एक तरफ शेयर बाजार अपने निवेशकों/ट्रेडरों को बड़ा रिटर्न देती है तो दूसरी तरफ यदि आप शेयर बाजार के हर पहलू का अध्ययन किये बिना बाजार में निवेश या ट्रेडिंग करेंगे तो आपको बड़े नुकसान का सामना करना पड़ सकता है | दोस्तों शेयर बाजार के सामान्य जानकारी के पिछली कड़ी में हमने इंट्राडे ट्रेडिंग, कैंडलस्टिक पैटर्न, कैंडलस्टिक चार्ट पैटर्न, डिविडेंट तथा स्टॉप लॉस के बारे में अध्ययन किया |
शेयर बाजार में कार्य करने वाले व्यक्तियों को बोनस इश्यू को लेकर कई सवाल होते है | आज के इस लेख बोनस शेयर क्या है ? Bonus Share Meaning in Hindi में हम सब बोनस शेयर के बारे में अध्ययन करेंगे तथा जानेगे कि बोनस शेयर क्या है, कोई कंपनी अपने शेयर धारक को शेयर, बोनस के रूप में कब देती है, इसका लाभ लेने के लिए शेयर को कब खरीदना चाहिए तथा इसकी गणना कैसे की जाती है |
सामान्यतः किसी कंपनी द्वारा अपने बिजनेस में कमाए गए धनराशि को निम्न प्रकार से अपने मौजूदा शेयर धारको में बाँटा जाता है |
- शेयर डिविडेंट या बोनस शेयर के रूप में (Bonus Share)
- कैश डिविडेंट या लाभांश के रूप में (cash dividend )
- संपत्ति डिविडेंट (asset dividend )
- स्क्रिप डिविडेंड (scrip dividend)
- परिसमापन लाभांश (Liquidating dividend)
बोनस शेयर क्या है ? What is Bonus Share in Hindi
जब कोई कंपनी अपने मौजूदा शेयर धारकों को एक निश्चित अनुपात में अतिरिक्त शेयर जारी करती है, तो इस अतिरिक्त शेयर को बोनस शेयर (Bonus Share) कहा जाता है | शेयर होल्डर के लिए बोनस शेयर बिना किसी अतिरिक्त लागत के दिए जाते है |
कंपनी बोनस शेयर क्यों जारी करती है ?
कंपनी के बोनस इश्यू करने के निम्न कारण होते है |
कैश की आवश्यकता हो :- जब कंपनी को अपने बिजनेस में अच्छी कमाई करने के बाद भी पूंजी की आवश्यकता हो लेकिन कंपनी डिविडेंट बांटना चाहती हो तो कंपनी अपने मौजूदा शेयर धारक को डिविडेंट के रूप में बोनस शेयर जारी कर देती है | इससे कंपनी के पास कैश भी बच जाता है तथा शेयर धारकों को डिविडेंट के रूप में एक्स्ट्रा शेयर भी मिल जाते है
इसके अलावा कभी-कभी कंपनिया बाज़ार में अपनी शाख बनाने के लिए डिविडेंट तथा बोनस शेयर एक साथ दे देती है | कंपनी शेयर होल्डर को डिविडेंट देगी या बोनस शेयर देगी या दोनों देगी यह कंपनी के निदेशक मंडल(Board of directors) पर निर्भर करता है |
सकारात्मक छवि बनाने के लिए :- बोनस शेयर जारी करने वाली कंपनी का बाज़ार में सकारात्मक छवि बनती है जिसका लाभ ट्रेडर तथा निवेशक उठाते है | अतः बाज़ार में अपनी छवि को शुधाराने के लिए भी कंपनिया बोनस शेयर जारी करती है | प्राइस एक्शन ट्रेडिंग क्या है ?
