मेरे प्रिय पाठकों, हम जब भी किसी कंपनी के फंडामेंटल का एनालिसिस करते है तब हम सबसे पहले कंपनी के मार्केट कैप का एनालिसिस करते है | लेकिन जिन व्यक्ति के लिए शेयर बाज़ार नया होता है उन्हें किसी कंपनी के मार्केट कैपिटलाइज़ेशन / Market Capitalization के बारे में पता ही नहीं होता है |
तो दोस्तों, आज के अपने इस लेख मार्केट कैपिटलाइज़ेशन क्या है / Market Capitalization Kya Hai Full Details In Hindi में हम सब किसी कंपनी के मार्केट कैपिटलाइज़ेशन के बारे में विस्तार से अध्ययन करेंगे | आज के इस लेख में सब जानेंगे कि किसी कंपनी का मार्केट कैपिटलाइज़ेशन क्या है, फंडामेंटल एनालिसिस में मार्केट कैप का क्या उपयोग है तथा इसके साथ-साथ हम सब जानेंगे कि शेयर बाज़ार में निवेश करने वाले निवेशक इसका प्रयोग किस प्रकार से करते है |
मार्केट कैपिटलाइज़ेशन / Market Capitalization
मार्केट कैपिटलाइज़ेशन / Market Capitalization एक ऐसा वित्तीय शब्द है जो शेयर बाज़ार में मौजूद किसी कंपनी के शेयरों का मूल्यांकन करता है | यदि हमें किसी कंपनी के मार्केट कैपिटलाइज़ेशन की गणना करनी होती है तब हम उस कंपनी के कुल आउटस्टैंडिंग शेयर(Outstanding Shares) में कंपनी के शेयर की वर्तमान कीमत से गुणा कर ज्ञात कर सकते है | किसी कंपनी का मार्केट कैप से उस कंपनी के बाज़ार मूल्य को दर्शाता है, उस कंपनी के कर्ज तथा देनदारियों को नहीं |
किसी कंपनी के शेयर कीमत से उस कंपनी के मार्केट कैपिटलाइज़ेशन का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है | ऐसा हो सकता है कि किसी कंपनी का शेयर प्राइस 100 रुपये है और वो लार्ज कैप की कंपनी हो तथा किसी दूसरी कंपनी के शेयर की कीमत 1800 रुपये हो, इसके बाबजूद वो स्माल कैप की एक छोटी कंपनी हो | अतः किसी कंपनी का मार्केट कैपिटलाइज़ेशन ज्ञात करने के लिए उस कंपनी के आउटस्टैंडिंग शेयर(Outstanding Shares) शेयर की संख्या तथा कंपनी के शेयर कीमत का पता होना आवश्यक है |
मार्केट कैपिटलाइज़ेशन फॉर्मूला (Market Capitalization Formula In Hindi)
हम मान लेते है कि किसी कंपनी X के शेयर बाज़ार में कुल आउटस्टैंडिंग शेयर(Outstanding Shares) 5 करोड़ है तथा कंपनी के शेयर की वर्तमान प्राइस 85 रुपये है तब
कंपनी का
मार्केट कैपिटलाइज़ेशन = कुल बकाया शेयर(Outstanding shares) की संख्या * शेयर की वर्तमान कीमत
मार्केट कैपिटलाइज़ेशन = 5,00,00000 * 85 रुपये
मार्केट कैपिटलाइज़ेशन = 425,00,00000 रुपये
कंपनी के मार्केट कैपिटलाइज़ेशन को बाज़ार पूंजीकरण या मार्केट कैप के नाम से भी जाना जाता है | बुक वैल्यू क्या है
फ्री फ्लोट मार्केट कैप (Free Float Market Cap)
सामान्य जनता के ट्रेड करने के लिए उपलब्ध शेयर को फ्री फ्लोट शेयर कहा जाता है | फ्री फ्लोट शेयर की संख्या का शेयर के वर्तमान प्राइस में गुणा कर फ्री फ्लोट मार्केट कैप को ज्ञात किया जाता है | आम तौर पर फ्री फ्लोट शेयर में कंपनी के प्रमोटरों की होल्डिंग, सरकारी/रणनीतिक होल्डिंग तथा अन्य लॉक-इन शेयर को शामिल नहीं किया जाता हैं |
