दोस्तों पिछले अध्याय में हम सबने बोनस शेयर, स्टॉक स्प्लिट तथा डिविडेंट के बारे में विस्तार से जाना | आपने देखा होगा कि कभी-कभी किसी कंपनी के शेयर गिरते-गिरते पेन्नी शेयर (वैल्यू में बहुत कम) बन जाते है | लेकिन फिर अचानक से शेयर एक ही दिन में कई गुना नज़र आने लगता है | इसका कारण रिवर्स स्टॉक स्प्लिट होता है |
तो आईये आज हम सब जानते है कि रिवर्स स्टॉक स्प्लिट(Reverse Stock Split) क्या है?, कोई कंपनी इसका प्रयोग कब करती है, इससे कंपनी तथा शेयर होल्डर पर क्या असर होता है इसके साथ-साथ रिवर्स स्टॉक स्प्लिट के लाभ तथा हानि के बारे में विस्तार से समझेंगे |
रिवर्स स्टॉक स्प्लिट क्या है? What is Reverse Stock Split in Hindi
यह स्टॉक स्प्लिट(Stock Split) के ठीक विपरीत होता है |
जब किसी कंपनी के शेयर गिरते-गिरते बहुत कम कीमत के हो जाते है तो कंपनियां अपने शेयर की वैल्यू(कीमत) को बढ़ाने के इरादे से रिवर्स स्टॉक स्प्लिट(Reverse Stock Split) लेकर आती है | इसमे कंपनी अपने कई शेयर को जोड़कर एक शेयर बना देती है | जिस कारण से कंपनी के शेयर की संख्या में कमी तथा कीमत में इजाफा हो जाता है |
कोई कंपनी इसकी घोषणा निदेशक मंडल(Board of directors) के अप्रूवल के बाद करती है | रिवर्स स्टॉक स्प्लिट के घोषणा के समय कंपनी शेयर होल्डर को अवगत कराती है कि कंपनी किस अनुपात में शेयर जो जोड़ेगी | अर्थात कितने शेयर को मिलाकर कितने शेयर का निर्माण करेंगे | कंपनी का फंडामेंटल एनालिसिस कैसे करें ?
कंपनी रिवर्स स्टॉक स्प्लिट कब करती है(When does a company do a reverse stock split?)
जब कंपनी के मैनेजमेंट को ऐसा लगता है कि कंपनी के शेयर में लगातार गिरावट के कारण इनकी वैल्यू बहुत कम हो गयी है तथा या एक पेनी स्टॉक बन गया है | तब कंपनी के निदेशक मंडल(Board of directors) द्वारा अपने शेयर को रिवर्स स्प्लिट करने का फैसला लिया जाता है | इसमे कई शेयर को आपस में जोड़ दिया जाता है जिस कारण से शेयर की कीमत में इजाफा हो जाता है |
स्टॉक एक्सचेंज में बने रहने के लिए एक्सचेंज के पास एक न्यूनतम शेयर मूल्य और एक निश्चित संख्या में शेयर होने आवश्यक है। इसलिए, जब किसी कंपनी के शेयर अपने न्यूनतम मूल्य के आस-पास पहुंचती है तब कंपनी अपने शेयर को बाज़ार के डीलिस्टिंग से बचाने के लिए रिवर्स स्टॉक स्प्लिट का प्रयोग कराती है तथा अपने शेयर को रिवर्स स्प्लिट करती है | सेबी क्या है ? विस्तार से
चलिए इसे एक उदाहरण की सहायता से समझते है
हम मान कर चलते है कि कंपनी Z के कुल आउट स्टैंडिंग शेयर 1,00,00,000 है जिसमे से आपके पास कंपनी Z के 800 शेयर हैं | वर्तमान समय में कंपनी का शेयर का 2 रुपये पर ट्रेड कर रहा है तथा कंपनी के शेयर का फेस वैल्यू 1 है | ट्रेडिंग कैसे सीखें ?