शेयर की कीमत कम करने हेतु :- बोनस इश्यू करने के बाद कंपनी के शेयर की कीमत उसी अनुपात में कम हो जाता है | अतः जब कंपनी के शेयर की कीमत अधिक हो जाती है तो, कंपनी बोनस शेयर को इसलिए भी जारी करती है कि कंपनी के शेयर की कीमत कम हो जाये तथा छोटी पूंजी के निवेशक भी निवेश कर कंपनी के ग्रोथ का लाभ ले सकें |
जब कंपनी केवल अपने शेयर की कीमत कम करना चाहती है, तब कंपनी अपने शेयर को स्प्लिट अर्थात विभाजित कर करती है | इसे स्टॉक स्प्लिट(Stock Split) या शेयर विभाजन कहा जाता है | इसमें जिस रेशियो में कंपनी शेयर को स्प्लिट(विभाजित) करती है, उसी रेशियो में शेयर की कीमत कम हो जाती है |
बोनस शेयर का उदाहरण
जैसे मान लीजिये कि किसी कंपनी A का शेयर बाजार में कुल शेयर 1,00,000, फेस वैल्यू 1 तथा कंपनी के 1 शेयर की कीमत 150 रुपये है | तब कंपनी का कुल मार्केट वैल्यू = 1,00,000 × 150 = 1,50,00,000 रुपये होगी |
अब हम मान लेते है कि कंपनी ने अपने शेयर धारकों के लिए 4:1 का बोनस देने की घोषणा करती है | अर्थात कंपनी हर एक शेयर के बदले आपको 4 अतिरिक्त शेयर देगी | अतः यदि आपके पास कंपनी के 100 शेयर मौजूद है तो आपको 4 गुना अर्थात 400 अतिरिक्त शेयर दिए जायेंगे | इसी प्रकार कंपनी A के सभी शेयर धारकों को 4 गुना शेयर अतिरिक्त प्रदान किये जायेंगे | एडवांस/डिक्लाइन रेशियो
चूँकि कंपनी के पास पहले से कुल आउट स्टैंडिंग शेयर = 1,00,000 थे |
लेकिन अब बोनस शेयर जारी करने के बाद कंपनी के पास कुल
आउट स्टैंडिंग शेयर = 1,00,000 + 1,00,000 × 4 (बोनस शेयर)
आउट स्टैंडिंग शेयर = 1,00,000 + 4 ,00,000
= 5,00,000 शेयर
शेयर होल्डर पर बोनस का प्रभाव (Effect of Bonus on Share Holder)
हम मान कर चलते है कि आपने कंपनी A के 100 शेयर खरीदें है तब
बोनस के पहले :- कंपनी के बोनस शेयर जारी करने के पहले आपके पास 100 शेयर है तथा कंपनी के एक शेयर की कीमत 150 रुपये है अर्थात आपके इस निवेश की वर्तमान में कुल वैल्यू = 100 × 150 = 15000 रुपये है |
बोनस मिलने के बाद :- यदि कंपनी 4:1 का बोनस देती है तो बोनस मिलने के बाद आपके पास कुल शेयर की संख्या = 100 × (4+1 ) = 500 शेयर |
चूँकि कंपनी ने 4:1 का बोनस दिया है अर्थात इसी रेशियो में शेयर की कीमत भी कम हो जाएगी | अतः बोनस के बाद
कंपनी के शेयर की कीमत = 150 /(4 +1)
कंपनी के शेयर की कीमत = 150 /5
कंपनी के शेयर की कीमत = 30 रुपये |
बोनस मिलने के बाद कंपनी A के शेयर की कुल वैल्यू = शेयर की संख्या × शेयर की कीमत
=500 × 30
= 15,000 रुपये |
अतः आपने देखा कि किसी कंपनी के बोनस देने से जिस अनुपात में शेयर आपको दिए जाते है उसी अनुपात में शेयर की कीमत कम हो जाती है अर्थात बोनस शेयर का आपके पोर्टफोलियो में कंपनी के शेयर की कुल वैल्यू पर कोई प्रभाव नहीं होता है | डायवर्सिफिकेशन क्या है ?
