दोस्तों, यदि आप शेयर बाज़ार में निवेश करते होंगे, तब आपने, अपने शेयर को ASM Category, GSM Category या ESM Category में चले जाने के बारे में अवश्य सुना होगा | लेकिन क्या आप इस ASM, GSM तथा ESM कैटेगरी को जानते है कि ये क्या होते है, किसी शेयर के इस कैटेगरी में जाने का क्या अर्थ है, किसी शेयर इन कैटेगरी में जाने के क्या क्या कारण हो सकते है?
तो आईये आज के इस लेख में हम सब सेबी तथा एक्सचेंज द्वारा बनाये गए GSM कैटेगरी के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे | आज के इस लेख GSM कैटेगरी क्या है / GSM Category Meaning In Hindi में हम सब पढेंगे कि ये GSM कैटेगरी क्या होता है, इस कैटेगरी को बनाने के पीछे सेबी तथा एक्सचेंज की क्या मंशा है, किसी कंपनी के शेयर को इस कैटेगरी में कब डाला जाता है, के साथ साथ हम समझेंगे कि यदि आप द्वारा निवेशित कंपनी का शेयर GSM कैटेगरी में चला जाता है तब आपको क्या करना चाहिए |
GSM कैटेगरी क्या है / GSM Category Meaning In Hindi
भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड (सेबी) और एक्सचेंज द्वारा निवेशको के हितो की रक्षा के लिए GSM कैटेगरी को बनाया गया है | सेबी या एक्सचेंज को जब भी लगता है किसी कंपनी के शेयर कीमत में बड़ी तेज़ी आ रही है जो उसके फंडामेंटल से मेल नहीं खा रहे है तब इसे GSM कैटेगरी में डाल दिया जाता है |
GSM का फुल फॉर्म होता है Graded Surveillance Measure अर्थात श्रेणीबद्ध निगरानी उपाय | किसी कंपनी के शेयर में चल रहे अनियमितता की जाँच करने के लिए कुछ पैरामीटर तैयार किये है | जिस भी कंपनी के शेयर इनके पैरामीटर के मानक को पूरा नहीं करते है तब एक्सचेंज द्वारा इसे अपनी निगरानी में रखने के लिए GSM कैटेगरी में शामिल कर लिया जाता है | सोते-सोते पैसे कमाए / Passive Income Ideas In India 2023
GSM कैटेगरी के प्रमुख उद्देश्य (Main objectives of GSM range)
इस कैटेगरी को बनाने के पीछे सेबी तथा एक्सचेंज के कुछ प्रमुख उद्देश्य निम्न है |
- निवेशको को इन कंपनी के शेयर को खरीदने से पहले अतिरिक्त सतर्क करना |
- शेयर बाज़ार के प्रतिभागियों को लेन-देन करते समय आवश्यक सावधानी बरतने की सलाह देना
अतः यदि आप द्वारा निवेशित किसी कंपनी का शेयर इस कैटेगरी में शामिल हो गया है या आप किसी ऐसे कंपनी के शेयर में निवेश करने जा रहे है जो GSM कैटेगरी में शामिल है तब आपको अतिरिक्त सावधानी बरतने की आवश्यकता है, क्योकि यदि ये शेयर GSM कैटेगरी में है तो इसका अर्थ है कंपनी के फंडामेंटल उसके शेयर प्राइस से मेल नहीं खा रहे है |
हो सकता है कि कंपनी के फंडामेंटल बहुत अच्छे हो लेकिन कंपनी का शेयर अप्रत्याशित रूप से निचे गिर रहा हो या हो सकता है कि कंपनी के फंडामेंटल उतने ज्यादा अच्छे न हो जितने तेज़ी से कंपनी के शेयर ऊपर भाग रहे हो | सामान्यतः ऐसा उस कंपनी में होता है जो साइज़ में बहुत छोटी होती है या जिनका मार्केट कैप बहुत छोटा होता है | कैंडलस्टिक पैटर्न
GSM कैटेगरी के मानदंड
GSM कैटेगरी में कंपनी के शेयर को शामिल करने के लिए सेबी तथा एक्सचेंज ने दो मानदंड तैयार किये है जो इस प्रकार है |