शेयर होल्डर पर प्रभाव(impact on shareholder)
रिवर्स स्टॉक स्प्लिट के पहले :-
कंपनी Z में आपके निवेश की कुल वैल्यू = 800×2 रुपये
कंपनी Z में आपके निवेश की कुल वैल्यू = 1600 रुपये
रिवर्स स्टॉक स्प्लिट के बाद :-
अब कंपनी के निदेशक मंडल को लगता है कि कंपनी का शेयर कीमत बहुत कम हो गया है अतः इसकी वैल्यू को बढ़ाने के लिए निदेशक मंडल द्वारा 50:1 के अनुपात में शेयर को रिवर्स स्प्लिट करने का विचार करती है | अर्थात हर 50 शेयर को जोड़कर 1 शेयर बनाने पर विचार करती है | तब
स्प्लिट के बाद आपके शेयर की संख्या = 800/50 = 16 शेयर
चूँकि जिस अनुपात में शेयर को जोड़ा जाता है कंपनी का शेयर भी उसी अनुपात में बढ़ जाता है | अर्थात
कंपनी के 1 शेयर की कीमत = 2×50 = 100 रुपये
स्प्लिट के बाद आपके निवेश की वैल्यू = शेयर की संख्या × शेयर की कीमत
= 16×100 रुपये
= 1600 रुपये
अतः हमने गणना कर देखा कि किस प्रकार से शेयर का रिवर्स स्प्लिट होने पर हमारे शेयर की संख्या तथा शेयर की कीमत बदलाव होता है | इसके साथ ही आपने देखा की रिवर्स स्टॉक स्प्लिट से आपके निवेश के वैल्यू पर कोई परिवर्तन नहीं होता है | क्या आप शेयर बाज़ार के डिविडेंट तथा स्टॉक स्प्लिट से बड़ा लाभ कमाना चाहते है |
रिवर्स स्टॉक स्प्लिट का कंपनी पर प्रभाव(Impact of reverse stock split on the company)
रिवर्स स्टॉक स्प्लिट के पहले :-
कंपनी Z की कुल मार्केट कैप = 1,00,00,000×2 रुपये
कंपनी Z में आपके निवेश की कुल वैल्यू = 2,00,00,000 रुपये |
रिवर्स स्टॉक स्प्लिट के बाद :-
अब कंपनी के निदेशक मंडल को लगता है कि कंपनी का शेयर कीमत बहुत कम हो गयी है अतः इसकी वैल्यू को बढ़ाने के लिए निदेशक मंडल द्वारा 50:1 के अनुपात में शेयर को रिवर्स स्प्लिट करने का विचार करती है | अर्थात हर 50 शेयर को जोड़कर 1 शेयर बनाने पर विचार करती है | तब
कंपनी के कुल आउट स्टैंडिंग शेयर = 1,00,00,000 × (1/50)
= 1,00,00,000 / 50
= 2,00,000 शेयर |
रिवर्स स्टॉक स्प्लिट के बाद शेयर की कीमत = 2 × 50 = 100 रुपये |
कंपनी का मार्केट कैप = कंपनी के कुल आउट स्टेंडिंग शेयर × कंपनी के शेयर प्राइस
= 20,00,00 ×100
= 2,00,00,000 रुपये |
अतः आपने देखा कि कंपनी के रिवर्स स्टॉक स्प्लिट करने के बाद जिस अनुपात में कंपनी के शेयर जोड़े जाते है उसी अनुपात में कंपनी के शेयर के वैल्यू भी बढ़ जाती है | इस कारण से कंपनी के मार्केट कैप पर रिवर्स स्टॉक स्प्लिट का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है | लम्बे समय तक निवेश करने के लिए शेयर
कंपनी के फेस वैल्यू पर रिवर्स स्टॉक स्प्लिट का असर
जब कोई कंपनी शेयर बाज़ार में अपना आईपीओ लेकर आती है तब कंपनी अपने शेयर का एक फेस वैल्यू तय करती है | शेयर की डिमांड के अनुसार शेयर की कीमत ऊपर निचे होती है लेकिन कंपनी का फेस वैल्यू तब बदलती है जब कंपनी अपने शेयर को स्प्लिट या रिवर्स स्प्लिट करती है |
कंपनी जिस अनुपात में अपने शेयर को रिवर्स स्प्लिट करती है, कंपनी के शेयर का फेस वैल्यू भी उसी अनुपात में बढ़ जाता है | जैसे यदि कंपनी के शेयर का फेस वैल्यू 1 है तथा कंपनी ने 50 : 1 के अनुपात में शेयर को रिवर्स स्प्लिट करती है तो रिवर्स स्प्लिट के बाद कंपनी के शेयर का फेस वैल्यू = 1 × 50 = 50 हो जायेगा | निवेश के 8 बेहतरीन साधन