कंपनी के मार्केट कैप पर बोनस का प्रभाव
किसी कंपनी द्वारा अपने शेयर धारकों को बोनस शेयर देने के बाद कंपनी के मार्किट कैप पर प्रभाव को निम्न उदाहरण से समझा जा सकता है |
जैसे मान लीजिये कि किसी कंपनी A का शेयर बाजार में कुल शेयर 1,00,000, फेस वैल्यू 1 तथा कंपनी के 1 शेयर की कीमत 150 रुपये है | तब कंपनी के बोनस देने के पहले कंपनी का कुल
मार्केट वैल्यू = 1,00,000 × 150
= 1,50,00,000 रुपये होगी |
अब जब कंपनी अपने शेयर धारकों को 4:1 का बोनस इश्यू कर रही है अर्थात हर एक शेयर के बदले में कंपनी अपने मौजूदा शेयर धारकों को 4 अतिरिक्त शेयर देने का वादा कर रही हो तब कंपनी के कुल
आउट स्टैंडिंग शेयर = 1,00,000 × (4+1 )
आउट स्टैंडिंग शेयर = 1,00,000 × 5
आउट स्टैंडिंग शेयर = 5 ,00,000 शेयर
बोनस इश्यू होने के बाद कंपनी के शेयर की कीमत भी उसी अनुपात में कम हो जाएगी अर्थात
कंपनी के 1 शेयर की कीमत = 150 / (4 +1) रुपये
= 150 /5 रुपये
= 30 रुपये |
बोनस शेयर इश्यू हो जाने के बाद कंपनी A की कुल मार्केट वैल्यू = कुल आउट स्टैंडिंग शेयर की संख्या × प्रति शेयर कीमत
कंपनी A की कुल मार्केट वैल्यू = 500000 × 30 रुपये
कंपनी A की कुल मार्केट वैल्यू = 1,50,00,000 रुपये |
अतः अपने देखा कि कंपनी द्वारा बोनस इश्यू करने पर शेयर होल्डर की शेयर वैल्यू तथा कंपनी के मार्केट कैप पर कोई फर्क नहीं पड़ता है | जिस अनुपात में हमें बोनस के रूप में शेयर मिलते है उसी अनुपात में शेयर की कीमत कम हो जाती है | शेयर खरीदने और बेचने का उत्तम समय ?
बोनस शेयर से सम्बंधित महत्वपूर्ण तिथि
- बोनस घोषणा तिथि (Bonus Announcement Date)
- रिकार्ड तिथि (Record Date)
- एक्स बोनस तिथि (Ex – Bonus Date)
- बोनस शेयर जमा तिथि (Bonus Share Credit Date)
बोनस घोषणा तिथि (Bonus Announcement Date)
जिस दिन कंपनी अपने शेयर होल्डर को बोनस शेयर देने की घोषणा करती है उस दिन को बोनस घोषणा तिथि (Bonus Announcement Date) कहा जाता है |
रिकार्ड तिथि (Record Date)
जिस दिन कंपनी बोनस देने के लिए अपने शेयर धारकों की सूची बनाती है उस तिथि को रिकार्ड तिथि (Record Date) कहा जाता है | अर्थात यदि आप बोनस शेयर का लाभ उठाना चाहते है तो कंपनी के शेयर रिकार्ड तिथि को आपके पोर्टफोलियो में होना आवश्यक है |
एक्स बोनस तिथि (Ex – Bonus Date)
पहले शेयर का सेटलमेंट टाइम T+2 होता था | इस कारण से बोनस पाने के लिए आपको कम से कम दो दिन पहले शेयर को खरीदना होता था | तब एक्स बोनस तिथि (Ex – Bonus Date), रिकार्ड डेट से दो दिन पहले होता था | लेकिन 27th January 2023 से भारत में T +1 सेटलमेंट को लागु कर दिया गया है |
अर्थात आज आप शेयर खरीदेंगे तो अगले दिन शेयर आपके डीमेट खाते में आ जायेगा | इस स्थिति में रिकार्ड डेट तथा एक्स बोनस तिथि एक ही दिन होता है | अगर आपको बोनस का लाभ लेना है तो आपको रिकार्ड डेट से एक दिन पहले शेयर को अवश्य खरीद लेना चाहिए | इसके बाद खरीदने पर आपको बोनस शेयर का लाभ नहीं मिलेगा |
बोनस शेयर जमा तिथि (Bonus Share Credit Date)
कंपनी जिस दिन बोनस के शेयर को आपके डीमेट खाते में ट्रांसफर करती है उस दिन को बोनस शेयर जमा तिथि (Bonus Share Credit Date) कहा जाता है | शेयर बाज़ार में निवेश के नियम
बोनस शेयर की पात्रता (Bonus Share Eligibility)
बोनस शेयर की एक और एक मात्र पात्रता है कि रिकार्ड डेट वाले दिन आपके डीमेट खाते में शेयर की होल्डिंग होनी चाहिए | यदि आपके पास कंपनी के शेयर पहले से मौजूद है तथा आप कंपनी के बोनस शेयर का लाभ लेना चाहते है तो आपको कम से कम रिकार्ड डेट तक आपको होल्ड करना पड़ेगा |
यदि आपके पास कंपनी के शेयर पहले से नहीं है लेकिन आप कंपनी के बोनस इश्यू लाभ लेना चाहते है तो कम से कम एक्स डेट के दिन आपको शेयर खरीदना आवश्यक है | एक्स डेट, रिकार्ड डेट के एक दिन पहले का डेट होता है | यदि आप एक्स डेट के दिन शेयर खरीदेंगे तो रिकार्ड डेट वाले दिन शेयर आपके डीमेट खाते के होल्डिंग में आ जायेंगा तथा आप बोनस शेयर के हकदार होंगे | कंपनी का फंडामेंटल एनालिसिस कैसे करें ?
