दोस्तों, आपने देखा होगा कि कंभी-कभी किसी कंपनी के शेयर को खरीदने से पहले ब्रोकर आपको सतर्क करता है कि आप जिस कंपनी के शेयर को खरीद रहे है वो ट्रेड-टू-ट्रेड / Trade To Trade सेगमेंट के अन्दर है | तो क्या आप जानते है कि ये ट्रेड टू ट्रेड क्या होता है | आईये आज के इस लेख ट्रेड-टू-ट्रेड क्या है / Trade to Trade को कैसे समझे में हम सब ट्रेड-टू-ट्रेड को समझते है कि ये क्या है, तथा किसी कंपनी के शेयर को इस सेगमेंट में क्यों डाला जाता है |
ट्रेड-टू-ट्रेड क्या है / Trade to Trade kya hai
ट्रेड टू ट्रेड(Trade To Trade) एक ऐसा सेगमेंट है जहाँ पर किसी कंपनी के शेयर में ट्रेडिंग नहीं की जा सकती है | ट्रेड टू ट्रेड सेगमेंट में शामिल सभी कंपनी के शेयर के लिए पूरा पेमेंट करके कंपनी के शेयर में खरीद बिक्री किया जा सकता है | अर्थात यदि आप आज इस कंपनी के शेयर को खरीद रहे है तब आप इसे आज नहीं बेच सकते है, आप इसे अगले ट्रेडिंग दिवस में बेच सकते है | अतः इस प्रकार आप कंपनी के शेयर, तब तक नहीं बेच सकते जब तक कंपनी का शेयर आपके पास डिलीवरी में न हो |
यह सेगमेंट एक प्रकार से कंपनी के लिए रेड फ्लैग का कार्य करता है | सेबी तथा एक्सचेंज द्वारा बनाये गए ट्रेड टू ट्रेड (T2T) सेगमेंट में सामान्यतः उन कंपनी के शेयर को शामिल किया जाता है जिनमें अधिक सट्टेबाजी या शेयर के प्राइस में हेर फेर का संदेह होता है |
आईये इसे एक उदाहरण की सहायता से समझने का प्रयास करते है
हम मान लेते है कि आपने किसी कंपनी X के 100 शेयर 120 के रुपये में खरीद लिए है जिसकी कुल कीमत 12000 रुपये है | जब कंपनी के शेयर को आज ही आपने 122 रुपये पर बेचकर मुनाफा बुक कर लिया | इस ट्रेड में आपको एक दिन में (100*122 – 100*120 = 200) का मुनाफा हो गया, साथ ही आपकी पूंजी 12000 फ्री हो गयी आप इस पूंजी का प्रयोग किसी अन्य ट्रेड में कर और मुनाफा कमा सकते है |
लेकिन अब मान लीजिये कि कंपनी X ट्रेड टू ट्रेड सेगमेंट में शामिल कर लिया गया है तब आप कंपनी X के 100 शेयर 120 के रुपये में खरीद तो लेंगे लेकिन कंपनी का शेयर अब ऊपर जाये या निचे जाये, आप इसे आज नहीं बेच सकते है | आप द्वारा लगाई गयी पूंजी 12000 रुपये का प्रयोग भी आप आज नहीं कर पाएंगे | आपको कंपनी X के 100 शेयरों कि डिलीवरी आपको प्राप्त हो जाएगी | अब यदि आप अपनी पूंजी को फ्री करना चाहते है तब आपको अगले दिन (T+1) कंपनी के शेयर बेच कर लाभ या हानि बुक कर सकते है |
किसी कंपनी के शेयर को ट्रेड टू ट्रेड सेगमेंट में क्यों डाला जाता है?
जब सेबी तथा एक्सचेंज को ऐसा लगता है कि किसी कंपनी के शेयर प्राइस में मैनीपुलेशन किया जा रहा है या किसी के द्वारा पम्प तथा डंप किया जा रहा है तब इसकी जाँच करने के लिए एक्सचेंज इन्हें ASM कैटेगरी, GSM कैटेगरी या ESM कैटेगरी में से किसी एक में डाल देती है | इस कैटेगरी में शेयर को डालने के बाद इन पर कड़ी निगरानी करने के लिए कुछ कंपनी के शेयर पर ट्रेड टू ट्रेड लागु कर दिया जाता है | ट्रेड टू ट्रेड सेगमेंट ज्यादातर उन कंपनियों पर लगाया जाता है जिनका मार्केट कैपिटलाइजेशन 500 से कम होता है |
आज हमने जाना(Today We Learned)
आज ट्रेड-टू-ट्रेड क्या है / Trade To Trade को कैसे समझे के इस लेख में हम सबने जाना ट्रेड टू ट्रेड सेगमेंट क्या है तथा इसके लगने का क्या अर्थ है, को समझा |
मुझे आशा है कि अब आपको ट्रेड-टू-ट्रेड से सम्बंधित समस्त प्रकार के सवालो के जवाब मिल गए होंगे | यदि आपको हमारा यह पोस्ट अच्छा लगा हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ अवश्य शेयर करें |
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