बाजार पूंजीकरण का महत्व (Importance of Market Capitalization)
किसी भी कंपनी के लिए उसका मार्केट कैपिटलाइज़ेशन बहुत मायने रखता है | यह सार्वजनिक रूप से शेयर बाज़ार में ट्रेड होने वाली कंपनी के आकार तथा उसके वैल्यू को दर्शाती है |
एक निवेशक के लिए निवेश के जोखिम का आंकलन करने के लिए तथा अपने पोर्टफोलियो में डायवर्सिफिकेशन करने के लिए निवेशक कंपनी के मार्केट कैप का एनालिसिस करते है | इसके अलावा कंपनी के मार्केट कैप का निम्न प्रकार से उपयोग किया जा सकता है |
- कंपनियों के मध्य तुलना करने में (Womparison Within Company)
- सूचकांक पर प्रभाव (Impact on Index)
- डायवर्सिफिकेशन (Diversification)
- निवेश की रणनीति (Investament Strategie)
- विकास की संभावनाएं (Growth Prospects)
कंपनियों के मध्य तुलना करने में (Womparison Within Company)
जब भी कोई निवेशक शेयर बाज़ार में निवेश करने के लिए पोर्टफोलियो बनाते है तब निवेशक बड़ी तथा लार्ज कैप की कंपनी में बड़ा निवेश तथा छोटी या स्माल कैप की कंपनी में छोटा निवेश करते है | ऐसा करने से हमारे पोर्टफोलियो में डायवर्सिफिकेशन बना रहता है | कौन सी कंपनी छोटी है तथा कौन सी कंपनी बड़ी है इस बात का अंदाजा हमें कंपनी के मार्केट कैपिटलाइज़ेशन से ही चलता है |
सूचकांक पर प्रभाव (Impact on Index)
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज(NSE) का सबसे प्रमुख इंडेक्स निफ्टी 50 है | इसी प्रकार NSE के कई अन्य इंडेक्स है | नेशनल स्टॉक एक्सचेंज(NSE) में लिस्टेड कंपनियों में से वे कंपनिया जिनका मार्केट कैप टॉप 50 में आता है उन्हें निफ्टी 50 के इंडेक्स में शामिल किया जाता है | नेशनल स्टॉक एक्सचेंज – NSE द्वारा गठित टीम प्रत्येक 6 माह के बाद इस इंडेक्स का अवलोकन करती है | यदि किसी कंपनी में लगातार गिरावट होने के कारण उसका मार्केट कैप गिर कर कर टॉप 50 से बाहर आ जाती है तब ऐसी कंपनी को निफ्टी 50 से बाहर किया जा सकता है | जिन कंपनी का मार्केट कैप जितना अधिक होता है उसका इंडेक्स में उतना ही अधिक वेटेज दिया जाता है |
मार्केट कैप को प्रभावित करने वाले कारक (Factors Affecting Market Caps)
शेयर बाज़ार में कार्य करने वाली कंपनी का मार्केट कैपिटलाइज़ेशन निम्न बिन्दुओ पर निर्भर करता है |
- निवेशक के सेंटिमेंट (Investor Sentiment)
- कंपनी का प्रदर्शन (Company Performance)
- इंडस्ट्री और मार्केट ट्रेंड (Industry and Market Trends)
- मैक्रोइकोनॉमिक कारक (Macroeconomic Factors)
निवेशक के सेंटिमेंट (Investor Sentiment)
शेयर बाज़ार में निवेश करने वाले निवेशक तथा ट्रेडर के मूड माहौल पर बाज़ार का रूख तय होता है | जब किसी कंपनी को लेकर निवेशक तथा ट्रेडर का मूड माहौल अच्छा होता है तब कंपनी का शेयर प्राइस ऊपर जाता है | कंपनी का शेयर जिस रेशियों में ऊपर जाता है ठीक उसी रेशियों में कंपनी का मार्केट कैपिटलाइज़ेशन भी ऊपर जाता है |