मानदंड-1
- यदि किसी कंपनी का नेटवर्थ 10 करोड़ से कम है तथा
- उस कंपनी के नेट फिक्स्ड एसेट 25 करोड़ या इससे कम है तथा
- उस कंपनी का PE रेशियो (Nifty 500 ) के PE के दुगने से अधिक हो |
यदि किसी कंपनी में उपरोक्त तीनों बिंदु पाए जाते है तो इनकी निगरानी करने के लिए इन्हें GSM कैटेगरी में शामिल कर इनपर कड़ी निगरानी की जाती है |
मानदंड-2
- यदि किसी कंपनी का नेटवर्थ 25 करोड़ से कम है तथा
- उस कंपनी का PE रेशियो Nifty 500 के PE के दुगने से अधिक हो या
- उस कंपनी का PB रेशियो Nifty 500 के PB के दुगने से अधिक हो
यदि किसी कंपनी का PE रेशियो नेगेटिव है तब उस कंपनी के PB रेशियो तथा Nifty 500 के PB रेशियो से तुलना की जाती है | यदि कंपनी का PB रेशियो, Nifty 500 के PB रेशियो के दुगने से भी अधिक है तथा कंपनी का नेटवर्थ 25 करोड़ से कम है तब कंपनी के शेयर को GSM कैटेगरी के स्टेज 1 में शामिल कर इनपर निगरानी किया जाता है | ट्रेंड लाइन पैटर्न क्या होता है ?
GSM कैटेगरी के कंपनियों पर पाबंदियां
जब भी किसी कंपनी के शेयर को GSM कैटेगरी में डाला जाता है तब उनपर निम्न पाबंदिया लगाकर इनपर निगरानी की जाती है |
- कंपनी के शेयर का प्राइस बैंड 5 प्रतिशत या उससे भी कम किया जा सकता है |
- कंपनी के शेयर का मार्जिन रेट 100 प्रतिशत तक किया जा सकता है |
- ट्रेडिंग के लिए 5 प्रतिशत के प्राइस बैंड के साथ ट्रेडिंग की अनुमति तथा खरीदारों द्वारा ट्रेडिंग पूंजी का 50 प्रतिशत अतिरिक्त निगरानी जमा (ASD) जमा करना आवश्यक |
- ट्रेड फॉर ट्रेड ट्रेडिंग लागु किया जा सकता है अर्थात डे-ट्रेडिंग या इंट्राडे ट्रेडिंग को बंद किया जा सकता है |
- सप्ताह में एक दिन (प्रत्येक सोमवार/सप्ताह का पहला कारोबारी दिन) ट्रेडिंग की अनुमति के साथ-साथ अतिरिक्त निगरानी जमा – ASD को 100 प्रतिशत तक किया जा सकता है |
- महीने में एक बार ट्रेडिंग की अनुमति दी जा सकती है |
- कंपनी के शेयर को उसके ऊपरी हिस्से की प्राइस पर फ्रीज किया जा सकता है |
चरणवार मॉनिटरिंग कार्यवाही (Stage wise monitoring action)
चरण(Stage) | निगरानी कार्रवाई(Surveillance Actions) |
1 | कंपनी के शेयर का प्राइस बैंड 5 प्रतिशत या उससे भी कम के साथ 100 प्रतिशत तक ट्रेडिंग मार्जिन | |
2 | ट्रेड फॉर ट्रेड तथा 5 प्रतिशत या उससे कम के प्राईस बैंड के साथ खरीदारों द्वारा ट्रेडिंग पूंजी का 50 प्रतिशत अतिरिक्त निगरानी जमा (ASD) जमा करना आवश्यक होता है | |
3 | ट्रेड फॉर ट्रेड तथा 5 प्रतिशत या उससे कम के प्राईस बैंड के साथ खरीदारों द्वारा ट्रेडिंग पूंजी का 100 प्रतिशत अतिरिक्त निगरानी जमा (ASD) जमा कराने के अलावा सप्ताह में एक दिन (प्रत्येक सोमवार/सप्ताह का पहला कारोबारी दिन) ट्रेडिंग की अनुमति | |
4 | ट्रेड फॉर ट्रेड तथा 5 प्रतिशत या उससे कम के प्राईस बैंड के साथ खरीदारों द्वारा ट्रेडिंग पूंजी का 100 प्रतिशत अतिरिक्त निगरानी जमा (ASD) जमा कराने के अलावा सप्ताह में एक दिन (प्रत्येक सोमवार/सप्ताह का पहला कारोबारी दिन) के साथ बिना किसी ऊपर की गति के साथ ट्रेडिंग की अनुमति | |
GSM फ्रेमवर्क से कंपनी के शेयर कब बाहर आते है?
