यदि आप शेयर बाज़ार में निवेश या ट्रेडिंग करने के इरादे से बाज़ार में आये है तो आपको शेयर बाज़ार के चार्ट, कैंडलस्टिक चार्ट पैटर्न, कैंडलस्टिक पैटर्न के ज्ञान के साथ-साथ किसी कंपनी का फंडामेंटल एनालिसिस तथा शेयर का टेक्निकल एनालिसिस का ज्ञान होना अत्यंत आवश्यक है |
ट्रेंड लाइन (Trend Line) कैंडल स्टिक चार्ट में बनने वाला एक पैटर्न है जो शेयर के चाल की दिशा का संकेत देकर ट्रेडर को लाभ पहुचता है |
ट्रेंड लाइन (Trend Line)
जब कोई शेयर या इंडेक्स हाईयर-लो या लोअर-हाई बनाते हुए ट्रेड करें तो इन हाईयर-लो या लोअर-हाई ट्रेंडलाइन को मिलाती हुई एक रेखा खींचने पर यदि यह एक लाइन में होते है तो इसे ट्रेंडलाइन (Trend Line) कहा जाता है |
सामान्यतः हाईयर-लो बनाते हए ट्रेंडलाइन में बायर(Buyer) तथा लोअर-हाई बनाने वाले ट्रेंडलाइन में सेलर(Seller) हावी होते है | शेयर बाज़ार क्या है ?
ट्रेंड लाइन (Trend Line) के प्रकार
ट्रेंड लाइन मुख्यतः दो प्रकार के होते है :-
- अप ट्रेंडलाइन
- डाउन ट्रेंडलाइन
अप ट्रेंड लाइन
जब कोई शेयर या इंडेक्स समय के साथ हाईयर-लो ट्रेंडलाइन का सपोर्ट लेते हुए ऊपर की ओर जा रही है तो इस प्रकार से बने ट्रेंडलाइन को अप ट्रेंड लाइन (Trend Line) कहा जाता है |
अप ट्रेंड लाइन (Trend Line) का निर्माण
इस पैटर्न के निर्माण में तेजड़िए तथा मंदड़िया(bear) के मध्य खिंचा तानी होती है | तेजड़िए(bulls) तथा मंदड़िया(bear) के मध्य खिंचा तानी का परिणाम यह होता है कि शेयर न तो ऊपर जा पाता है तथा न ही निचे गिर पाता है यह एक चैनेल के मध्य में ट्रेड करने लगता है | इस ट्रेंडलाइन में तेजड़िए की क्षमता, मंदड़ियों से अधिक होती है जिस कारण से शेयर /इंडेक्स का हर अगला सपोर्ट पिछले सपोर्ट से थोडा ऊपर बनता है जो समय के साथ अप ट्रेंडलाइन का रूप ले लेता है | शेयर खरीदने और बेचने का उत्तम समय ?
शेयर बार-बार अपने सपोर्ट या ट्रेंडलाइन से ऊपर जाने का प्रयास करती है लेकिन मंदड़ियों (bear) के द्वारा शेयर में बिकवाली करने के कारण शेयर बार-बार अपने ट्रेंड लाइन (Trend Line) के सपोर्ट पर आ जाती है |
अप ट्रेंड लाइन (Trend Line) में ट्रेड कब लें
इस ट्रेंड लाइन में दो प्रकार से ट्रेड लिए जाता है |
- अप ट्रेंडलाइन के ब्रेक डाउन पर
- Blow-Off पैटर्न के निर्माण पर
अप ट्रेंड लाइन के ब्रेक डाउन पर
जब कोई शेयर या इंडेक्स अपने सपोर्ट को समय के साथ ऊपर बनाती जा रही है तो इसे पॉजिटिव माना जाता है | लेकिन जब शेयर की कीमत ऊपर जा रही हो तथा चार्ट पर ट्रेडिंग का वॉल्यूम लगातार गिरती जा रही हो तो ट्रेडर को सावधान हो जाना चाहिए | इस कंडीशन में जब कोई शेयर/इंडेक्स ट्रेंडलाइन के पास सपोर्ट पर आती है तो शेयर कुछ देर के लिए उसी लेवल पर रुकता है |
यदि इस लेवल पर जब किसी ट्रेडर को शेयर की कीमत उसके इंट्रेंसिक वैल्यू से अधिक नजर आती है तो वे इस लेवल पर बड़ी बिकवाली कर देते है जिस कारण से शेयर अपने ट्रेंडलाइन को ब्रेक करते हुए एक लाल बेयरिश कैंडल बनाती है तथा अपनी क्लोजिंग ट्रेंडलाइन के निचे देती है तो पैटर्न कन्फर्म हो जाता है तथा इसे अप ट्रेंडलाइन पैटर्न कहा जाता है | आईपीओ (प्रारंभिक सार्वजनिक निर्गम)
जब अगली कैंडल इस लाल बेयरिश कैंडल के लो ब्रेक करे तो ट्रेडर इसमें बिकवाली कर अपना लाभ बनाते है | इस प्रकार के पैटर्न के निर्माण होने पर शेयर के ऊपर जाने की संभावना 60 से 70 प्रतिशत होता है |
स्टॉप लॉस कहाँ लगाये
ट्रेडर को किसी भी पैटर्न में ट्रेड लेने से पहले स्टॉप लॉस तथा टार्गेट की गणना कर लेना अतिआवश्यक है | इस पैटर्न में ट्रेडर को स्टॉप लॉस ट्रेंडलाइन को ब्रेक डाउन करने वाली कैंडल का हाई लगाया जाता है | प्राइस एक्शन ट्रेडिंग क्या है ?
