शेयर , 150 की कीमत पर है तो स्प्लिट के बाद आपके शेयर की संख्या = 100 x 2 अर्थात 200 तथा आपके शेयर की कीमत 150 /2 अर्थात 75 रुपये हो जाएगी |
स्प्लिट शेयर कब मिलते हैं?
शेयर स्प्लिट जमा तिथि (Stock Split Credit Date) वाले दिन स्प्लिट किये शेयर आपके डीमेट खाते में प्राप्त हो जाते है | जब कंपनी स्टॉक स्प्लिट की घोषणा करती है तब वह रिकार्ड तिथि (Record Date) तथा शेयर स्प्लिट जमा तिथि (Stock Split Credit Date) की भी घोषणा करती है | जिस दिन स्प्लिट के लिए शेयर होल्डर की सूची बनाई जाती है उसे रिकार्ड तिथि (Record Date) तथा जिस दिन स्प्लिट किये गए शेयर को आपके डीमेट खातें में जमा कर दिया जाता है उसे शेयर स्प्लिट जमा तिथि कहा जाता है |
स्टॉक स्प्लिट्स अच्छे हैं या बुरे?
सामान्यतः स्टॉक स्प्लिट को पॉजिटिव नजरिये से देखा जाता है | जब कंपनी के शेयर में ग्रोथ के कारण शेयर अधिक महंगे हो जाते है तब कंपनी के निदेशक मंडल द्वारा स्प्लिट की घोषणा की जाती है | जब कम्पनी के फंडामेंटल तथा टेक्नीकल मजबूत होते है तथा कंपनी अपने बिजनेस में लाभ कमा रही होती है तभी कंपनी के शेयर लंबे
समय तक ऊपर जाते है | अतः स्टॉक स्प्लिट से निवेशक को लगता है की कंपनी में ग्रोथ बढ़िया है तथा आगे भी इसी प्रकार जारी रहेगी |
बोनस शेयर और स्प्लिट शेयर में क्या अंतर है?
1. बोनस शेयर देने में कंपनिया वास्तविक आय से अपने फ्री रिज़र्व का उपयोग करती हैं | जबकि स्टॉक स्प्लिट में कंपनी अपने शेयर को विभाजित करती है |
2. बोनस शेयर देने के पीछे कंपनी के मत होता है कि कंपनी कैश डिविडेंट न देकर शेयर दे रही है | जबकि स्टॉक स्प्लिट करने के पीछे कंपनी का तर्क होता है कि कंपनी के शेयर कीमत अधिक हो गयी है इसे किफायती बनाने की आवश्यकता है |
3. बोनस शेयर देने पर कंपनी के शेयर का फेस वैल्यू नहीं बदलता है | जबकि स्टॉक स्प्लिट करने पर जिस अनुपात में कंपनी शेयर को स्प्लिट करती है, शेयर की फेस वैल्यू भी उसी अनुपात में कम हो जाती है |
स्टॉक स्प्लिट के लिए रिकॉर्ड डेट क्या है?
स्टॉक स्प्लिट के लिए रिकॉर्ड डेट वह डेट होता है जिस दिन कंपनी स्टॉक स्प्लिट देने के लिए शेयर होल्डर की सूची तैयार करती है | यदि आप स्टॉक स्प्लिट का लाभ लेना चाहते है तो रिकार्ड डेट के दिन आपके डीमेट खाते में शेयर होना आवश्यक है | इसके लिए आवश्यक है कि आप कंपनी के शेयर को रिकार्ड डेट के एक दिन पहले अवश्य खरीदें |
स्टॉक स्प्लिट होने पर क्या होता है?
कोई कंपनी स्टॉक स्प्लिट की घोषणा करते समय बताती है कि वह किस अनुपात में शेयर को स्प्लिट / विभाजित कर रही है | यदि कंपनी अपने 1 शेयर को दो भागों में बांटना चाहती है तो स्प्लिट के बाद आप द्वारा ख़रीदे गए शेयर की संख्या दोगुनी तथा शेयर की कीमत आधी हो जाती है | इस प्रकार से आपके पोर्टफोलियो के वैल्यू पर इसका कोई असर नहीं होता है |
शेयर स्प्लिट घोषणा तिथि (stock Split Announcement Date) क्या होता है ?
जिस दिन कंपनी अपने शेयर को स्प्लिट करने की घोषणा सार्वजनिक करती है उस दिन को शेयर स्प्लिट घोषणा तिथि (Split Announcement Date) कहा जाता है |
स्टॉक स्प्लिट से कंपनी के शेयर होल्डर को क्या लाभ हैं ?
स्टॉक स्प्लिट से कंपनी के शेयर होल्डर को निम्न लाभ होते है |
1. निवेशक को स्टॉक स्प्लिट होने पर पहला लाभ यह होता है कि कंपनी के शेयर पहले से किफायती हो जाते है, इस कारण से शेयर में खरीद बिक्री पहले से आसान हो जाती है |
2. इसका दूसरा लाभ यह है कि कम पूंजी के निवेशक के लिए भी निवेश पहले से आसान हो जाता है |
3. स्टॉक स्प्लिट का तीसरा लाभ यह होता है कि शेयर होल्डर के पास पहले के मुताबिक अधिक शेयर आ जाते है | इसका लाभ निवेशक को अधिक डिविडेंट के रूप में मिलता है |
सारांश (Summary)
दोस्तों आज के इस लेख स्टॉक स्प्लिट क्या है ? Stock Split Meaning in Hindi में हम सबने स्टॉक स्प्लिट क्या है ? कोई कंपनी अपने शेयर को स्प्लिट कब करती है? स्टॉक स्प्लिट का कंपनी के मार्केट कैप तथा शेयर होल्डर के पोर्टफोलियो पर क्या असर होता है तथा यदि आप स्प्लिट का लाभ लेना चाहते है तो आपको शेयर को कब खरीदना चाहिए के बारे में विस्तार से अध्ययन किया |
इसके अलावा इस लेख सम्बंधित किसी प्रकार का कोई सवाल हो तो आप हमें कमेंट कर सकते है | आप चाहे तो हमें contact@finohindi.com पर मेल भी कर सकते है |
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