सेबी तथा एक्सचेंज, समय दर समय GSM फ्रेमवर्क को अपडेट करती रहती है | सामान्यतः हर तीन माह बाद जीएसएम कैटेगरी में शामिल कंपनी के शेयर की समीक्षा की जाती है | यदि सेबी या एक्सचेंज को लगता है कि कंपनी के शेयर में अब नियमित ट्रेडिंग या सामान्य चाल में ट्रेडिंग होना आरंभ हो गया है तब सेबी या एक्सचेंज इसे GSM फ्रेमवर्क से बाहर कर देती है अन्यथा की स्थिति में इसे अगले स्टेज में शिफ्ट कर दिया जाता है | ब्लू चिप शेयर क्या हैं
यहाँ पर दिवस का अर्थ ट्रेडिंग दिवस से है अर्थात जिस दिन एक्सचेंज बंद होते है उस दिन गिनती नहीं कि जाती है | कंपनी के शेयर में स्टेबिलिटी आने के बाद जिस क्रम में कंपनी के शेयर स्टेज 4 में पहुंचते है उसी क्रम में बाहर भी आते है | अतः यदि किसी कंपनी का शेयर GSM फ्रेमवर्क के स्टेज 4 में चला गया है तब इसे बाहर आने में 12 महीने तक का समय लग सकता है |
GSM कंपनियों की सूची (GSM Companies List)
अब सवाल ये है कि हम कैसे चेक कर सकते है कौन सी कंपनी GSM कैटेगरी के फ्रेम वर्क में शामिल है, हम इसकी जाँच कैसे कर सकते है? हम आपको बताना चाहते है कि इसके लिए आपको ज्यादा माथा पच्ची करने की आवश्यकता नहीं है | इसके लिए आप सीधे एक्सचेंज की वेबसाइट पर जाकर बड़ी आसानी से चेक कर सकते है |
वर्तमान में कुल 44 कंपनियों के शेयर GSM कैटेगरी में शामिल है | ये लिस्ट समय-समय पर अपडेट होती रहती है | आज चाहे तो nseindia.com/reports/gsm पर क्लिक कर सीधे GSM कंपनियों के लिस्ट पर पहुँच सकते है | बुक वैल्यू क्या है
GSM लिस्ट में शामिल हो जाने पर क्या करें?