ठीक इसके विपरीत जब किसी कंपनी को लेकर ट्रेडर या निवेशक का मूड माहौल ख़राब होता है तब वे कंपनी के शेयर या बाज़ार में बिकवाली करते है इस कारण से कंपनी का शेयर निचे गिरता जाता है | जिस अनुपात में कंपनी का शेयर निचे आता है कंपनी का मार्केट कैप भी उसी अनुपात में कम होता जाता है |
अतः किसी कंपनी या बाज़ार के लिए पार्टनरशिप, नए कॉन्ट्रैक्ट या इनोवेटिव डेवलपमेंट जैसी बढ़िया खबर बाज़ार या कंपनी का मार्केट कैप बढ़ा सकती है जबकि कोई ख़राब न्यूज किसी कंपनी या बाज़ार के मार्केट कैप को निचे लेकर आ सकते है | GSM कैटेगरी क्या है
कंपनी का प्रदर्शन (Company Performance)
भले ही किसी कंपनी का शेयर या बाज़ार किसी बाहरी न्यूज या बाज़ार के अच्छे सेंटिमेंट के कारण शोर्ट टर्म के लिए ऊपर चले जाते है लेकिन यदि कंपनी की ग्रोथ उम्मीद के मुताबिक नहीं आती है तब कंपनी के शेयर उसी तेज़ी के साथ निचे भी आ जाते है | जिन कंपनी का ग्रोथ अच्छा नहीं होता है उन कंपनी के शेयर ऊपर नहीं जा पाते है | इस कारण से यदि कंपनी या बाज़ार में लिस्टेड कंपनियों की ग्रोथ अच्छी होती है तब मार्केट कैपिटलाइज़ेशन बढ़ता है तथा यदि कंपनियां अच्छा परफार्म नहीं करती है तब मार्केट कैप गिरता जाता है |
इंडस्ट्री और मार्केट ट्रेंड (Industry and Market Trends)
इंडस्ट्री और मार्केट का ट्रेंड जिस दिशा में जाता है, बाज़ार का मार्केट कैप भी उसी दिशा में जाता है | शेयर बाज़ार में निवेश के नियम
वृहत अर्थशास्त्र कारक (Macroeconomic Factors)
मुद्रास्फीति, व्याज दरें, और वैश्विक आर्थिक नीतियों जैसे व्यापक वृहत अर्थशास्त्र कारक मार्केट कैपिटलाइज़ेशन को ऊपर या निचे ले जाने का कार्य करते है | ये कारक निवेशक तथा ट्रेडर के सेंटिमेंट को बदल देते है | इस कारण से बाज़ार में बाज़ार में तेज़ी तथा मंदी आती है |
इस लेख से सम्बंधित प्रश्नोत्तरी
बाजार पूंजीकरण का अर्थ क्या है?
मार्केट कैपिटलाइज़ेशन / Market Capitalization एक ऐसा वित्तीय शब्द है जो शेयर बाज़ार में मौजूद किसी कंपनी के शेयरों का मूल्यांकन करता है | यदि हमें किसी कंपनी के मार्केट कैपिटलाइज़ेशन की गणना करनी होती है तब हम उस कंपनी के कुल आउटस्टैंडिंग शेयर(Outstanding Shares) में कंपनी के शेयर की वर्तमान कीमत से गुणा कर ज्ञात कर सकते है |
बाजार पूंजीकरण कैसे मापा जाता है?
बाजार पूंजीकरण = कुल बकाया शेयर(Outstanding shares) की संख्या * शेयर की वर्तमान कीमत
बाजार पूंजीकरण क्यों महत्वपूर्ण है?
किसी भी कंपनी के लिए उसका मार्केट कैपिटलाइज़ेशन बहुत मायने रखता है | यह सार्वजनिक रूप से शेयर बाज़ार में ट्रेड होने वाली कंपनी के आकार तथा उसके वैल्यू को दर्शाती है | एक निवेशक के लिए निवेश के जोखिम का आंकलन करने के लिए तथा अपने पोर्टफोलियो में डायवर्सिफिकेशन करने के लिए निवेशक कंपनी के मार्केट कैप का एनालिसिस करते है | इसके अलावा कंपनी के मार्केट कैप का निम्न प्रकार से उपयोग किया जा सकता है |
शेयर मार्केट में फ्री फ्लोट शेयर क्या है?