Blow-Off पैटर्न के निर्माण पर
ट्रेंडलाइन के ब्रेक डाउन पर ट्रेड लेना अब पुरानी बात हो गयी है | अब सामान्य तौर पर इसका प्रयोग प्रमोटर द्वारा ट्रेडर को अपने जाल में फंसा कर उनसे बड़ा मुनाफा कमाने में किया जाता है | प्रमोटर पहले ट्रेंडलाइन का ब्रेक डाउन करा कर ट्रेडर को ट्रेड लेने के लिए प्रेरित करता है, तथा कुछ देर तक ट्रेडर को ट्रेड में एंट्री के लिए समय देते है |
जब ट्रेडर, ट्रेंडलाइन का ब्रेक डाउन होने के बाद बिकवाली में ट्रेड ले लेते है तो प्रमोटर एक बड़ी खरीदारी का आर्डर लगा देते है जिससे शेयर बड़ी तेज़ी से ऊपर चला जाता है | ऐसी स्थिति में सभी ट्रेडर का स्टॉप लॉस कट जाता है तथा शेयर ट्रेंडलाइन को पुनः ब्रेक कर ऊपर चली जाती है | इस ट्रेड में ट्रेडर को नुकसान उठाना पड़ता है | डायवर्सिफिकेशन क्या है ?
प्रमोटर के इसी चाल से बचने के लिए Blow-Off पैटर्न का प्रयोग किया जाता है |
जब किसी चार्ट में ट्रेंडलाइन का ब्रेक डाउन हो जाता है तो ट्रेड न लेकर थोडा इंतजार किया जाता है | यदि ब्रेक डाउन के बाद अगली 4 -5 कैंडल में से कोई बुलिश कैंडल पुनः उसी ट्रेंडलाइन को ब्रेक कर ऊपर चली जाती है तो यह मान लेना चाहिए कि अपट्रेंड लाइन पैटर्न का यह फाल्स ब्रेक डाउन था | ऐसी स्थिति में में ट्रेडर को खरीदारी के लिए तैयार हो जाना चाहिए | जैसे ही अगली कोई कैंडल इस बुलिश कैंडल का हाई ब्रेक करे तो ट्रेडर इसमे खरीदारी का ट्रेड लेते है | एडवांस/डिक्लाइन रेशियो
स्टॉप लॉस कहा लगाये
इस पैटर्न में ट्रेडर को स्टॉप लॉस ट्रेंडलाइन को ब्रेक करने वाली बुलिश कैंडल का लो(Low) लगाया जाता है |
डाउन ट्रेंड लाइन
जब कोई शेयर या इंडेक्स लगातार लोअर-हाई ट्रेंड बनाते हुए ट्रेड कर रही है तथा इसका रेजिस्टेंस का लेवल समय के साथ गिरता जाता है तो इस प्रकार के ट्रेंड को डाउन ट्रेंडलाइन कहा जाता है | जब शेयर बाज़ार में या शेयर में मंदी का दौर होता है तब इस ट्रेंड का निर्माण होता है |
डाउन ट्रेंड लाइन का निर्माण
डाउन ट्रेंडलाइन में मंदड़िये (bear), तेजड़ियों पर हावी होते है | जब किसी शेयर में ट्रेडर को उसकी कीमत उसके इंट्रेंसिक वैल्यू से अधिक लगता है तो वे शेयर में बिकवाली करते है | लेकिन जब किसी शेयर में लगातार ख़राब न्यूज या ख़राब फंडामेंटल की न्यूज सामने आती है तो ट्रेडर समय समय पर इसमे बिकवाली करते रहते है |
बिकवाली के बाद सपोर्ट पर खरीदारी आती है लेकिन बिकवाली लगातर होने के कारण शेयर लोअर-हाई तथा लोअर लो के मध्य ट्रेड करने लगता है | कैंडलस्टिक चार्ट पैटर्न क्या है ?