बोनस शेयर से कंपनी को फायदे
कंपनी जिस रेशियो में बोनस इश्यू करती है शेयर का प्राइस उसी रेशियो में कम हो जाता है | शेयर की कीमत कम हो जाने से छोटी पूंजी के निवेशक भी कंपनी में आसानी से निवेश कर पाते है | इससे कंपनी के लिक्विडिटी में वृद्धि होती हैं |
कंपनी द्वारा बोनस इश्यू करने से बाज़ार में कंपनी का सकारात्मक प्रभाव होता है |
बोनस इश्यू करने वाली कंपनी सुर्खियों में आ जाती है | इससे जो निवेशक कंपनी के बारे में नहीं जानता होता है वो भी कंपनी तथा चार्ट का फंडामेंटल एनालिसिस तथा टेक्निकल एनालिसिस करने लगता है |
बोनस इश्यू कर कंपनी अपने रिजर्व को भी संतुलित करती है | इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए सर्वश्रेष्ठ इंडिकेटर
बोनस से निवेशक को फायदे (Bonus benefits to the investor)
बोनस इश्यू होने के बाद निवेशक के पास पहले से अधिक शेयर हो जाते है |
बोनस इश्यू होने के बाद कंपनी के शेयर की कीमत पहले से कम हो जाती है जिस कारण से कम पूंजी के निवेशक भी कंपनी में निवेश कर कंपनी के ग्रोथ का लाभ उठाते है |
बोनस इश्यू होने के बाद कंपनी के शेयर की संख्या बढ़ जाती है जिस कारण से शेयर में वोलेटिलिटी बढ़ जाती है | अतः इंट्राडे ट्रेडिंग करने वाले ट्रेडर के लिए भी शेयर उपयुक्त हो जाती है |
बोनस शेयर देने के बाद कंपनी का सेंटीमेंट पॉजिटिव हो जाता है जिस कारण से निवेशक निवेश करने के लिए आगे आते है इस कारण से शेयर में डिमांड आती है तथा शेयर धीरे-धीरे ऊपर जाने लगता है | जिसका लाभ शेयर धारको को मिलता है | टेक्निकल एनालिसिस क्या है ?
बोनस इश्यू के कुछ महत्वपूर्ण बिंदु
- बोनस शेयर जारी करने वाली कंपनी के शेयर की संख्या में तो इजाफा होता होता है लेकिन कंपनी के मार्केट कैप में कोई इजाफा नहीं होता है |
- बोनस शेयर जारी करने के बाद कंपनी के शेयर की फेस वैल्यू में कोई परिवर्तन नहीं होता हैं।
- बोनस देने वाली कंपनी का कुछ समय के लिए सेंटीमेंट बेहतर हो जाता है |
- बोनस इश्यू करने वाली कंपनी में तरलता बढ़ जाती हैं |
बोनस शेयर अच्छा है बुरा ?