रिवर्स स्टॉक स्प्लिट से सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण तिथि
रिवर्स स्टॉक स्प्लिट से सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण तिथि निम्न है
- रिवर्स स्टॉक स्प्लिट घोषणा तिथि
- रिकार्ड तिथि (Record Date)
- रिवर्स स्टॉक स्प्लिट तिथि
(1) रिवर्स स्टॉक स्प्लिट घोषणा तिथि
निदेशक मंडल की मजूरी मिलने के बाद जिस दिन कंपनी अपने शेयर को रिवर्स स्प्लिट करने की घोषणा करती है उस तिथि को रिवर्स स्टॉक स्प्लिट घोषणा तिथि(reverse stock split announcement date) कहा जाता है |
(Ii) रिकार्ड तिथि (Record Date)
ये वो दिन होता है जिस दिन कंपनी अपने शेयर रिवर्स स्प्लिट करने के लिए शेयर होल्डर की सूची तैयार करती है | रिकार्ड डेट(Record Date) वाले दिन कंपनी के शेयर जिनके डीमेट अकाउंट में होगा उन्हें रिवर्स स्टॉक स्प्लिट का लाभ मिलता है | अतः यदि आप के रिवर्स स्टॉक स्प्लिट में भागीदार होना चाहते है तो रिकार्ड डेट से एक दिन पहले शेयर को खरीदना अत्यंत आवश्यक है |
(Iv) रिवर्स स्टॉक स्प्लिट डेबिट तिथि(reverse stock split debit date)
ये वो दिन होता है जिस दिन कंपनी शेयर को जोड़कर अतिरिक्त शेयर को आपके खाते से डेबिट कर लेती है तथा उसी अनुपात में शेयर की कीमत बढ़ा दी जाती है | कैंडलस्टिक चार्ट पैटर्न क्या है ?
रिवर्स स्टॉक स्प्लिट से कंपनी का सेंटिमेंट
रिवर्स स्टॉक स्प्लिट से कंपनी का सेंटिमेंट नगेटिव हो जाता है | इसके पीछे जानकार का मानना है कि जरुर कंपनी के फंडामेंटल में किसी प्रकार की कोई कमी है जिस कारण से कंपनी का शेयर लगातार गिरता जा रहा है | कभी-कभी इस प्रकार की कंपनी में फंडामेंटल इश्यू नज़र आता है, लेकिन कभी-कभी ऐसा भी होता है कि कंपनी के फंडामेंटल में कमियाँ प्रत्यक्ष रूप से दिखाई नहीं देती है |
इसी लिए बड़े बड़े निवेशक तथा जानकार का मानना है कि किसी भी कंपनी में निवेश करने से पहले टेक्निकल एनालिसिस तथा फंडामेंटल एनालिसिस अवश्य रूप से करें | यदि कोई कंपनी लगातार लोअर लो बनाते हुए ट्रेड कर रही है तो इसका अर्थ है कि कंपनी के चार्ट का टेक्निकल बहुत खराब हो गया है | ऐसे में आपको निवेश से बचना चाहिए | स्टॉप लॉस क्या है ?
क्या रिवर्स स्टॉक स्प्लिट देने वाली कंपनी में निवेश सही है
यदि एक निवेशक के रूप में देखा जाय तो शेयर को रिवर्स स्प्लिट करने वाली कंपनी अच्छी नहीं मानी जाती है | ऐसी कंपनियां सामान्यतः अपने उपरी स्तर से 90 से 95 प्रतिशत या इससे भी अधिक गिर चुके होते है | अतः जो कंपनी ख़राब फंडामेंटल के कारण अपने उपरी स्तर से 95 प्रतिशत या इससे गिर सकती है, बहुत मुमकिन है कि ये यहाँ से भी 95 प्रतिशत निचे चला जाय |
अतः आप यदि मेरी सलाह माने तो मै आपको इस प्रकार की कंपनी में निवेश करने की सलाह बिलकुल नहीं दूंगा जो अपने उपरी स्तर से 95 प्रतिशत या इससे अधिक गिर चूका हो | फिर भी यदि आपने इस प्रकार की किसी कंपनी में निवेश कर रखा है तब आपको विचार करने की आवश्यकता है | यदि आप द्वारा निवेशित कंपनी में आपको किसी प्रकार का फंडामेंटल सुधार नज़र आता है तब आप कुछ उम्मीद लेकर कंपनी में निवेशित रह सकते है | अन्यथा की स्थिति में में आप एग्जिट होकर अपनी पूंजी को सुरक्षित कर सकते है | कंसोलिडेशन पैटर्न (Consolidation Pattern) क्या है ?