डाउन ट्रेंड लाइन ट्रेड कब लें
जब शेयर बाज़ार या कोई शेयर लोअर हाई ट्रेंडलाइन बनाते हुए ट्रेड करती है तो इसका अर्थ है कि बाज़ार में मंदी का दौर है जिससे शेयर लगातार अपने रेजिस्टेंस लेवल को निचे करती जाती है | ऐसी स्थिति में जब शेयर के फंडामेंटल के सम्बन्ध में कोई सुधार की न्यूज आती है तो ट्रेडर तथा निवेशक दोनों एक साथ खरीदारी का बड़ा ऑर्डर लगा देते है | जिस कारण से एक बड़ी बुलिश कैंडल का निर्माण होता है |
यदि यह बुलिश कैंडल लोअर-हाई ट्रेंडलाइन को तोड़कर ऊपर निकल जाये तथा अपनी क्लोजिंग ट्रेंडलाइन के ऊपर दे तो ट्रेड लेने के लिए अलर्ट हो जाना चाहिए | इसके बाद जैसे ही अगली कैंडल इस बुलिश कैंडल का हाई ब्रेक करे तो ट्रेडर खरीदारी में ट्रेड ले सकते है | Best Small Cap Stocks to Buy Now
इस पैटर्न में Blow-Off पैटर्न कार्य नहीं करता है |
स्टॉप लॉस कहाँ लगाये
इस पैटर्न में ट्रेडर स्टॉप लॉस लोअर-हाई ट्रेंडलाइन को ब्रेक करने वाली बुलिश कैंडल का लो लगाया जाता है | ट्रेंड लाइन बुक
इस लेख से सम्बंधित प्रश्नोत्तरी
ट्रेंड लाइन पैटर्न क्या है |
जब कोई शेयर या इंडेक्स हाईयर-लो या लोअर-हाई बनाते हुए ट्रेड करें तो इन हाईयर-लो या लोअर-हाई ट्रेंडलाइन को मिलाती हुई एक रेखा खींचने पर यदि यह एक लाइन में होते है तो इसे ट्रेंडलाइन (Trend Line) कहा जाता है | ये दो प्रकार के होते है
1 अप ट्रेंड लाइन पैटर्न
2. डाउन ट्रेंड लाइन पैटर्न
ट्रेंड लाइन ट्रेडिंग क्या हैं?
ट्रेंड लाइन पैटर्न को आधार मान कर ट्रेडिंग करने की युक्ति ट्रेंड लाइन ट्रेडिंग कहलाता है | इसमे ट्रेंड लाइन के ब्रेक डाउन तथा ब्रेक आउट पर दो तरीके से ट्रेड लिया जाता है | जब शेयर अप ट्रेंड लाइन में चलता है तब ट्रेडर ब्रेक डाउन पर तथा जब शेयर डाउन ट्रेंड लाइन में चलता है तब ब्रेक आउट पर ट्रेड लिया जाता है |
सारांश (Summary)
आज के इस अध्याय में हम सबने ट्रेंडलाइन , ट्रेंडलाइन पैटर्न , अप ट्रेंडलाइन , डाउन ट्रेंडलाइन तथा साइड वे पैटर्न के में ट्रेड तथा स्टॉप लॉस कहा लगाये के बारे में अध्ययन किया | हम आशा करते है कि ट्रेंड लाइन (Trend Line) पैटर्न क्या होता है ? Full Details in Hindi के इस अध्याय के अध्ययन के बाद अब आपको ट्रेंडलाइन के किसी भी पैटर्न में ट्रेड लेने में किसी प्रकार की कोई समस्या नहीं होगी | यदि आप शेयर बाज़ार के अन्य पैटर्न के बारे में विस्तार से जाना चाहते है तो आप कैंडलस्टिक चार्ट पैटर्न का अध्ययन कर सकते है |
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