यदि आप द्वारा निवेशित किसी कंपनी को एक्सचेंज द्वारा GSM कैटेगरी में डाल दिया जाता है तब आपको घबराने की बिलकुल आवश्यकता है | क्यों कि यदि आपने निवेश किया है तब आपने कंपनी के फंडामेंटल तथा इसके ग्रोथ को देख कर शेयर ख़रीदा होगा | कंपनी के शेयर को GSM फ्रेमवर्क में शामिल हो जाने के बाद भी इसके फंडामेंटल में कोई बदलाव नहीं होगा | कंपनी अपना बिजनेस सही तरीके से करती रहती है |
शेयर के GSM कैटेगरी में शामिल हो जाने का अर्थ है कि इनके खरीद-बिक्री तथा खरीद-बिक्री करने वाले व्यक्तियों पर निगरानी की जाएगी | जब भी किसी कंपनी का शेयर GSM कैटेगरी में चला जाता है तब इसमें ट्रेडिंग बहुत कम हो जाती है, ट्रेडिंग के वॉल्यूम गिर जाते है, कोई भी बड़ा निवेशक, बड़ा निवेश या बड़ा ट्रेड नहीं कर पाता है | इस कारण से जब तक कंपनी का शेयर इस कैटेगरी में रहता है तब तक कंपनी के शेयर आम तौर पर बड़ी तेज़ी नहीं दिखा पाता है | इस कारण से आप द्वारा निवेशित पूंजी ग्रो नहीं कर पाती है, बहुत मुमकिन है कि कंपनी के शेयर में गिरावट भी हो |
तो यदि आप किसी ऐसे कंपनी में निवेश करने जा रहे है जो पहले से GSM कैटेगरी में है तो आप ये मान कर चलिए की आपका पैसा कुछ महीनों तक ग्रो नहीं कर पायेगा | जब कंपनी का शेयर GSM कैटेगरी से बाहर निकलेगा तब कंपनी का शेयर अच्छा परफार्म कर सकता है | ROCE क्या है? ROCE Meaning In Hindi
इस लेख से सम्बंधित प्रश्नोत्तरी:-
जीएसएम स्टेज 4 क्या है?
ट्रेड फॉर ट्रेड तथा 5 प्रतिशत या उससे कम के प्राईस बैंड के साथ खरीदारों द्वारा ट्रेडिंग पूंजी का 100 प्रतिशत अतिरिक्त निगरानी जमा (ASD) जमा कराने के अलावा सप्ताह में एक दिन (प्रत्येक सोमवार/सप्ताह का पहला कारोबारी दिन) के साथ बिना किसी ऊपर की गति के साथ ट्रेडिंग की अनुमति |
GSM कैटेगरी क्या है
भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड (सेबी) और एक्सचेंज द्वारा निवेशको के हितो की रक्षा के लिए GSM कैटेगरी को बनाया गया है | सेबी या एक्सचेंज को जब भी लगता है किसी कंपनी के शेयर कीमत में बड़ी तेज़ी आ रही है जो उसके फंडामेंटल से मेल नहीं खा रहे है तब इसे GSM कैटेगरी में डाल दिया जाता है |
GSM कैटेगरी के प्रमुख उद्देश्य
इस कैटेगरी को बनाने के पीछे सेबी तथा एक्सचेंज के कुछ प्रमुख उद्देश्य निम्न है |
निवेशको को इन कंपनी के शेयर को खरीदने से पहले अतिरिक्त सतर्क करना |
शेयर बाज़ार के प्रतिभागियों को लेन-देन करते समय आवश्यक सावधानी बरतने की सलाह देना
GSM कंपनियों की सूची कैसे देखें?
अब सवाल ये है कि हम कैसे चेक कर सकते है कौन सी कंपनी GSM कैटेगरी के फ्रेम वर्क में शामिल है, हम इसकी जाँच कैसे कर सकते है? हम आपको बताना चाहते है कि इसके लिए आपको ज्यादा माथा पच्ची करने की आवश्यकता नहीं है | इसके लिए आप सीधे एक्सचेंज की वेबसाइट पर जाकर बड़ी आसानी से चेक कर सकते है | आज चाहे तो nseindia.com/reports/gsm पर क्लिक कर सीधे GSM कंपनियों के लिस्ट पर पहुँच सकते है |
आज हमने जाना(Today We Learned)
आज GSM Category क्या होता है / GSM Category Meaning In Hindi के इस लेख में हम सबने जाना GSM कैटेगरी क्या होता है, इसे बनाने के पीछे एक्सचेंज तथा सेबी की क्या मंशा है, के साथ साथ हमने जाना कि GSM कैटेगरी कितने प्रकार की होती है |
मुझे आशा है कि अब आपको GSM Category से सम्बंधित समस्त प्रकार के सवालो के जवाब मिल गए होंगे | यदि आपको हमारा यह पोस्ट अच्छा लगा हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ अवश्य शेयर करें |
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