स्टॉक स्प्लिट तथा रिवर्स स्टॉक स्प्लिट में अंतर
स्टॉक स्प्लिट तथा रिवर्स स्टॉक स्प्लिट में अंतर को निम्न प्रकार से समझा जा सकता है |
क्रम संख्या | स्टॉक स्प्लिट | रिवर्स स्टॉक स्प्लिट |
1 | स्टॉक स्प्लिट में कंपनी द्वारा आपने शेयर को विभाजित किया जाता है | | शेयर के रिवर्स स्प्लिट में कंपनी अपने कई शेयर को जोड़कर एक शेयर बनाती है | |
2 | कंपनी इसका प्रयोग अपने शेयर की कीमत कम करने के लिए करती है | | कंपनी इसका प्रयोग अपने शेयर की कीमत बढ़ाने के लिए करती है | |
3 | स्टॉक स्प्लिट में कंपनी के शेयर का फेस वैल्यू स्प्लिट के अनुपात में कम हो जाती है | | रिवर्स स्टॉक स्प्लिट में कंपनी के शेयर का फेस वैल्यू रिवर्स स्प्लिट के अनुपात में बढ़ जाती है | |
इस लेख से सम्बंधित प्रश्नोत्तरी
रिवर्स शेयर स्प्लिट क्या है?
जब किसी कंपनी के शेयर गिरते-गिरते बहुत कम कीमत के हो जाते है तो कंपनियां अपने शेयर की वैल्यू(कीमत) को बढ़ाने के इरादे से रिवर्स स्टॉक स्प्लिट(Reverse Stock Split) लेकर आती है | इसमे कंपनी अपने कई शेयर को जोड़कर एक शेयर बना देती है | जिस कारण से कंपनी के शेयर की संख्या में कमी तथा कीमत में इजाफा हो जाता है |
शेयर स्प्लिट और रिवर्स शेयर स्प्लिट में क्या अंतर है?
शेयर स्प्लिट लाने के पीछे कंपनी का मत होता है कि उनका शेयर महंगा हो गया है
इस कारण से कंपनी अपने शेयर को विभाजित करती है जिससे शेयर की कीमत कम हो जाती है | जबकि रिवर्स शेयर स्प्लिट में कंपनी को लगता है की उनका शेयर सस्ता होकर एक पेनी शेयर बन गया है इस कारन से कंपनी अपने कई शेयर को जोड़कर एक शेयर बनाती है | जिससे शेयर की कीमत (वैल्यू) बढ़ जाती है |
एक कंपनी रिवर्स स्प्लिट क्यों करेगी?
जब कंपनी को लगता है कि उसके कंपनी के शेयर अपने उपरी स्तर से बहुत निचे आ गया है तथा अब शेयर एक पेनी शेयर बन गया है तब कंपनी अपने शेयर को रिवर्स स्प्लिट करती है | इसमे कंपनी के कई शेयर को जोड़कर एक शेयर बनाया जाता है जिससे कंपनी के शेयर कीमत में इजाफा होता है |
क्या मुझे अपने शेयर रिवर्स स्प्लिट से पहले बेचना चाहिए?
आप बोनस शेयर की बात करें या स्प्लिट शेयर की या रिवर्स स्प्लिट की सभी एक्टिविटी में केवल बाज़ार का सेंटिमेंट पोजिटिव या नेगेटिव होता है इससे आपके पोर्ट फोलियो के वैल्यू पर कोई असर नहीं होता है | बाज़ार का सेंटिमेंट भी कुछ ही समय तक के लिए होता है | इसलिए आप आपको बोनस शेयर, स्प्लिट शेयर तथा रिवर्स स्प्लिट के सेंटिमेंट पर ध्यान न देकर कंपनी के फंडामेंटल पर ध्यान देना चाहिए |
क्या रिवर्स शेयर स्प्लिट अच्छा है?
रिवर्स शेयर स्प्लिट का सेंटिमेंट बाज़ार में नागेटिव पड़ता है | सामान्यतः इस प्रकार की कंपनी को अच्छी नहीं मानी जाती है | इसका प्रमुख कंपनी का फंडामेंटल तथा टेक्निकल का कमजोर होना है | कभी-कभी इस प्रकार की कंपनी में फंडामेंटल कमी नज़र आता है, लेकिन कभी-कभी ऐसा भी होता है कि कंपनी के फंडामेंटल में कमियाँ प्रत्यक्ष रूप से दिखाई नहीं देती है |
सारांश(Summary)
दोस्तों आज के इस लेख में हम सबने जाना कि किसी कंपनी के शेयर का रिवर्स स्प्लिट क्या है, कोई कंपनी इसे कब लाती है, इस प्रकार की कंपनी का बाज़ार में सेंटिमेंट कैसा होता है इसके साथ साथ रिवर्स स्टॉक स्प्लिट से सम्बंधित महत्वपूर्ण तिथियों के बारे में विस्तार से जाना |
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