सामान्य नज़रिए से देखा जाय तो बोनस शेयर देने वाली अधिकतर कंपनिया अच्छी होती है | बोनस शेयर इश्यू करने वाली कंपनी के शेयर एक निश्चित आनुपात कम हो जाते है जिससे ट्रेडर तथा निवेशक को ट्रेड करने में अधिक पूंजी की आवश्यकता नहीं होती है | बोनस देने वाली कंपनी का सेंटिमेंट कुछ समय के लिए पाजिटिव हो जाता है | बोनस देने वाली कंपनी अचानक से शुर्खियो में आ जाती है |
बोनस शेयर के इसी पाजिटिव सेंटिमेंट का लाभ उठाने के लिए कुछ ऐसी भी कंपनिया बोनस इश्यू करती है जिन्हें इसकी कोई आवश्यकता नहीं होती है | जो कंपनी अपने बिजनेस में लाभ नहीं कमा पा रही है या कंपनी का बिजनेस ग्रोविंग नहीं है या कंपनी में कर्ज लगातार बढ़ता जा रहा है तो इस प्रकार की कंपनी यदि बोनस इश्यू कर रही है तो आपको निवेश करने से पहले विचार करने की आवश्यकता है |
इस लेख से सम्बंधित प्रश्नोत्तरी
बोनस शेयर का मतलब क्या होता है?
जब कोई कंपनी अपने मौजूदा शेयर धारको को डिविडेंट के रूप में अतिरिक्त शेयर आबंटित करती है तो इसे बोनस शेयर(Bonus Share) कहा जाता है | बोनस शेयर का लाभ लेने के लिए रिकार्ड डेट के दिन शेयर अपने डीमेट खाते के होल्डिंग में कंपनी का शेयर होना आवश्यक है | जब कंपनी कैश डिविडेंट या लाभांश देने की स्थिति में नहीं होती है तो कंपनी अपने शेयर धारको को बोनस शेयर जारी करती है |
बोनस शेयर अच्छा है या बुरा?
बोनस शेयर जारी करने से कंपनी के के आउट स्टैंडिंग शेयर की संख्या बढ़ जाती है | इससे बाज़ार के सेंटिमेंट कंपनी के लिए अच्छा हो जाता है, कंपनी का शेयर कीमत कम हो जाने से कम पूंजी के निवेशक भी आसानी से निवेश कर पाते है |
इस प्रकार से देखा जाय तो बोनस शेयर देने वाली कंपनी ज्यादातर अच्छी कंपनी होती है | लेकिन कुछ मामलो में कंपनी लाभ न कमाने पर भी बोनस शेयर देती है जो सही नहीं है |
कौन सी कंपनी सबसे ज्यादा बोनस शेयर देती है?
कुछ कंपनी जो अपने शेयर धारको को कई बार बोनस दे चुकी है ये निम्न है :-
1. विप्रो लि . (Wipro Ltd) अब तक 13 बार
2. L & T Ltd. अब तक 10 बार
3. Castrol India Ltd. अब तक 10 बार
4. Samvardhana Motherson International Ltd. अब तक 9 बार
5. Infosys Ltd
6. ITC Ltd.
7. TCS
कोई कंपनी बोनस शेयर क्यों देती है?
जब कंपनी अपने बिजनेस में लाभ कमाती हो तो वह बिजनेस में लाभ का कुछ हिस्सा अपने शेयर धरकों में बाँट देती है जिसे लाभांश या डिविडेंट कहा जाता है | लेकिन जब कंपनी को पूंजी की आवश्यकता होती है तो कंपनी कैश डिविडेंट न देकर बोनस शेयर इशू कर देती है | इससे कंपनी की पूंजी भी बच जाती है तथा शेयर धारकों को अतिरिक्त शेयर भी मिल जाते है |
मुझे बोनस के लिए शेयर कब खरीदना चाहिए?
कंपनी बोनस शेयर की घोषणा करते समय रिकार्ड डेट की भी घोषणा करती है | यदि आप बोनस शेयर का लाभ लेना चाहते है तो आपको रिकार्ड डेट से पहले कंपनी के शेयर को खरीद कर रिकार्ड डेट तक अपने डीमेट खाते में होल्ड करना होगा | रिकार्ड डेट के दिन कंपनी उन शेयर धारकों की सूची तैयार करती है जिन्हें बोनस शेयर देना होता है | अतः रिकार्ड डेट के दिन कंपनी के शेयर आपके डीमेट खाते में होना आवश्यक है |
शेयर स्प्लिट और बोनस शेयर में क्या अंतर है?