सामान्य जनता के ट्रेड करने के लिए उपलब्ध शेयर को फ्री फ्लोट शेयर कहा जाता है | आम तौर पर फ्री फ्लोट शेयर में कंपनी के प्रमोटरों की होल्डिंग, सरकारी/रणनीतिक होल्डिंग तथा अन्य लॉक-इन शेयर को शामिल नहीं किया जाता हैं क्योकि प्रमोटरों की होल्डिंग, सरकारी/रणनीतिक होल्डिंग तथा अन्य लॉक-इन शेयरों में ट्रेडिंग नहीं की जा सकती है |
शेयर मार्केट में फ्री फ्लोट मार्केट कैप क्या है?
सामान्य जनता के ट्रेड करने के लिए उपलब्ध शेयर को फ्री फ्लोट शेयर कहा जाता है | फ्री फ्लोट शेयर की संख्या का शेयर के वर्तमान प्राइस में गुणा कर फ्री फ्लोट मार्केट कैप को ज्ञात किया जाता है |
क्या मार्केट कैप रोज बदलता है?
हाँ , किसी कंपनी का मार्केट कैप उस कंपनी के आउटस्टैंडिंग शेयर में शेयर प्राइस से गुणा करके ज्ञात किया जाता है | कंपनी के आउटस्टैंडिंग शेयर की संख्या हर रोज नहीं बदलती है लेकिन शेयर बाज़ार के खुलते ही कंपनी के शेयर में ट्रेडिंग होना आरंभ हो जाती है | कंपनी के शेयर में खरीद बिक्री होने पर शेयर की कीमत कम या अधिक हो जाती है | इस कारण से कंपनी का मार्केट कैप बदल जाता है | अतः जिस दिन कंपनी के शेयर में बदलाव होगा उस दिन उसी अनुपात में कंपनी का मार्केट कैप भी बदल जायेगा |
मार्केट कैप कैसे बढ़ाएं?
जब किसी कंपनी का शेयर प्राईस बढ़ जाता है तब कंपनी का मार्केट कैप अपने आप बढ़ जाता है | तथा जब कंपनी के शेयर में गिरावट होता है तब कंपनी का मार्केट कैप कम हो जाता है | जिस कंपनी में ग्रोथ बढ़िया होता है उन कंपनी का मार्केट कैप बढ़ता जाता है तथा जिन कंपनी में ग्रोथ नहीं होती है उनका मार्केट कैप या तो स्टेबल रहती है या कम होती रहती है |
मार्केट कैप को प्रभावित करने वाले कारक
शेयर बाज़ार में कार्य करने वाली कंपनी का मार्केट कैपिटलाइज़ेशन निम्न बिन्दुओ पर निर्भर करता है |
1) निवेशक के सेंटिमेंट (Investor Sentiment)
2) कंपनी का प्रदर्शन (Company Performance)
3) इंडस्ट्री और मार्केट ट्रेंड (Industry and Market Trends)
4) मैक्रोइकोनॉमिक कारक (Macroeconomic Factors)
आज हमने जाना(Today We Learned)
मेरे प्रिय पाठकों, आज के इस लेख मार्केट कैपिटलाइज़ेशन क्या है / Market Capitalization Kya Hai Full Details In Hindi में हम सबने जाना कि मार्केट कैप क्या होता है, किसी कंपनी के मार्केट कैप का क्या महत्व है तथा मार्केट कैप को प्रभावित करने वाले कारक को विस्तार से जाना |
मै आशा करता हूँ कि अब आपको मार्केट कैपिटलाइज़ेशन से सम्बंधित सभी प्रश्नों के उत्तर मिल गए होंगे | आपको हमारा यह पोस्ट कैसा लगा हमें कमेन्ट कर अवश्य बताये | यदि आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ अवश्य शेयर करें |
यदि आपके पास हमारे लिए कोई सवाल हो तो हमें कमेन्ट करें या आप हमें contact@finohindi.com पर मेल कर सकते है | आप हमसे लगातर जुड़े रहने के लिए आप हमारे Facebook पेज, Twitter पेज तथा Telegram चैनल पर हमसे जुड़ सकते है |
🔆🔆🔆🔆🔆