शेयर स्प्लिट में कंपनी के शेयर को निश्चित अनुपात में टुकडे कर दिए जाते है | लेकिन में बोनस शेयर में कंपनी अपने मौजूदा शेयर धारको को एक पूर्व निर्धारित अनुपात में अतिरिक्त्त शेयर आबंटित करती है |
लेकिन जिस अनुपात में शेयर स्प्लिट या बोनस शेयर दिए जाते है उसी अनुपात में शेयर की कीमत भी कम हो जाती है | इससे आपके पोर्टफोलियो के वॉल्यू पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है |
बोनस शेयर देने से कंपनी को क्या फायदा होता है?
बोनस शेयर देने से कंपनी को निम्न फायदे होते है :-
1. शेयर की कीमत कम हो जाने से छोटी पूंजी के निवेशक भी कंपनी में आसानी से निवेश कर पाते है | इससे कंपनी के लिक्विडिटी में वृद्धि होती हैं |
2. कंपनी द्वारा बोनस इशू करने से बाज़ार में कंपनी का सकारात्मक प्रभाव होता है |
3. बोनस इशू करने वाली कंपनी सुर्खियों में आ जाती है |
4. बोनस इशू कर कंपनी अपने रिजर्व को भी संतुलित करती है |
बोनस शेयर क्या है उदाहरण सहित?
जब कोई कंपनी अपने मौजूदा शेयर धारकों को अतिरिक्त शेयर आबंटित करती है तो इसे बोनस शेयर कहा जाता है | जैसे जब कोई कंपनी 2:1 का बोनस शेयर देने की घोषणा करती है तो यदि आपके पास पहले से कंपनी के 100 शेयर हैं तो बोनस इशू हो जाने के बाद आपके पास शेयर की कुल संख्या 100 × (2+1) = 300 हो जायेंगे | इसी रेशियो में शेयर की कीमत भी कम हो जाएगी |
क्या हम बोनस शेयर तुरंत बेच सकते हैं?
जब कंपनी बोनस देने की घोषणा करती है तो वह रिकार्ड डेट तथा बोनस क्रेडिट डेट दोनों की घोषणा करती है | जिस दिन कंपनी बोनस शेयर आपके डीमेट खाते में क्रेडिट हो जाये तब आप बोनस शेयर को बेंच सकते है | बोनस शेयर में आपको केवल अतिरिक्त शेयर दिए जाते | इस आपके पोर्टफोलियो पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है, क्यों की जिस रेशियो में आपको शेयर आबंटित किये जाते है उसी रेशियो में शेयर की कीमत कम हो जाती है |
बोनस शेयर क्या है और इसके फायदे?
जब कोई कंपनी अपने शेयर धारको को डिविडेंट के रूप अतिरिक्त शेयर को आबंटित करती है तो इसे बोनस शेयर कहा जाता है |
1. बोनस इशू होने के बाद निवेशक के पास पहले से अधिक शेयर हो जाते है |
2. बोनस इशू होने के बाद कंपनी के शेयर की कीमत पहले से कम हो जाती है जिस कारण से कम पूंजी के निवेशक भी कंपनी में निवेश कर कंपनी के ग्रोथ का लाभ ले सकते है |
3. बोनस इशू होने के बाद कंपनी के शेयर की संख्या बढ़ जाती है जिस कारण से शेयर में वोलेटिलिटी बढ़ जाती है | अतः इंट्राडे ट्रेडिंग करने वाले ट्रेडर के लिए भी शेयर उपयुक्त हो जाती है |
4. बोनस शेयर देने के बाद कंपनी का सेंटीमेंट पॉजिटिव हो जाता है जिस कारण से निवेशक निवेश करने के लिए आगे आते है |
सारांश (Summary)
दोस्तों आज के इस लेख बोनस शेयर क्या है ? Bonus Share Meaning in Hindi में हम सब ने बोनस शेयर अर्थात बोनस इश्यू के बारे में विस्तार से अध्ययन किया तथा जाना कि शेयर बाजार में बोनस शेयर (Bonus Share) क्या होता है | इसके जारी करने पर कंपनी तथा निवेशक को क्या-क्या लाभ होता है | इसके साथ ही हमने जाना कि यदि आप किसी कंपनी के बोनस शेयर का लाभ लेना चाहते है तो आपको शेयर कब खरीदना चाहिए |
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